तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा ने देश के विभाजन के लिए पंडित नेहरू को ठहराया जिम्मेदार
तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा ने देश के विभाजन के लिए पंडित जवाहरलाल नेहरू को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि अगर नेहरू आत्मकेंद्रित नहीं होते तो भारत और पाकिस्तान एक देश होता। दलाई गोवा प्रबंधन संस्थान में आयोजित परिचर्चा के दौरान छात्रों के सवालों का जवाब दे रहे थे।
सरदार सरोवर बांध : मोदी के हाथों पूरा हुआ पंडित नेहरू का सपना
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को गुजरात के केवडिया में सरदार सरोवर बांध राष्ट्र को समर्पित किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भले ही देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू को इसका श्रेय न दें लेकिन सच यही है कि सरदार सरोवर बांध का सपना तो पंडित नेहरू ने ही देखा था और 5 अप्रैल 1961 को इसकी नीव रखी थी।
सरदार सरोवर बांध का PM मोदी ने किया उद्घाटन, बोले- खूब हुईं साजिशें
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने जन्मदिन के मौके पर रविवार को नर्मदा जिले के केवड़िया में सरदार सरोवर नर्मदा बांध परियोजना का उद्घाटन किया। इस बांध परियोजना और इस पर बनी बिजली परियोजना से चार राज्यों गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान और मध्य प्रदेश को लाभ मिलेगा। यह देश का सबसे बड़ा बांध है।
सरदार पटेल की नजर में पंडित नेहरू
कुछ दिनों पहले एक पुराना दस्तावेज मिला, जिसमें पटेल ने नेहरू के बारे में अपने संस्मरण लिखे थे। इसे पढ़ा जाना चाहिए, कम से कम आज के संदर्भों में जब दोनों के रिश्तों को लेकर बहुत कुछ कहा जा रहा है। पटेल ने ये विचार नेहरू जी के 60वें जन्मदिवस पर जाहिर किए थे। 14 नवंबर 1949 को इस मौके पर नेहरू पर एक ग्रंथ का प्रकाशन हुआ जिसमें सरदार पटेल, सर्वपल्ली राधाकृष्णन, गोविंद वल्लभ पंत समेत कई महान नेताओं ने उनके बारे में अपने विचार जाहिर किए थे।
संसदीय राजनीति का वो दौर जब अटल...
इसमें कोई दो-राय नहीं कि देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) से अपनी राजनीतिक जीवन यात्रा की शुरुआत की थी और डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने जनसंघ बनाते वक्त जिन तीन-चार लोगों को संघ से लिया था उनमें से वाजपेयी एक थे। वाजपेयी के बारे में यह भी कहा जाता है कि वे संघ के अनुशासन को भले ही मानते रहे, लेकिन उनके विचारों की दुनिया में हमेशा खुली हवा का खास स्थान रहा। इसलिए वाजपेयी आरएसएस के पसंदीदा नेताओं में से कभी नहीं रहे।
पंडित नेहरु का संसद में भाषण - 'भाग्य से भेंट'
भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने भारत को आजादी मिलने की रात यानी 14-15 अगस्त 1947 को भारतीय संसद में अपना पहला भाषण दिया था। अपने इस भाषण में नेहरू ने कहा- कई वर्षों पहले हमने नियति को मिलने का एक वचन दिया था, और अब समय आ गया है कि हम अपने वचन को निभाएं, पूरी तरह न सही, बल्कि अच्छी तरह से। आज रात ठीक बारह बजते ही, जब सारी दुनिया सो रही होगी, भारत जीवन और स्वतंत्रता की नयी सुबह के साथ उठेगा।
विकीपीडिया ने नेहरू के दादा को बनाया मुस्लिम!
भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के विकीपीडिया पेज से 'छेड़छाड़' का मामला सामने आया है, जिसमें उनके दादा को मुसलमान बता दिया गया। हालांकि अब इस तरह की जानकारियों को विकीपीडिया ने हटा दिया है। कांग्रेस का आरोप है कि ये छेड़छाड़ कथित तौर पर केंद्र सरकार के एक आईपी एड्रेस से की गई है। विकीपीडिया में जानकारी जोड़ने या उन्हें संपादित करने वाले सॉफ़्टवेयर से पता चला है कि पंडित जवाहर लाल नेहरू के पेज में छेड़छाड़ 26 जून 2015 को की गई थी।
लालू के ट्वीट से 'योग' पर छिड़ी सियासी जंग
राष्ट्रीय जनता दल के नेता लालू प्रसाद की योग को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर की गई चुटकी को लेकर ट्विटर पर तकरार छिड़ गई। लालू प्रसाद यादव ने ट्विटर पर देश के वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की योग करती तस्वीरें डाली थीं और कहा था कि वास्तविकता और अवास्तविकता में अंतर। नेहरू को एक प्रैक्टिशनर और मोदी को एक उपदेशक बताते हुए लालू ने कहा था अभ्यास करने वाले और उपदेशक के बीच अंतर।
नेहरू ने कराई थी बोस परिवार की जासूसी
भारत सरकार की इंटेलीजेंस ब्यूरो के कुछ महत्वपूर्ण दस्तावेजों से खुलासा हुआ है कि आजाद भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू और उनके बाद कांग्रेस की दूसरी सरकारों ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस के परिवार की पूरे 20 साल तक जासूसी कराई थी। नेताजी की पत्नी की चिट्ठी का मजमून इसी जासूसी प्रकरण का हिस्सा है।
भारत का राजनीतिक इतिहास
राज करने अथवा राज चलाने सम्बन्धी नीति को 'राजनीति' कहा जाता है। स्पष्ट है कि राज करने या चलाने जैसी अति संवेदनशील एवं गम्भीर जिम्मेदारी के लिए इस पेशे में शामिल व्यक्ति को अत्यधिक योग्य, दक्ष, ईमानदार तथा कुशल नेतृत्व प्रदान कर पाने की क्षमता रखने वाला व्यक्ति होना चाहिए। त्रेतायुग में अर्थात भगवान राम के काल के हजारों वर्ष पूर्व से लेकर आजादी से पहले और फिर आजादी के बाद की भारतीय राजनीति ऐसे दिग्गज राजा और राजनेताओं से अटा पड़ा है।