सुप्रीम कोर्ट ने राजनीतिक दलों को दिया निर्देश; वेबसाइट पर बताएं दागियों को चुनने की क्या है वजह
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को राजनीतिक दलों को निर्देश दिया है कि वे अपनी वेबसाइट पर आपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवारों के चयन के कारणों को अपलोड करें। पार्टियों को 48 घंटे के भीतर वेबसाइट और सोशल मीडिया पर विवरण अपलोड करना अनिवार्य होगा।
चुनावी बॉन्ड से चंदा पाने वाले दलों की जानकारी देने से देश के सबसे बड़े बैंक ने किया इनकार
देश की सबसे बड़ी बैंक भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने चुनावी बॉन्ड खरीदने वालों के बारे में सरकार को भेजी गई रिपोर्ट के बारे में सूचना के अधिकार (आरटीआई) अधिनियम के अंतर्गत आवेदन के जरिए मांगी गई जानकारी देने से इनकार कर दिया है।
हाफिज सईद ने लाहौर में खोला अपनी पार्टी MML का कार्यालय
पाकिस्तान के गृह मंत्रालय द्वारा वर्जित संस्थाओं की शाखाओं के राजनीति में प्रवेश को लेकर विरोध के बावजूद जमात-उद-दावा (जेयूडी) प्रमुख हाफिज सईद ने अपनी पार्टी मिल्ली मुस्लिम लीग (एमएमएल) का दफ्तर खोल लिया है। गृह मंत्रालय ने एमएमएल के एक राजनीतिक पार्टी के तौर पर पंजीकरण का विरोध किया है।
हाफिज की पार्टी को मान्यता देने से पाकिस्तान चुनाव आयोग का इंकार
पाकिस्तान चुनाव आयोग ने गुरुवार को जमात-उद दावा के राजनीतिक पार्टी मिल्ली मुस्लिम लीग (एमएमएल) को मान्यता देने से इंकार कर दिया और उम्मीदवारों को चुनावी अभियान में पार्टी के नाम के उपयोग न करने की चेतावनी दी। आयोग के अनुसार, ऐसी पार्टी के पास किसी तरह की कानूनी वैधता नहीं है।
चुनाव आयुक्त की नसीहत पर बिफरे भाजपा के मुख्तार, बोले- हम चुनाव जीतने के लिए लड़ते हैं
चुनाव आयुक्त ओपी रावत ने राजनीति में आ रही गिरावट के सामान्य बात होते जाने पर राजनीतिक दलों को नसीहत दी है। रावत ने कहा, लोकतंत्र तब फलता-फूलता है जब चुनाव पारदर्शी, निष्पक्ष और मुक्त हों। लेकिन ऐसा लगता है कि छिन्द्रान्वेषी आम आदमी सबसे ज्यादा जोर इस बात पर देता है कि उसे हर हाल में जीत हासिल करनी है और खुद को नैतिक आग्रहों से मुक्त रखता है।
उपराष्ट्रपति अंसारी ने राजनीतिक दलों को दी सीख, बोले- बहुलतावाद को एजेंडे में करें शामिल
उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने राजनीतिक दलों से बहुलतावाद को अपने एजेंडे के सारतत्व के रूप में शामिल करने के महत्व को रेखांकित करते हुए आज कहा कि यही एक तरीका है जिससे संविधान के अनुसार देश को आगे बढ़ाया जा सकता है।
EC की चुनौती; जिनको संदेह है वो आएं और EVM हैक करके दिखाएं
पूरे आठ साल बाद एक बार फिर इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन को लेकर उपजे विवाद के बीच चुनाव आयोग ने इससे जुड़ी शंकाओं के निराकरण के लिए ईवीएम और वीवीपीएटी का शनिवार को डेमो दिया. इसके साथ ही मुख्य चुनाव आयुक्त ने ईवीएम पर संदेह जताने वाले उन तमाम राजनीतिक दलों को चुनौती देते हुए कहा कि वे आगामी 3 जून से आएं और ईवीएम को हैक करके दिखाएं।
कॉरपोरेट्स को ये छूट क्यों?
केन्द्र ने वित्त विधेयक को लोकसभा में पारित करा ही लिया। सरकार ने राज्यसभा द्वारा सुझाये संशोधनों और मशविरे को सिरे से नकार दिया और जता दिया कि कॉरपोरेट्स द्वारा राजनीतिक दलों की फंडिंग पर कैप या उस पर प्रतिबंध की शर्तें वो अपनी सुविधा और विवेक से ही लगायेगा। हालांकि सांसद सीताराम येचुरी की सलाह की बात में दम था, फिर भी कॉरपोरेट्स के हक में कुछ नियम की ढिलाई बरतने में सरकार ने कोई कमी नहीं रख छोड़ी। सवाल उठता है कि आखिर कॉरपोरेट्स को ये छूट क्यों?
बढ़ती महंगाई : पलट दो सरकार को उलटा
याद कीजिए 2014 के लोकसभा चुनाव को जब भाजपा के प्रधानमंत्री पद के प्रत्याशी नरेंद्र मोदी यूपीए सरकार में महंगाई को मुद्दा बनाकर यह कहते नहीं थकते थे कि 'मोदी सरकार आई महंगाई गई'। भाजपा ने इस मुद्दे पर जनभावनाओं को भुनाया और जब देश में बहुमत की सरकार बन गई तो उसके बाद सर्जिकल स्ट्राइक, नोटबंदी, रेनकोट, जन्मपत्री जैसे मुद्दों में उलझाकर आम आदमी की जिन्दगी को सबसे ज्यादा प्रभावित करने वाले महंगाई के मुद्दे को नेपथ्य के हवाले कर दिया। अब कोई भी पार्टी प्रतिबद्धता के साथ अपने चुनाव घोषणा पत्र में महंगाई को मुद्दा नहीं बनाता है।
महंगाई का मुद्दा फिर हाशिये पर
बीते एक महीने के आंकड़ों पर गौर करें तो चीनी, आटा, गेहूं, ब्रेड से लेकर छोले, मूंगफली और चॉकलेट तक सभी चीजें महंगी हो गई हैं। आम बजट के बाद भी कुछ चीजों के दाम बढ़े हैं। लेकिन उत्तर प्रदेश समेत पांच राज्यों के चुनाव में महंगाई कोई मुद्दा नहीं है। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के पहले चरण में वेस्ट की 73 सीटों पर मतदान के दिन तक नेता जात-पांत, सांप्रदायिक मुद्दे और स्थानीय मुद्दों को बढ़ा-चढ़ा कर पेश करते दिखे। 6-7 दशक के राजनीतिक अनुभवों ने देश के राजनीतिज्ञों को यह समझा दिया है कि चुनाव मुद्दों से नहीं बल्कि समीकरणों से जीता जाता है। ऐसे में एक मतदाता जो आम आदमी भी है को यह समझना होगा कि उनसे बनी राजनीति और सरकार उसे संविधानप्रदत्त बुनियादी अधिकारों से वंचित न करने पाए।