प्रणब दा मेरे अभिभावक और संरक्षक : पीएम मोदी
राष्ट्रपति की भूमिका में प्रणब मुखर्जी ने चार साल पूरे कर लिए। इस मौके पर राष्ट्रपति भवन में आयोजित समारोह में उनकी सराहना करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि राष्ट्रपति अनेक विषयों पर उनके अभिभावक और संरक्षक की भूमिका में रहे हैं। पीएम मोदी ने उन्हें 'अभिभावक और मार्गदर्शक' बताया और कहा कि दो साल पहले प्रधानमंत्री पद संभालने के बाद उन्होंने अंगुली पकड़ कर रास्ता दिखाया है। मालूम हो कि पीएम मोदी और राष्ट्रपति मुखर्जी देश के परस्पर दो प्रमुख प्रतिद्वंद्वी पार्टियों से हैं।
मोदी कैबिनेट में बड़ा फेरबदल, 19 नए चेहरे शामिल
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने दो साल के कार्यकाल में आज दूसरी बार मंत्रिमंडल में बड़ा फेरबदल कर 19 नए चेहरों को शामिल किया। मई 2014 में सत्ता संभालने के बाद मोदी मंत्रिमंडल में यह सबसे बड़ा फेरबदल है। इस फेरबदल में एकमात्र मंत्री प्रकाश जावड़ेकर को पदोन्नत कर राज्यमंत्री से कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया गया है। मंगलवार सुबह 11.00 बजे राष्ट्रपति भवन के दरबार हॉल में आयोजित शपथ ग्रहण कार्यक्रम में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने सभी नए मंत्रियों को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई।
आप के 21 विधायकों पर मचा सियासी घमासान
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने आप के 21 विधायकों की सदस्यता पर लटकी तलवार के बीच मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर जबरदस्त तरीके से निशाना साधा है। इस बीच कांग्रेस और भाजपा ने आप के 21 विधायकों को अयोग्य करार देने की मांग की है। दिल्ली सरकार के एक विधेयक को राष्ट्रपति की मंजूरी नहीं मिलने के एक दिन बाद सियासी पारा गरमा गया है।
दायरे में काम करे लोकतंत्र का हर अंग : राष्ट्रपति
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने न्यायाधीशों को ‘न्यायिक सक्रियता’ के जोखिमों के प्रति सचेत करते हुए कहा कि अधिकारों का उपयोग करते हुए हर समय सामंजस्य स्थापित करना चाहिए। प्रणब ने कहा कि संविधान सर्वोच्च है और लोकतंत्र के हर अंग को अपने दायरे में रहकर काम करना चाहिए।
'कुछ हठी लोगों की सनक' से निपटना जरूरी
अर्जुन सिंह मेमोरियल लेक्चर में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने देश में बहुलवाद और सहिष्णुता के खिलाफ कुछ हठी लोगों की सनक पर जिस तरह से सवाल उठाए हैं उसपर देश के हर नागरिक को गौर करना चाहिए। ये मुट्ठीभर लोग देश और समाज में असहिष्णुता फैलाकर सांप्रदायिकता का बीज बो रहे हैं और देश को बांटने की हर नापाक कोशिश में जुटे हैं। दरअसल बीते कुछ वर्षों में धर्म और संप्रदाय के नाम पर राजनीति चमकाने और देश में अराजकता फैलाने का एक खतरनाक खेल देश के अंदर खेला जा रहा है। राष्ट्रपति ने अपने व्याख्यान में इस खतरनाक खेल की तरफ इशारा करते हुए अपनी बात देश के समक्ष रखी है जिसपर समय रहते निपटना जरूरी है। निश्चित रूप से 'कुछ हटी लोगों की सनक' के खिलाफ हम सबको निकलकर आगे आना होगा।
हठधर्मियों की सनक पर राष्ट्रपति ने उठाए सवाल
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने बहुलवाद एवं सहिष्णुता को भारतीय सभ्यता का प्रतीक और विविधता को एक मजबूत तथ्य बताते हुए चेतावनी दी कि कुछ हठी लोगों की सनक की वजह से इसे कल्पना में नहीं बदलने दिया जा सकता। उन्होंने सांप्रदायिक तनावों पर लोगों से सतर्क रहने को कहा जो कहीं भी अपना सिर उठा सकते हैं।
'सत्ता की भूख शांत करने का मुखौटा ना बने धर्म'
जॉर्डन यात्रा से पहले अरबी अखबार 'अल-घाद' को दिए इंटरव्यू में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने एक बार फिर दादरी हत्याकांड पर सरकार को नसीहत दी है। उन्होंने कहा, 'भड़काऊ भाषण और डर फैलाने की कोशिश बंद होनी चाहिए। हमारे मूल्य और संस्कार हमारी रोजमर्रा की जिंदगी का हिस्सा होना चाहिए। सहिष्णुता और सह-अस्तित्व तो हमारी सभ्यता की नींव हैं। इन्हें हमें दिल में बसा कर रखना चाहिए और उदारता को बढ़ावा देना चाहिए। हमें इस बात का विशेष ख्याल रखना चाहिए कि धर्म सत्ता की भूख शांत करने का मुखौटा न बनने पाए।'
देश के संस्कारों को खत्म नहीं होने दें : राष्ट्रपति
दादरी हत्याकांड और गौहत्या को लेकर देश में चल रही राजनीति और उसे सांप्रदायिकता का रंग देने की कोशिश के बीच राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने बुधवार को कहा कि हम अपने देश के संस्कार खत्म नहीं होने दे सकते। विविधता, सहिष्णुता और बहुलता हमारे देश के मूल्य हैं और इन्हें हमेंशा ध्यान में रखा जाना चाहिए।
टकराव का अखाड़ा बन गई है संसद : राष्ट्रपति
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर शुक्रवार को अपने सन्देश में कहा कि अच्छी से अच्छी विरासत के संरक्षण के लिए भी लगातार देखभाल जरूरी होती है। आज लोकतंत्र की हमारी संस्थाएं दबाव में हैं। संसद में चर्चा होने के बजाय यह सियासी टकराव के अखाड़े में बदल चुकी है। राष्ट्रपति ने कहा, यदि लोकतंत्र की संस्थाएं दबाव में हैं तो अब वह समय आ गया है कि देश की जनता तथा उसके दल इस बात पर गंभीर चिंतन करें। सुधारात्मक उपाय अंदर से आने चाहिए।
भारत की वर्तमान सरकार और केंद्रीय मंत्रिमंडल
भारत सरकार या केंद्र सरकार देश की वह शासन अधिकारी है जो राष्ट्र को भारत के संविधान के अनुसार नियंत्रित करती है। भारत सरकार का आधिकारिक नाम संघीय सरकार है। सरकार अपना सारा कामकाज देश की राजधानी दिल्ली से करती है। भारत का पूरा गणराज्य केंद्र सरकार के अधिकार क्षेत्र में आता है। भारत गणराज्य में 29 राज्य और सात केंद्र शासित प्रदेश हैं। भारत सरकार का गुण लोकतांत्रिक है।