40 लाख लोग तकनीकी रूप से भारत के नागरिक भले नहीं हों, जिसमें भूलवश हुई गैर पात्रता शामिल नहीं है, पर ये व्यक्ति मानवीय दृष्टि से, मानवशास्त्रीय दृष्टि से, ऐतिहासिक दृष्टि से, भारतीय जनजीवन और संस्कृति की दृष्टि से और अखंड भारतीय इतिहास के डीएनए के हिसाब से उसी भारत के ही तो हिस्से हैं।