खान-पान को लेकर भीड़ द्वारा किसी की हत्या संविधान की हत्या है : जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़
बॉम्बे हाईकोर्ट में बॉम्बे बार एसोसिएशन द्वारा आयोजित जस्टिस देसाई मेमोरियल लेक्चर में सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने मॉब लिंचिंग को लेकर कहा है कि जब किसी शख्स को उसके खानपान की वजह से पीट-पीटकर मार दिया जाता है तो यह उसकी नहीं, बल्कि संविधान की हत्या होती है.
मोबोक्रेसी पर SC का चाबुक
21 वीं सदी के भारत में मॉब लिंचिग या भीड़तंत्र के लिए जैसे सख्त रूख की जरूरत थी सुप्रीम कोर्ट ने ठीक वैसा ही किया। मोबोक्रेसी की डिमोक्रेसी में कोई जगह नहीं है और इसकी जिम्मेदारी सरकारों की है। कानून-व्यवस्था का दारोमदार जहां राज्य सरकारों पर है वहीं नए कानून को गढ़ने की मशक्कत केन्द्र को करनी होगी। कानून सख्त हो, लोगों को सबक सिखाए इसका पूरा ख्याल सर्वोच्च अदालत ने रखा है। इसलिए दिशा निर्देश का ऐसा चाबुक चलाया है जो भीड़तंत्र को काबू करने में सक्षम हो और इसके खिलाफ जाने वालों को, चाहें वो बड़ा अधिकारी हो या फिर जिम्मेदार प्रतिनिधि उसकी नकेल कस सके।