अयोध्या फैसले पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बोले- आज का दिन ऐतिहासिक, अब देश निर्माण की बारी
अयोध्या की विवादित जमीन पर सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र को संबोधित करते हुए कहा, 'आज सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐसे महत्वपूर्ण मामले पर फैसला सुनाया है, जिसके पीछे सैकड़ों वर्षों का इतिहास है।
'अनोखा राष्ट्रवाद' से परहेज करिए सरकार
कश्मीर में यूरोपीयन संघ के सांसदों को सैर-सपाटा की इजाजत देना, लेकिन भारतीय सांसदों और नेताओं को एयरपोर्ट से बाहर निकलने नहीं देना, क्या यह मोदी सरकार का अपना अनोखा राष्ट्रवाद नहीं है? सरकार शायद यह भूल गई कि लोकतंत्र में ऐसे बनावटी दौरे नहीं होते हैं। बड़ा सवाल यह कि आखिर कश्मीर में ऐसे हालात क्यों पैदा किए गए कि आपको विदेशी सांसदों के नजरिये का सहारा लेना पड़ा। भारत सरकार का यह कदम भारत और भारतीय लोकतंत्र की खराब तस्वीर को पेश करता है। सरकार को इससे बचना चाहिए।
कोई भी नीति या बदलाव को जबरदस्ती नहीं थोपा जा सकता : मनमोहन
भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा है कि कोई भी नीति या बदलाव बिना उचित सहमति के सफल नहीं हो सकती। हमने अपने लिए लोकतांत्रिक रास्ता चुना है, इसलिए हमारे ऊपर तानाशाही थोपने की कोई गुंजाइश नहीं है। ऐसा करने से सरकार में कारोबारियों का विश्वास कम होना शुरू हो जाएगा।
पुण्य प्रसून बाजपेयी ने तोड़ी चुप्पी, लिखा- 'मास्टर स्ट्रोक रोकने के पीछे सत्ता का ब्लैक स्ट्रोक'
जब खुले तौर पर सत्ता का खेल हो रहा है तो फिर किस एडिटर गिल्ड को लिखकर दें या किस पत्रकार संगठन से कहें कि संभल जाओ। सत्तानुकूल होकर मत कहो कि शिकायत तो करो फिर लड़ेंगे। गुहार यही है कि लड़ो मत पर दिखायी देते हुए सच को देखते वक्त आंखों पर पट्टी तो ना बांधो।
भीड़ के हाथों दम तोड़ता भारतीय लोकतंत्र
मुल्क में चारों तरफ एक हिंसक हत्यारी भीड़ का शोर बह रहा है। उस शोर का सैलाब लगातार आपकी कल्पनाशीलता को खत्म कर रहा है। आपके भीतर की रचनात्मकता को पीट-पीट कर मार रहा है। वो हत्यारी भीड़ संवैधानिक व्यवस्था के समानांतर खड़ी होकर लोकतंत्र को कुचल रही है। लेकिन ये सनद रहे कि भीड़ ना तो किसी मजहब की होती है और न किसी जाति की। फिर भी ये हत्यारी भीड़ हमेशा किसी धर्म या मज़हब का होने का दावा जरूर करती है। ये भीड़ हमेशा संस्कृति, मजहब, राष्ट्र आदि बचाने के नाम पर हमला करती है।
जस्टिस गोगोई की पीड़ा
सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ जज रंजन गोगोई ने हाल के एक व्याख्यान में देश के हालात पर एक व्याख्यान दिया है जो वास्तव में आज देश की सही तस्वीर पेश करता है। वक्त की मांग है कि देश की जनता खुद तमाम स्थितियों पर गौर करे और खुद निर्णय ले कि पिछले 70 साल में जो हुआ वह ठीक था या हाल के चार वर्षों में जो कुछ हुआ है वह ठीक है। अगर ऐसा नहीं हुआ तो जस्टिस गोगोई जैसे लोगों की पीड़ा व्यर्थ ही जाएगी और अर्थ यही निकलेगा कि जैसे सब लोग अपनी बात कहते हैं उन्होंने भी अपनी बात कह दी।
देश की सुप्रीम व्यवस्था से छेड़छाड़ क्यों?
भारतीय संविधान के बारे में एक मान्यता यह भी है कि संविधान में जो कुछ लिखित है वह तो महत्वपूर्ण है ही, लेकिन कुछ अलिखित परंपराएं भी हैं जिनको पूरा महत्व दिया जाता है। आज भारत में यह बात साफ हो गई है कि पिछले 70 साल में किसी ने संविधान के साथ छेड़छाड़ करने का प्रयास नहीं किया। लेकिन पिछले चार साल में यह प्रयास लगातार हो रहा है। इससे और भी कई मुद्दे सामने आ रहे हैं।
विकास चाहिए या विनाश?
देश में विकास होगा तो हमारी आगे की पीढ़ियां सुरक्षित रहेंगी। अगर विनाश का दौर शुरू हो गया तो हम खुद ही सुरक्षित नहीं रहेंगे, बाकी बात तो अलग है। आज ऐसे चौराहे पर खड़े हैं जहां हमें सोचना होगा कि धर्म, संप्रदाय, जाति और भाषा के नाम पर लड़कर हम बर्बाद हो जाना चाहते हैं अथवा उस सच्चाई को समझना चाहते हैं कि ये धर्म, जाति आदि जैसे पहले से रहे हैं वो आज भी है और कले भी रहेंगे। इनके नाम पर आपस में मनमुटाव पैदा करने और समाज को तोड़ना आत्मघाती कदम साबित होगा।
गांधी शरणं गच्छामि
मोदीवाद गांधीवाद के विपरीत है। गांधीवाद यह सिखाता है कि अहिंसा को एक हथियार के रूप में हमें इस्तेमाल करना है। मोदीवाद कहता है कि संविधान से लेकर अन्य तमाम संस्थाओं पर जो गांधीवाद का असर है उसको खत्म कर मोदीवाद का असर कायम किया जाए। चुनना आपको है।
देश की शीर्ष अदालत के चार जजों ने मांगा इंसाफ, प्रेस कांफ्रेंस में कहा- भारतीय लोकतंत्र खतरे में
देश की न्यायपालिका के इतिहास में पहली बार सुप्रीम कोर्ट के चार वरिष्ठ जजों ने न्यापालिका की व्यवस्था को लेकर देश के नागरिकों से न्यायपालिका की रक्षा की गुहार लगाई है। जस्टिस जे. चेलमेश्वर, जस्टिस मदन लोकुर, जस्टिस कुरियन जोसेफ और जस्टिस रंजन गोगोई ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि देश की शीर्ष अदालत में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है।