अटल बिहारी वाजपेयी किसी एक शख्सियत का नाम नहीं बल्कि एक युग का नाम है। जिसमें लोगों को उतार-चढ़ाव, हृदय भेदी शब्दों के पुरोधा और एक समर्पित संघ सदस्य को जानने का मौका मिलता है। अटल ने राजनीति के उस पुराने दौर को अपने जीवन में ताउम्र अपनाए रखा। विरोधियों पर तंज तो कसे लेकिन शालीनता के दायरे में रहकर और नाटकीयता से कोसों दूर रहकर।
मौत की आंखों में देखकर उसे हराने के जज्बे को कविता के रूप में गढ़ने वाले पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी आखिरकार अटल मौत से हार गए। 93 साल की उम्र में गुरुवार दोपहर बाद दिल्ली के एम्स अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांस ली।