भारत की राजनीतिक पहचान है लोकतंत्र
भारत में विरोध और किसी न किसी हिस्से में लगातार दंगे-फसाद के बावजूद देश की एक राजनीतिक सत्ता क्यों बरकरार है? इस सवाल का एक शब्द में जवाब है- लोकतंत्र। भारत में लोकतंत्र का प्रयोग अप्रतिम रहा है। यह न सिर्फ निर्वाचक वर्ग के आकार और राजनीतिक दलों की संख्या को लेकर है, बल्कि यह उपयोगी बन गया है और इसका भारतीयकरण हो चुका है।
ये जीत! देशहित में है
कांग्रेस 2014 में लगभग हर जगह परास्त हुई। राजनीतिक पंडितों के लिए भी मोदी लहर में कांग्रेस की ऐसी हार, अप्रत्याशित थी। उसके बाद कई राज्यों में चुनाव हुए जहां कांग्रेस अपनी पुरानी छवि के अनुरूप प्रदर्शन नहीं कर पाई। लेकिन अब जिस तरह देश के अलग अलग राज्यों में विधानसभा उप चुनावों में रूलिंग पार्टी के अलावा अन्य पार्टियां जीत दर्ज करा रही हैं ये जितना इन दलों के लिए अच्छा है उतना ही हमारे लोकतंत्र के लिए भी।
टूट के कगार पर JDU, शरद बोले- नीतीश ने लोकतंत्र का गला घोंटा
बिहार में महागठबंधन टूटने के बाद पहली बार बिहार के तीन दिवसीय दौरे पर गुरुवार को पटना से हाजीपुर होते हुए मुजफ्फरपुर पहुंचे जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव ने इस बात के पूरे संकेत दिए हैं कि जेडीयू टूटने के कगार पर है। इस दौरान रास्ते में कई स्थानों पर लोकसंवाद में शरद ने गठबंधन में हुई टूट के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को जवाबदेह ठहराया और कहा कि जनादेश का अपमान लोकतंत्र का गला घोटने के समान है।
विदाई भाषण में विपक्ष से बर्ताव पर मोदी सरकार को नसीहत दे गए निवर्तमान उप-राष्ट्रपति अंसारी
संसद के उच्च सदन राज्यसभा से अपनी विदाई पर अंतिम भाषण देते हुए निवर्तमान उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने अपरोक्ष रूप से मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि लोकतंत्र में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा बेहद जरूरी है। अंसारी ने देश के पहले उप-राष्ट्रपति डॉ. एस. राधाकृष्णन को उद्धृत करते हुए कहा कि 'अगर विपक्ष को निष्पक्ष तरीके से, स्वतंत्रता के साथ और बेबाकी से अपनी बात रखने की इजाजत नहीं दी गई तो लोकतंत्र, निरंकुश शासन में बदल जाएगा'।
जीत के बाद बोले वेंकैया नायडू ; निर्भय होकर करूंगा राज्यसभा का निष्पक्ष संचालन
नवनिर्वाचित उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने शनिवार को कहा कि राज्यसभा के सभापति के रूप में वह निर्भय और निष्पक्ष होकर सदन की कार्यवाही का संचालन करने और सभी सदस्यों की मदद से उसकी मर्यादा व शिष्टाचार को बरकरार रखने की कोशिश करेंगे।
रावण रथि वीरथि रघुवीरा
आज न तो कोई रावण है न ही कोई राम है और न ही विभीषण। लेकिन युद्ध के कारण और युद्ध में शामिल होने वाले लोग आज के हालात में भी प्रासंगिक हैं। युद्ध में शामिल एक वर्ग है जो हर तरह से शक्ति और साधन से संपन्न है। वह सत्तारूपी रथ पर सवार है। दूसरी तरफ एक वर्ग उन लोगों का है जो हर तरह से साधनहीन है। सत्ता और साधन संपन्न वर्ग सिर्फ अपनी ताकत पर गर्व का प्रदर्शन ही नहीं कर रहा है बल्कि साधनहीन वर्गों का प्रतिनिधित्व करने वालों पर अपमान भरे शब्दों का तीखा प्रहार भी कर रहा है।
लोकतंत्र या कुलीन तंत्र
लोकतंत्र असल में उन सभ्य लोगों का शासन तंत्र है जो आम सहमति से निर्णय लेने और प्रशासन चलाने में भरोसा रखते हैं। लेकिन हाल की कुछ घटनाओं से यह महसूस होने लगा है कि लोकतंत्र को पीछे धकेला जा रहा है और इस बात की पूरी कोशिश है कि देश को हिन्दू राष्ट्र से आगे उसे कुलीन तंत्र में बदल दिया जाए। यह एक खतरनाक संकेत हैं। यह कौन कर रहा है और कैसे कर रहा है इसपर देश के तमाम राजनीतिक दलों और वैचारिक प्रतिबद्धता की लड़ाई लड़ने वाले बुद्धिजीवियों को सोचना होगा। देर की तो शायद बहुत मुश्किल हो जाएगी।
संसद में हंगामे से नाराज राष्ट्रपति ने सांसदों को 3D की सीख दी
संसद के दोनों सदनों में जारी गतिरोध से राष्ट्रपति बेहद आहत और नाराज हैं। राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने संसद नहीं चलने को लेकर सांसदों को नसीहत दी है। उन्होंने सांसदों को लोकतंत्र की 3डी की अहमियत भी बताई। हालांकि राष्ट्रपति के निशाने पर विपक्ष था लेकिन उन्होंने कहा कि उनकी यह सलाह सभी सांसदों और दलों के लिए है।
CWC बैठक में बोले राहुल, सत्ता के अहंकार में चूर है मोदी सरकार
कांग्रेस कार्यसमिति (सीडब्ल्यूसी) की बैठक में कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्र सरकार पर जबरदस्त तरीके से निशाना साधा। राहुल ने पीएम मोदी को सत्ता के मद में चूर करार दिया तो मनमोहन सिंह ने कहा है कि मोदी सरकार में लोकतंत्र सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। संसद के शीतकालीन सत्र के पहले हुई इस बैठक में मौजूदा राजनीतिक हालातों पर चर्चा की गई।
दायरे में काम करे लोकतंत्र का हर अंग : राष्ट्रपति
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने न्यायाधीशों को ‘न्यायिक सक्रियता’ के जोखिमों के प्रति सचेत करते हुए कहा कि अधिकारों का उपयोग करते हुए हर समय सामंजस्य स्थापित करना चाहिए। प्रणब ने कहा कि संविधान सर्वोच्च है और लोकतंत्र के हर अंग को अपने दायरे में रहकर काम करना चाहिए।