देखिए! प्रधान सेवक की बात के.के. पांडेय के साथ, एपिसोड-5 ; गंगा संरक्षण और जी.डी. अग्रवाल की कुर्बानी
'प्रधानसेवक की बात' की 5वीं कड़ी में वरिष्ठ पत्रकार कृष्ण किशोर पांडेय (के.के.पांडेय) ने गंगा सफाई अभियान और अविरल गंगा की मांग को लेकर प्रो. जीडी अग्रवाल के बेमियादी अनशन के दौरान दिवंगत होने जैसे मुद्दे पर मोदी सरकार की चुप्पी पर सवाल उठाए हैं।
पुण्य प्रसून बाजपेयी ने तोड़ी चुप्पी, लिखा- 'मास्टर स्ट्रोक रोकने के पीछे सत्ता का ब्लैक स्ट्रोक'
जब खुले तौर पर सत्ता का खेल हो रहा है तो फिर किस एडिटर गिल्ड को लिखकर दें या किस पत्रकार संगठन से कहें कि संभल जाओ। सत्तानुकूल होकर मत कहो कि शिकायत तो करो फिर लड़ेंगे। गुहार यही है कि लड़ो मत पर दिखायी देते हुए सच को देखते वक्त आंखों पर पट्टी तो ना बांधो।
दलीय स्वार्थ से ऊपर उठना जरूरी
पिछले 70 साल में केंद्र में भी और राज्यों में भी विभिन्न दलों की सरकारों को जनता ने मौका दिया है। पहले की तरह आज भी जनता सबकी बात सुनेगी और वह अपने हिसाब से ही फैसला देगी। लेकिन राजनीतिक दलों को यह जरूर सोचना चाहिए कि वे अपनी बात जनता तक सही ढंग से पहुंचा सकें। अगर देश की जनता को गुमराह करने का कोई प्रयास होता है तो उसे सही रास्ते पर लाने का प्रयास करना भी राजनीतिक दलों की ही जिम्मेदारी है।
सरदार पटेल की नजर में पंडित नेहरू
कुछ दिनों पहले एक पुराना दस्तावेज मिला, जिसमें पटेल ने नेहरू के बारे में अपने संस्मरण लिखे थे। इसे पढ़ा जाना चाहिए, कम से कम आज के संदर्भों में जब दोनों के रिश्तों को लेकर बहुत कुछ कहा जा रहा है। पटेल ने ये विचार नेहरू जी के 60वें जन्मदिवस पर जाहिर किए थे। 14 नवंबर 1949 को इस मौके पर नेहरू पर एक ग्रंथ का प्रकाशन हुआ जिसमें सरदार पटेल, सर्वपल्ली राधाकृष्णन, गोविंद वल्लभ पंत समेत कई महान नेताओं ने उनके बारे में अपने विचार जाहिर किए थे।
सवाल देश बचाने का
बसपा सुप्रीमो मायावती ने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान इवीएम के साथ किसी साजिश के तहत छेड़छाड़ करने का जो आरोप लगाया है वह वास्तव में गंभीर है। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और कांग्रेस ने भी इस तरह की आशंका जताई है। अगर देश के सामने इस तरह की चुनौतियां मुंह बाए खड़ी हैं तो तमाम राजनीतिक दलों और व्यक्तियों को स्वार्थ से ऊपर उठकर देश बचाओ की एक सूत्री नीति को अपनाना होगा और उसके लिए प्रभावकारी रणनीति भी तैयार करनी होगी।
सत्ता की कसौटी पर अटल बड़े या मोदी?
देश की वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य में एक सवाल यह उठ रहा है कि भाजपा के नेतृत्व में बने अटल सरकार और नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में चल रही वर्तमान भाजपा सरकार की कार्यप्रणाली में अंतर है या नहीं। और अगर है तो उसकी दिशा क्या है। वाजपेयी की कार्यप्रणाली और मोदी सरकार की कार्यप्रणाली की तुलना इसलिए जरूरी है ताकि यह पता चल सके कि भाजपा की नीतियों के अनुरूप कौन सी कार्यप्रणाली अपनी कसौटी पर खरी उतरती है।
इंदिरा गांधी कला केंद्र बोर्ड भंग, बिफरी कांग्रेस
केंद्र सरकार ने आईजीएनसीए बोर्ड को तत्काल प्रभाव से भंग कर दिया। हिंदी के वरिष्ठ पत्रकार राम बहादुर राय को इसका नया अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ प्रवक्ता आनंद शर्मा ने मोदी सरकार के इस कदम को 'क्रूर मजाक' करार दिया है।