भारत का बैंकिंग सेक्टर (सरकारी और निजी बैंक) इन दिनों काफी बुरे दौर से गुजर रहा है। इसकी अहम वजह, जोखिम वाले कर्ज (एनपीए) है। नरेंद्र मोदी ने मई 2014 में देश की बागडोर संभाली थी। इस दौरान जोखिम वाले कर्ज को ठंडे बस्ते में डालने की प्रक्रिया तुलनात्मक रूप से तेज हुई। पीएम मोदी के अब तक के शासनकाल में 3,57,341 करोड़ रुपये को बट्टे खाते में डाला जा चुका है।