भीड़ के हाथों दम तोड़ता भारतीय लोकतंत्र
मुल्क में चारों तरफ एक हिंसक हत्यारी भीड़ का शोर बह रहा है। उस शोर का सैलाब लगातार आपकी कल्पनाशीलता को खत्म कर रहा है। आपके भीतर की रचनात्मकता को पीट-पीट कर मार रहा है। वो हत्यारी भीड़ संवैधानिक व्यवस्था के समानांतर खड़ी होकर लोकतंत्र को कुचल रही है। लेकिन ये सनद रहे कि भीड़ ना तो किसी मजहब की होती है और न किसी जाति की। फिर भी ये हत्यारी भीड़ हमेशा किसी धर्म या मज़हब का होने का दावा जरूर करती है। ये भीड़ हमेशा संस्कृति, मजहब, राष्ट्र आदि बचाने के नाम पर हमला करती है।
विकास चाहिए या विनाश?
देश में विकास होगा तो हमारी आगे की पीढ़ियां सुरक्षित रहेंगी। अगर विनाश का दौर शुरू हो गया तो हम खुद ही सुरक्षित नहीं रहेंगे, बाकी बात तो अलग है। आज ऐसे चौराहे पर खड़े हैं जहां हमें सोचना होगा कि धर्म, संप्रदाय, जाति और भाषा के नाम पर लड़कर हम बर्बाद हो जाना चाहते हैं अथवा उस सच्चाई को समझना चाहते हैं कि ये धर्म, जाति आदि जैसे पहले से रहे हैं वो आज भी है और कले भी रहेंगे। इनके नाम पर आपस में मनमुटाव पैदा करने और समाज को तोड़ना आत्मघाती कदम साबित होगा।
मोदी सरकार के 3 साल : 'थ्री-डी' के जरिये तबाही; भोजन, धर्म और भाषा पर बंट रहा देश
कांग्रेस ने नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर अपने 'थ्री डी' मॉडल के जरिए देश को तबाह करने का आरोप लगाया। कांग्रेस प्रवक्ता और सांसद गौरव गोगोई ने कहा कि भाजपा के तीन वर्षों के कार्यकाल में सरकार ने थ्री-डी मॉडल यानी ‘डिवाइड, डिस्ट्रॉय एंड डिस्ट्रैक्ट’ पर काम किया है। इसके तहत भाजपा देश को भोजन, धर्म और भाषा के नाम पर बांटने का काम कर रही है।
वोट के लिए धर्म, जाति, संप्रदाय, भाषा का इस्तेमाल गैरकानूनी : SC
देश की शीर्ष अदालत की सात जजों की संवैधानिक पीठ ने एक अति महत्वपूर्ण फैसले में आज कहा कि कोई भी उम्मीदवार या उसके समर्थकों के धर्म, जाति, संप्रदाय, भाषा के नाम पर वोट मांगना गैरकानूनी है। चूंकि चुनाव एक धर्मनिरपेक्ष पद्धति है। इसलिए इस आधार पर वोट मांगना संविधान की भावना के खिलाफ है। जन प्रतिनिधियों को भी अपने कामकाज धर्मनिरपेक्ष आधार पर ही करने चाहिए।