राहुल की कांग्रेस के लिए जनादेश के मायने
याद करें, ठीक एक साल पहले 11 दिसंबर 2017 को राहुल गांधी ने कांग्रेस की बागडोर संभाली थी। तब किसी ने ऐसी अपेक्षा ऩहीं की थी कि एक साल के छोटे से कार्यकाल में विरोधियों के तंज का शिकार होने वाले इस शख्स को लोग बांहें फैलाकर इस तरह से स्वीकार करेंगे। पांच राज्यों के चुनावी नतीजों से यकीनन भारतीय राजनीतिक परिदृश्य पर राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी दोनों का वजूद बढ़ा है। पार्टी की जिम्मेदारियों में भी इजाफा हुआ है। 2019 की बिसात बिछ चुकी है और राहुल गांधी को सामने खड़े मोदी, शाह और भाजपा के साथ-साथ महागठबंधन की राजनीति और उसमें शामिल दलों व नेताओं की हर चाल को समझ-बूझकर चलने के लिए तैयार रहना होगा। कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में ऐसा करने में राहुल अगर कामयाब रहे तो यकीनन उनका कद और बढ़ेगा और नरेन्द्र मोदी के समकक्ष उनकी हैसियत को लोग गंभीरता से देखेंगे।
जनादेश पर बोले राहुल; 2019 में भी भाजपा को हराएंगे, लेकिन किसी को भारत मुक्त करने का इरादा नहीं
विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के शानदार प्रदर्शन से उत्साहित पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि इस जनादेश का संदेश बड़ा साफ है कि देश की जनता नरेंद्र मोदी के काम से खुश नहीं है और अगले साल लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस नरेंद्र मोदी और भाजपा को पराजित करेगी।
जनादेश 2018 ; अति की हद पर अर्द्धविराम
हदें केवल देशों की ही नहीं होती हैं। हदें इच्छाओं और महत्वाकांक्षाओं की भी होती हैं। निजी संपत्ति और अति की भी होती हैं। राजनीति में झूठ, जुमलेबाजी, नकरात्मकता और पोंगापंथी की भी होती है। इन पर पहले अर्द्धविराम फिर पूर्ण विराम लगता है। अभी अर्द्धविराम लगा है। 2019 में पूर्ण विराम लगाने का आगाज है। इस लिहाज से यह शुरुआत है राजनीति में नकरात्मकता के अंत का। अब इसे कोई नेता नहीं रोक सकता। यह जनता का फैसला है। यह किसी नेता के मन की बात नहीं है। यह सार तत्व है पांच राज्यों में विधानसभा चुनावों के नतीजों का।