झण्डा ऊंचा रहे हमारा...
कर्नाटक जम्मू कश्मीर की राह पर चलने को तैयार है। कर्नाटक सरकार इन दिनों झण्डाबदार बनने को आतुर है। प्रदेश की कांग्रेस सरकार लोगों की इच्छाओं का सम्मान करते हुए क्षेत्रिय हित में अलग झण्डा चाहती है। वैसे राष्ट्रीय मंच पर भले ही इस मुद्दे को अब हवा मिली हो लेकिन कर्नाटक में लम्बे समय से मांग जारी है। तो क्या वजह है कि अचानक सोशल मीडिया की कुछ चलताऊ, बिकाऊ खबरों की तरह यह वायरल हो गया? तूल की वजह हमेशा की तरह हमारे पोलिटिकल क्लास की बेसब्री है। जो वोट बैंक की खातिर मामले को लपक कर अपनी झोली में डालना चाहता है।
चुनाव 2016 : पांच राज्यों के चुनाव खर्च में BJP रही सबसे आगे
चुनाव सुधार के लिए राजनीतिक दलों की तमाम गतिविधियों का विश्लेषण करने वाली गैर सरकारी संस्था एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स ने अपनी एक अध्ययन रिपोर्ट में इस बात का खुलासा किया है कि चुनाव के प्रचार प्रसार के मामले में राष्ट्रीय दलों के मुकाबले क्षेत्रीय दल कहीं ज्यादा खर्च कर रहे हैं।
आम आदमी पर बोझ बढ़ायेगी GST, बढ़ेगी महंगाई: चिदम्बरम
जीएसटी के मौजूदा स्वरूप को कांग्रेस आम आदमी के लिए अहितकारी मान रही है। अब पार्टी के दिग्गज नेता और पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री पी.चिदंबरम ने भी इस पर अपनी राय रखी है। उन्होंने कहा है कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) आम आदमी पर बोझ साबित होगा। लघु, छोटे और मंझोले व्यापारियों को यह बुरी तरह प्रभावित करेगा, क्योंकि जिस कानून को लागू किया गया है, वह वैसा नहीं है, जैसी योजना मूल रूप से बनाई गई थी। इससे कई चीजें महंगी हो जाएंगी।
केसी त्यागी ने 'महागठबंधन' खत्म होने के दिए संकेत, बोले- भाजपा संग ज्यादा सहज था जेडीयू
जनता दल यूनाइटेड के वरिष्ठ नेता केसी त्यागी ने राजद-कांग्रेस के साथ महागठबंधन के टूटने का संकेत दे किया है। त्यागी ने कहा कि जेडीयू का जब भाजपा से गठबंधन था तब उनकी पार्टी काफी सहज महसूस कर रही थी। उन्होंने पत्रकारों से कहा, 'हम पांच साल बिहार में महागठबंधन चलाना चाहते थे, लेकिन ऐसे बयान बर्दाश्त नहीं किए जाएंगे। जेडीयू गुलाम नबी आजाद के गैर दोस्ताना बयान से सहज महसूस नहीं कर रही है।'
राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी पर इतनी माथापच्ची क्यों?
अगले महीने होने वाले राष्ट्रपति चुनाव को लेकर सियासत तेज हो गई है। एक तरफ सत्ताधारी पार्टी भाजपा और दूसरी तरफ कांग्रेस के नेतृत्व में तमाम विपक्षी पार्टियां देश का अगला राष्ट्रपति कौन हो इसको लेकर माथापच्ची कर रहे हैं। राजनीति कहती है कि जब आपके पास विकल्प हो तो इतनी माथापच्ची नहीं करनी चाहिए। लेकिन नरेंद्र मोदी और अमित शाह की दिक्कत यह है कि जो विकल्प मौजूद हैं शायद वह उनके मनमाफिक नहीं। सियासी पंडितों का मानना है कि भाजपा के वरिष्ठ नेता और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के राजनीतिक गुरु लाल कृष्ण आडवाणी राष्ट्रपति पद के लिए सबसे सशक्त विकल्प हो सकते हैं। शायद विपक्ष की तरफ से भी आडवाणी के नाम पर सहमति बन जाएगी। दूसरे विकल्प के तौर पर वर्तमान राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी के कार्यकाल को भी आगे बढ़ा जा सकता है।
शिमला नगर निगम चुनाव में भी हारी कांग्रेस, 26 साल बाद भाजपा ने लहराया परचम
भाजपा ने हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले 34 सीटों वाले शिमला नगर निगम में सर्वाधिक सीटें जीतकर इतिहास रच दिया, लेकिन वह 18 सदस्यों के सामान्य बहुमत के आंकड़े को हासिल करने में नाकाम रही। पार्टी ने 17 सीटों पर जीत दर्ज की है। वहीं, निगम पर 26 वर्षों तक राज करने वाली कांग्रेस के 12 उम्मीदवार निर्वाचित हुए हैं। चार निर्दलीय तथा माकपा का एक उम्मीदवार भी चुनाव जीतने में कामयाब रहा।
आडवाणी, जोशी समेत 12 पर चलेगा आपराधिक साजिश का मुकदमा, कांग्रेस ने उमा भारती से मांगा इस्तीफा
भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और केन्द्रीय मंत्री उमा भारती पर बहुप्रतिक्षित फैसला आ गया। बाबरी विध्वंस को लेकर 12 लोगों पर आपराधिक साजिश का आरोप तय हो गया है। अयोध्या विवादित ढांचा मामले में मंगलवार (30 मई) को भाजपा के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती समेत 12 आरोपियों के खिलाफ विशेष सीबीआई कोर्ट ने 120बी के तहत आरोप तय कर दिए।
EVM हैकिंग : एनसीपी और माकपा ने स्वीकारी EC की चुनौती
सत्ता विमर्श ब्यूरो
राष्ट्रपति चुनाव के उम्मीदवार पर विपक्ष अभी करेगा इंतजार
सोनिया गांधी के बहु प्रतिक्षित भोज में विपक्ष को लामबंद करने की कोशिश स्पष्ट दिखी हालांकि नीतीश कुमार की अनुपलब्धता और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को आमंत्रित ना किये जाने को लेकर भी विपक्षी एकता पर सवाल खड़े कर गई। चर्चा थी कि राष्ट्रपति चुनाव को लेकर किसी नाम पर मुहर लगेगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इस 17 दलीय बैठक के बाद कांग्रेस ने आधिकारिक तौर पर कहा कि वो लोग इंतजार करेंगे और एकजुट होकर सर्वसम्मति से बाद में फैसला लेंगे।
नगर निगम उपचुनाव: नहीं चला भाजपा का जादू, दो वॉर्डो में मिली हार
हाल ही में जीत का परचम लहराने के बाद भारतीय जनता पार्टी के लिए ये अप्रत्याशित है। पार्टी को नगर निगम उपचुनाव में एक महीने के भीतर ही पटखनी मिली है। स्पष्ट है कि तीनों नगर निगमों में धमाकेदार जीत हासिल कर चुकी भाजपा का जादू नहीं चल पाया। हाल ही में हुए दो निगम वॉर्ड उपचुनाव में भाजपा प्रत्याशी हार गए हैं। एक वॉर्ड में तो भाजपा प्रत्याशी तीसरे स्थान पर है। दोनों वार्डो में एक-एक सीट कांग्रेस और आप के खाते में गई है।