देश के दो राज्यों से ऐसी खबर आईं जो स्कूलों की बदहाल तस्वीर को पेश करती हैं। एक देश का हृदय है तो दूसरे को धान का कटोरा कहा जाता है। यानी एक मध्यप्रदेश तो दूसरा उसका पड़ोसी छत्तीसगढ़। और दोनों ही सूबों में भारतीय जनता पार्टी की सरकार है। सरकारी विद्यालयों के हालात बेहद खतरनाक और सोचनीय है। तभी तो जब सरकारों ने नहीं सुनी तो भुक्तभोगियों ने सत्ता के सर्वोच्च शिखर तक पहुंचाने का काम अपने हाथों में उठा लिया। लेकिन सवाल उठता है कि शिक्षा के अधिकार के बावजूद कब तक मूलभूत सुविधाओं से महरूम रहेंगे हमारे सरकारी विद्यालय? और सरकारें कब तक खामोश तमाशा देखती रहेंगी या फिर इंतजार करेंगी- तब तक, जब तक चुनाव नहीं आता।