महाराष्ट्र में सत्ता की जंग पहुंची दिल्ली, आज सोनिया से मिलेंगे पवार तो शाह से मिलेंगे फडणवीस
महाराष्ट्र में नई सरकार के गठन को लेकर चल रही सियासी जंग अब दिल्ली में लड़ी जाएगी। सोमवार को दिल्ली में देवेंद्र फडणवीस अमित शाह से मिलने वाले हैं, वहीं एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी से मिलने वाले हैं।
शिवसेना का दावा; आम चुनाव 2019 में भाजपा की 110 सीटें कम होंगी
शिवसेना ने भाजपा पर प्रहार करते हुए कहा है कि उप चुनाव के नतीजे और मौजूदा रुझान इस ओर इशारा कर रहे कि केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा को 2019 लोकसभा चुनाव में 100-110 सीटों का नुकसान होगा। सामना में लिखे संपादकीय में शिवसेना ने भाजपा से पूछा है कि 2014 के बाद सत्ता में बने रहने के लिए उसने कितनी सौदेबाजियां की हैं।
फिर बिफरी शिवसेना, लिखा- 'अच्छे दिन' की रोजाना हो रही है हत्या
शिवसेना ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर बढ़ती महंगाई और तेल के बढ़ते दाम पर जोरदार निशाना साधते हुए कहा कि मोदी सरकार द्वारा रोजाना 'अच्छे दिन' की 'हत्या' हो रही है। शिवसेना ने सामना के संपादकीय में लिखा, कैबिनेट का यह नवरत्न पेट्रोल मूल्यवृद्धि का समर्थन कर रहा है क्योंकि उसे अपनी जेब से पैसे नहीं देने पड़ते।
भाजपा के मुख्तार बोले - वंदे मातरम को ना गाना देशद्रोह नहीं
केन्द्रीय मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता मुख्तार अब्बास नकवी ने अपनी पार्टी लाइन से इतर बयान देकर सबको चौंका दिया है। उन्होंने राष्ट्रगीत वंदे मातरम को लेकर मची तकरार के बीच कहा है कि वंदे मातरम गाना या ना गाना किसी की व्यक्तिगत पसंदगी की बात होनी चाहिए और जो नहीं गाता उसे देशद्रोही करार नहीं दिया जाना चाहिए।
जो ठीक नहीं वहां शिवसेना बोलेगी ही : उद्धव ठाकरे
शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने सामना को प्रदीर्घ लाइव साक्षात्कार दिया है। इस साक्षात्कार को उत्सफूर्त, बेबाक और उफान लाने वाला कहा जा सकता है। उद्धव ठाकरे का साक्षात्कार मतलब अन्याय पर वार और महाराष्ट्र द्वेषियों पर हमला। जीएसटी से लेकर नोटबंदी तक, चीन से लेकर कश्मीर तक और कर्जमुक्ति से लेकर भाजपा के व्यवहार को लेकर किए गए सवालों के उद्धव ठाकरे ने बेबाकी से जवाब दिए।
शिवसेना का तंज; पैसे हों तो चांद पर हो रहा चुनाव भी जीत सकते हैं
शिवसेना ने केंद्र की मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए सामना के संपादकीय में लिखा है, ‘पंचायत से लेकर नगर निगमों तक के चुनाव जीत लेना आसान है। यदि आपके पास पैसा है तो आप चांद पर हो रहा चुनाव भी जीत सकते हैं। इसका मतलब यह नहीं है कि जनता आपकी नौकर है। इसका यह मतलब नहीं कि किसानों को उनके हाल पर छोड़ दिया जाए।
सोग़ मनाना फ़ुजूल इसलिए जश्न की बात
भाजपा ने ऐलान किया है कि मोदी सरकार की उपलब्धियों के तीन साल पूरे करने पर जश्न धुंआधार मनेगा। मंत्री संतरी सब जश्न-ए-सरकार में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेंगे। मोदीफेस्ट को भव्य बनाने की तैयारी जोरों पर है। लेकिन सवाल उठता है कि देश को चलाने में क्या सरकार सही मायनों में सफल हुई है? क्या हर दूसरे दिन हमारा सैनिक शहादत नहीं पा रहा है? क्या किसान आत्महत्या नहीं कर रहा है? क्या गौमाता के नाम पर समुदाय विशेष को निशाना बनाने का क्रम थमा है और झारखंड में हाल ही में भीड़ के पागलपन का शिकार बने युवाओं की मौत भला किस सरकार की सफलता का पैमाना हो सकती है? कुल मिलाकर देश का जवान, किसान और आम हिन्दुस्तानी खुद को फनां कर रहा है और सोग़ मनाने के बजाए इन बरबादियों का जश्न मनाने पर जोर दिया जा रहा है।
उद्धव ठाकरे को मोदी, शाह और भाजपा पर गुस्सा क्यों आता है?
सदियों से एक कहावत चली आ रही है, 'गुड़ खाना और गुलगुले से परहेज करना'। शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे पर यह बड़ी सटीक बैठती है। केंद्र की सरकार हो, बीएमसी हो या फिर महाराष्ट्र की सरकार हो भाजपा-शिवसेना का मजबूत गठजोड़ हर जगह कायम है फिर भी उद्धव को मोदी, शाह और भाजपा पर गुस्सा आता है और जब तब वह अपने मुखपत्र सामना में संपादकीय के माध्यम से अपने गुस्से को सार्वजनिक भी करते रहते हैं।
नोटबंदी से फैली 'आर्थिक अराजकता' के लिए शिवसेना ने PM मोदी को ठहराया जिम्मेदार
केंद्र और महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ एनडीए में शामिल शिवसेना ने 500 और 1000 रुपये के पुराने नोट बंद करने को जनता के साथ धोखा करार देते हुए सवाल किया कि क्या जनता अब भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का समर्थन करेगी। शिवसेना ने सरकार के 8 नवंबर के गोपनीय मिशन की तुलना एक आर्थिक गृहयुद्ध से की और कहा कि मोदी विमुद्रीकरण के जरिए पहले ही एक बम गिरा चुके हैं। जिस तरीके से मोदी सरकार ने इस योजना को क्रियान्वित किया है, उससे देश में आर्थिक अराजकता की स्थिति पैदा हो गई है।
मराठा आक्रोश और सियासी दबाव के बाद झुका सामना, मांगी माफी
जिस हिंसात्मक विरोध के जरिए शिवसेना मराठाओं के हक की लड़ाई लड़ने की बात करती है आज उसे उसी तरह के विरोध का सामना करना पड़ा। सेना के मुखपत्र सामना में छपे कार्टुन से नाराज मराठाओं ने नवी मुंबई स्थित कार्यालय पमराठा आक्रोश को देखते हुए सामना के कार्टूनिस्ट ने मराठाओं से माफी मांग ली है।