अर्थ की व्यवस्था : धोखा या नियति?
अघोषित संपत्ति या दूसरे शब्दों में कहें तो बेनामी धन-दौलत को सिस्टम से बाहर करने की कोशिश में भारत पूरी तरह से नाकामी हाथ लगी है। ऐसे में एक बड़ा सवाल यह उठता है कि नोटबंदी कामयाब रही या नाकाम? आरबीआई के आंकड़ों की मानें तो नोटबंदी बड़े पैमाने पर नाकाम हुई है। और इसी वजह से मोदीनॉमिक्स की लाख कोशिशों के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था पटरी पर आने का नाम नहीं ले रही है। कड़वी दवा से लेकर बिजनेस डिप्लोमेसी तक, सभी तरह के नुस्खे आजमाने के बावजूद भारत की मुद्रा अमेरिकी डॉलर के समक्ष घुटने टेकी हुई है।
अपनों से घिरी मोदीनॉमिक्स
भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण शौरी और यशवंत सिन्हा ने मोदी सरकार एक बार फिर चरमराती भारतीय अर्थव्यवस्था पर गंभीर सवाल उठाते हुए कहा है कि देश की आर्थिक सेहत ठीक नहीं हैं। भाजपा और आरएसएस के अंदर से ही कई आवाजें उठी हैं जिसमें यशवंत सिन्हा, सुब्रमण्यम स्वामी, एस. गुरुमूर्ति, मोहन भागवत आदि शामिल हैं।
विदेशी जमीन पर राहुल ने यूं खोली 'मोदीनॉमिक्स' की पोल
कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आर्थिक नीतियों की कड़ी आलोचना करते हुए केंद्र सरकार के नोटबंदी के निर्णय को अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारने सरीखा बताया। उन्होंने कहा कि नोटबंदी जैसे खतरनाक निर्णय और जल्दबाजी में लागू जीएसटी व्यवस्था भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए भारी नुकसान की वजह बने हैं।