ये है मोदी सरकार-2 का 'गरीबों का बजट' ; पेट्रोल और डीजल के दामों में उछाल, और बढ़ेगी महंगाई
मोदी सरकार-2 के पहले आम बजट (किसान और गरीबों का बजट!) में पेट्रोल और डीजल पर अतिरिक्त उत्पाद शुल्क तथा उपकर बढ़ाए जाने के बाद शनिवार को पूरे देश में पेट्रोल का दाम न्यूनतम 2.40 रुपये और डीजल का दाम न्यूनतम 2.36 रुपये प्रति लीटर बढ़ गया। इससे महंगाई और बढ़ेगी।
RBI ने सरकार को किया आगाह; राजकोषीय घाटे में फिसलन जारी रही तो बाजार में बढ़ेगी अस्थिरता
भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल ने शुक्रवार को कहा कि राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को बनाए रखना जरूरी है, क्योंकि किसी प्रकार की फिसलन से महंगाई पर इसका असर होगा और निजी क्षेत्र के लिए निवेश की गुंजाइश कम पड़ जाएगी और बाजार में अस्थिरता बढ़ जाएगी।
पेट्रोल-डीजल की मूल्यवृद्धि को लेकर विपक्ष पर जेटली का पलटवार
पेट्रोल-डीजल की मूल्यवृद्धि को लेकर विपक्षी हमले झेल रही मोदी सरकार ने बुधवार को पलटवार किया। कैबिनेट की बैठक के बाद फैसलों की जानकारी देने के लिए बुलाई गई प्रेस कॉन्फ्रेंस में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि महंगाई का शोर मचाने वाली कांग्रेस और लेफ्ट की सरकारें पेट्रोल पर टैक्स से कमाई कर रही हैं।
बढ़ती महंगाई : पलट दो सरकार को उलटा
याद कीजिए 2014 के लोकसभा चुनाव को जब भाजपा के प्रधानमंत्री पद के प्रत्याशी नरेंद्र मोदी यूपीए सरकार में महंगाई को मुद्दा बनाकर यह कहते नहीं थकते थे कि 'मोदी सरकार आई महंगाई गई'। भाजपा ने इस मुद्दे पर जनभावनाओं को भुनाया और जब देश में बहुमत की सरकार बन गई तो उसके बाद सर्जिकल स्ट्राइक, नोटबंदी, रेनकोट, जन्मपत्री जैसे मुद्दों में उलझाकर आम आदमी की जिन्दगी को सबसे ज्यादा प्रभावित करने वाले महंगाई के मुद्दे को नेपथ्य के हवाले कर दिया। अब कोई भी पार्टी प्रतिबद्धता के साथ अपने चुनाव घोषणा पत्र में महंगाई को मुद्दा नहीं बनाता है।
महंगाई का मुद्दा फिर हाशिये पर
बीते एक महीने के आंकड़ों पर गौर करें तो चीनी, आटा, गेहूं, ब्रेड से लेकर छोले, मूंगफली और चॉकलेट तक सभी चीजें महंगी हो गई हैं। आम बजट के बाद भी कुछ चीजों के दाम बढ़े हैं। लेकिन उत्तर प्रदेश समेत पांच राज्यों के चुनाव में महंगाई कोई मुद्दा नहीं है। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के पहले चरण में वेस्ट की 73 सीटों पर मतदान के दिन तक नेता जात-पांत, सांप्रदायिक मुद्दे और स्थानीय मुद्दों को बढ़ा-चढ़ा कर पेश करते दिखे। 6-7 दशक के राजनीतिक अनुभवों ने देश के राजनीतिज्ञों को यह समझा दिया है कि चुनाव मुद्दों से नहीं बल्कि समीकरणों से जीता जाता है। ऐसे में एक मतदाता जो आम आदमी भी है को यह समझना होगा कि उनसे बनी राजनीति और सरकार उसे संविधानप्रदत्त बुनियादी अधिकारों से वंचित न करने पाए।
गरीब की रसोई में फिर लगेगा दाल का तड़का!
मौजूदा वर्ष में दलहन का रकबा बढ़ने, दालों का भंडारण बढ़ाने तथा विदेशों में दलहन की खेती कराने के प्रयासों से आने वाले समय में गरीब की रसोई में एक बार फिर ‘दाल का तड़का’ लगने की उम्मीद है। सरकार द्वारा जारी आंकडों के अनुसार सिर्फ ‘दाल- रोटी’ के लिए दिनभर कडी मेहनत करने वाले आम आदमी की थाली में एक बार फिर दाल की कटोरी आने की संभावना दिखाई दे रही है।
महंगाई : 84 करोड़ देशवासियों को नसीब नहीं हो रहा भरपेट खाना, 40 साल की सबसे बड़ी गिरावट
बढ़ती महंगाई का असर जितना शहरों में देखने को मिल रहा है उससे कहीं ज्यादा इसका शिकार भारतीय गांव हो रहा है। ग्रामीण भारत की थाली में पिछले 40 सालों की यह सबसे बड़ी गिरावट कही जा रही है। नेशनल न्यूट्रीशन मॉनीट्रिंग ब्यूरो के एक सर्वे के मुताबिक देश की करीब 70 प्रतिशत आबादी यानी 84 करोड़ लोगों को जरूरत से कम भोजन उपलब्ध है।
लालू ने बताया नरेंद्र मोदी को सबसे कमजोर पीएम
राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के प्रमुख लालू प्रसाद ने शनिवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश के अब तक के सबसे कमजोर प्रधानमंत्री हैं। इससे पहले पीएम मोदी के गौ रक्षकों पर दिए बयान पर लालू ने कहा था कि मोदी जी को अब मेरी बात अच्छे से समझ में आ गई है कि गाय दूध देती है वोट नहीं।
स्वामी ने रघुरामन पर फोड़ा महंगाई का ठीकरा
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने अब एक नया शिगूफा छोड़ा है। उन्होंने गुरुवार को भारतीय रिजर्व बैंक के गर्वनर रघुराम राजन को बढ़ती मुद्रास्फीति और बेरोजगारी में इजाफे के लिए जिम्मेदार ठहराया। स्वामी ने उन्हें पद से हटाने की मांग की है।
मोदी जी! अच्छे दिन छोड़िए, पुराने दिन ही लौटा दो
धर्मनिरपेक्ष महागठबंधन के कद्दावर नेता और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पीएम नरेंद्र मोदी के लोकसभा चुनाव में 'अच्छे दिन' आने के वादे पर कटाक्ष करते हुए कहा, 'मोदी जी, अच्छे दिन तो छोड़िए, हमें हमारे पुराने दिन ही लौटा दीजिए।' अपने ट्वीट संदेश में नीतीश ने शनिवार को कहा, 'दस महीनों की लगातार गिरावट के बाद एक्सपोर्ट इस वर्ष के सबसे निचले स्तर पर। मोदीजी, अच्छे दिन तो छोड़िये, हमें हमारे पुराने दिन ही लौटा दीजिये। लोकसभा चुनाव 2014 के दौरान नरेंद्र मोदी का चुनावी जुमला 'अच्छे दिन' लाने का था।