देश की सुप्रीम व्यवस्था से छेड़छाड़ क्यों?
भारतीय संविधान के बारे में एक मान्यता यह भी है कि संविधान में जो कुछ लिखित है वह तो महत्वपूर्ण है ही, लेकिन कुछ अलिखित परंपराएं भी हैं जिनको पूरा महत्व दिया जाता है। आज भारत में यह बात साफ हो गई है कि पिछले 70 साल में किसी ने संविधान के साथ छेड़छाड़ करने का प्रयास नहीं किया। लेकिन पिछले चार साल में यह प्रयास लगातार हो रहा है। इससे और भी कई मुद्दे सामने आ रहे हैं।
SC ने केन्द्र से पूछा- क्या न्यायपालिका पर जड़ना चाहते हैं ताला?
हाईकोर्ट में जजों की नियु्क्ति को लेकर सरकार के सुस्त रवैये पर सुप्रीम कोर्ट ने कड़ा ऐतराज जताया है। सुप्रीम कोर्ट ने अपनी तरफ से भेजे गए नामों के मंज़ूर न होने पर सरकार से सफाई मांगी। कोर्ट ने कहा है कि सरकार न्यायपालिका के साथ टकराव की स्थिति पैदा कर रही है। केन्द्र को फटकारते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया कि हम आपको सिस्टम को खराब करने की इजाजत नहीं दे सकते।
जजों की नियुक्ति के तरीके से खुश नहीं सरकार
उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय में जजों की नियुक्ति के तरीके को लेकर सरकार काफी गंभीर दिख रही है। सरकार बरसों से चले आ रहे कॉलेजियम सिस्टम के पक्ष में नहीं है। इस सिस्टम को रद्द करने के मुद्दे पर केंद्र सरकार ने सोमवार को देश के पूर्व चीफ जस्टिसों और नामचीन न्यायविदों की राय ली।