हमारे देश की राजनीतिक व्यस्था को या सरकार जिस प्रकार बनती और चलती है, उसे संसदीय लोकतंत्र कहा जाता है।संसद पुराने संस्कृत साहित्य का शब्द है। पुराने समय में राजा को सलाह देने वाली सभा ‘संसद’ कहलाती थी। राजा ‘संसद’ की सलाह को ठुकरा नहीं सकता था। बौद्ध सभाओं में संसदीय प्रक्रिया संबंधी नियम आज की संसद के नियमों से बहुत हद तक मिलते-जुलते थे। खुली बातचीत, बहुमत का फैसला, उच्च पदों के लिए चुनाव, वोट डालना, समितियों द्वारा विचार विमर्श आदि से हमारी लोकतांत्रिक संस्थाएं हजारों साल पहले से परिचित रही है।