चौकीदार बेनकाब
जी हां! हम बात कर रहे हैं प्रधानसेवक और चौकीदार की उपाधि से खुद को विभूषित करने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की। 2014 के लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी ने जिस तरीके से विकास, भ्रष्टाचार, गरीबी और बेरोजगारी के मुद्दे को आधार बनाकर सवा सौ करोड़ देशवासियों के सामने विकास का जो रोडमैप पेश किया था और देश ने उसपर भरोसा कर एक बेहतरीन जनादेश दिया था, 2019 का चुनाव आते-आते सब हवा हो गया। मालेगांव ब्लास्ट केस में जेल की सजा काटने के बाद जमानत पर चल रहीं साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर को भोपाल से भाजपा प्रत्याशी के तौर पर घोषणा और उसके बाद साध्वी के विवादित बयानों से उठे सवालों का चौकीदार नरेंद्र मोदी ने जिस तरह से जवाब दिया है, वह अप्रत्याशित है। इस घटनाक्रम से खुद को देश का प्रधानसेवक और चौकीदार कहने वाला शख्स वाकई बेनकाब हो गया है।
देखिए! प्रधान सेवक की बात के.के. पांडेय के साथ, एपिसोड-5 ; गंगा संरक्षण और जी.डी. अग्रवाल की कुर्बानी
'प्रधानसेवक की बात' की 5वीं कड़ी में वरिष्ठ पत्रकार कृष्ण किशोर पांडेय (के.के.पांडेय) ने गंगा सफाई अभियान और अविरल गंगा की मांग को लेकर प्रो. जीडी अग्रवाल के बेमियादी अनशन के दौरान दिवंगत होने जैसे मुद्दे पर मोदी सरकार की चुप्पी पर सवाल उठाए हैं।
प्रधानसेवक का राजधर्म?
भारत के पूर्वोत्तर राज्य त्रिपुरा में वामपंथ को हराकर भाजपा को जीत हासिल किए महज 48 घंटे ही बीते थे कि दक्षिणपंथी संगठनों (भाजपा की टोपी पहने लोग) ने जेसीबी मशीन लगाकर लेनिन की मूर्ति को जमींदोज कर जीत का जश्न मनाया और दिखाने की कोशिश की कि वही हिटलर के असली वंशज हैं जो प्रतिमाओं को तोड़कर, किताबों को जलाकर, लेखकों को मारकर प्रतिस्पर्धी विचारों को खत्म कर देंगे।