दुष्यंत आज बहुत याद आ रहें हैं और वो हमेशा याद आते हैं जब राजनीति राज के लिए नहीं बल्कि अपने फायदे के लिए गढ़ी जाती है। हर दल अपने हिसाब, अपनी पसंद और अपने नफे के लिए जो मन चाहे वो हमारे सामने परोस कर रख देता है। और चूंकि हम झुनझुने हैं हमें वो अपने तरीके से बजाते हैं।