नोटबंदी के आंकड़े से क्षुब्ध हो बोले चिदंबरम- फैसले पर RBI को शर्म आनी चाहिए
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व वित्तमंत्री पी. चिदंबरम ने नोटबंदी के फैसले को लेकर मोदी सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) पर निशाना साधते हुए कहा कि सिर्फ एक फीसदी प्रतिबंधित नोट वापस नहीं आ सके। आरबीआई के लिए तो यह शर्म की बात है।
जो ठीक नहीं वहां शिवसेना बोलेगी ही : उद्धव ठाकरे
शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने सामना को प्रदीर्घ लाइव साक्षात्कार दिया है। इस साक्षात्कार को उत्सफूर्त, बेबाक और उफान लाने वाला कहा जा सकता है। उद्धव ठाकरे का साक्षात्कार मतलब अन्याय पर वार और महाराष्ट्र द्वेषियों पर हमला। जीएसटी से लेकर नोटबंदी तक, चीन से लेकर कश्मीर तक और कर्जमुक्ति से लेकर भाजपा के व्यवहार को लेकर किए गए सवालों के उद्धव ठाकरे ने बेबाकी से जवाब दिए।
पुराने नोट बदलने के लिए और अवसर देने से सरकार का इंकार
नोटबंदी के बाद जिन लोगों ने साल 2016 के 30 दिसंबर तक अपने पुराने 500 रुपये और 1000 रुपये के नोट नहीं बदलवाए, केंद्र सरकार ने उनके लिए नोट बदलवाने का एक और मौका देने से सोमवार को इनकार कर दिया और कहा कि ऐसा करने से काला धन नष्ट करने का उद्देश्य खत्म हो जाएगा।
संसदीय समिति ने गृह मंत्रालय से पूछा- क्या नोटबंदी से कालाधन रोकने में मदद मिली?
नोटबंदी को लेकर सरकार से अब भी सवाल पूछे जा रहें हैं। जैसा कि दावा किया जा रहा था कि इसके लागू होते ही कालेधन और आतंकवाद पर लगाम लग जाएगी, आखिर उस पर हम कहां तक कामयाब हुए। कुल मिलाकर इससे देश को कितना नफा हुआ और कितना नुकसान इसकी जानकारी केन्द्र से मांगी जा रही है।
नोटबंदी; सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को लगाई फटकार, मांगा जवाब
सुप्रीम कोर्ट ने पुराने नोट बदलने की तारीख को लेकर केंद्र सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक को कड़ी फटकार लगाई है। कोर्ट का कहना है कि लोगों को पुराने नोट बदलने के लिए दोबारा मौका क्यों नहीं दिया गया है। कोर्ट ने केंद्र सरकार को दो हफ्ते के अंदर जवाब देने के लिए कहा है।
मोदी सरकार के तीन साल : तीन धमाके, तीन सवाल
केंद्र की मोदी सरकार ने अपने तीन साल पूरे कर लिए हैं। इन तीन सालों के कामकाज का निष्पक्ष और तथ्यात्मक विश्लेषण आज इसलिए जरूरी है क्योंकि इसके आधार पर ही भविष्य के बारे में सोचने की संभावना बनेगी। मोदी सरकार के तीन साल में तीन बड़े धमाके हुए जिनका असर वर्तमान में भी है और भविष्य में भी होना निश्चित है। पहला धमाका था नोटबंदी का। दूसरा पशुओं की खरीद-बिक्री पर रोक लगाने का और तीसरा किसानों के कर्ज माफ करने के वायदे से मुकरने का। इनमें से हर धमाके का अलग-अलग असर साफ दिखाई दे रहा है।
अमेरिकी पत्रिका ने किया दावा; 'नोटबंदी भारतीय अर्थव्यवस्था के इतिहास में सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाने वाला प्रयोग'
भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इसी महीने प्रस्तावित अमेरिका यात्रा से ठीक पहले वहां की एक प्रतिष्ठित पत्रिका ने दावा किया है कि नरेंद्र मोदी का नोटबंदी का फैसला हाल की आर्थिक इतिहास में देश को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाने वाला प्रयोग साबित हुआ। नोटबंदी के चलते भारत की नकदी आधारित अर्थव्यवस्था में एक ठहराव-सा आ गया है।
क्या कहती है भारतीय कॉरपोरेट जगत की चुप्पी?
उत्साह जगाने में नाकाम विकास सरकार के लिए चिंता का विषय होना चाहिए लेकिन सरकार के लिए चिंतित होने की एक और वजह है और वह है भारतीय कॉर्पोरेट जगत की चुप्पी। भारत के मुखर लोकतंत्र का यह तबका निश्चित रूप से कम मुखर है। कॉर्पोरेट जगत सरकार के बारे में सार्वजनिक राय रखने में भी अधिक एहतियात बरतता है।
शिवसेना का तंज; पैसे हों तो चांद पर हो रहा चुनाव भी जीत सकते हैं
शिवसेना ने केंद्र की मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए सामना के संपादकीय में लिखा है, ‘पंचायत से लेकर नगर निगमों तक के चुनाव जीत लेना आसान है। यदि आपके पास पैसा है तो आप चांद पर हो रहा चुनाव भी जीत सकते हैं। इसका मतलब यह नहीं है कि जनता आपकी नौकर है। इसका यह मतलब नहीं कि किसानों को उनके हाल पर छोड़ दिया जाए।
नीति आयोग के सर्वेक्षण में खुलासा- कर्नाटक देश का सबसे भ्रष्ट राज्य
एक सर्वे में खुलासा हुआ है कि देश के सबसे भ्रष्ट राज्यों के शीर्ष पर कांग्रेस शासित राज्य कर्नाटक है तो वहीं सबसे कम भ्रष्ट में भी कांग्रेस शासित हिमाचल प्रदेश का नाम है। यह सर्वे नीति आयोग के सेंटर फॉर मीडिया स्टडीज ने कराया है। सरकारी कामों को कराने के लिए दिए जाने वाले घूसों के आधार पर भ्रष्ट राज्यों की सूची तैयार की गई है। सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार वाले राज्यों में कर्नाटक के बाद आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, जम्मू-कश्मीर और पंजाब का नंबर है।