राष्ट्रपति ने माना, PM मोदी से रहे वैचारिक मतभेद लेकिन उसे अपने पास ही रखा
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने पहली बार इस बात का खुलासा किया कि उनके और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच कुछ वैचारिक मतभेद रहे हैं, लेकिन दोनों ने अपने-अपने मतभेद अपने पास रखे और सरकार के कामकाज को प्रभावित नहीं होने दिया। प्रणब मुखर्जी ने राष्ट्रपति भवन में अपने जीवन पर ‘प्रेसीडेंट प्रणब मुखर्जी- ए स्टेट्समैन’ नामक किताब विमोचन के अवसर पर इस रहस्य का खुलासा किया।
भावुक हुए PM, बोले- पिता की तरह प्रणब दा ने रखा मेरा ख्याल
राष्ट्रपति पद से इसी महीने सेवामुक्त होने वाले प्रणब मुखर्जी की रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक कार्यक्रम में जमकर तारीफ़ की। मोदी ने कहा कि प्रणब दा ने पिता की तरह हमेशा उनका ख्याल रखा। ऐसा कहते हुए पीएम मोदी एकदम से भावुक हो गए।
राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी पर इतनी माथापच्ची क्यों?
अगले महीने होने वाले राष्ट्रपति चुनाव को लेकर सियासत तेज हो गई है। एक तरफ सत्ताधारी पार्टी भाजपा और दूसरी तरफ कांग्रेस के नेतृत्व में तमाम विपक्षी पार्टियां देश का अगला राष्ट्रपति कौन हो इसको लेकर माथापच्ची कर रहे हैं। राजनीति कहती है कि जब आपके पास विकल्प हो तो इतनी माथापच्ची नहीं करनी चाहिए। लेकिन नरेंद्र मोदी और अमित शाह की दिक्कत यह है कि जो विकल्प मौजूद हैं शायद वह उनके मनमाफिक नहीं। सियासी पंडितों का मानना है कि भाजपा के वरिष्ठ नेता और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के राजनीतिक गुरु लाल कृष्ण आडवाणी राष्ट्रपति पद के लिए सबसे सशक्त विकल्प हो सकते हैं। शायद विपक्ष की तरफ से भी आडवाणी के नाम पर सहमति बन जाएगी। दूसरे विकल्प के तौर पर वर्तमान राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी के कार्यकाल को भी आगे बढ़ा जा सकता है।
प्रणब मुखर्जी ने दिए संकेत; 2017 के राष्ट्रपति पद की दौड़ का वो हिस्सा नहीं
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने गुरुवार को स्पष्ट रूप से संकेत दे दिया कि वह राष्ट्रपति पद के दूसरे कार्यकाल की रेस का हिस्सा नहीं हैं। उन्होंने कहा, 'मेरे कार्यकाल की समाप्ति में ठीक दो महीने बचे हैं। 25 जुलाई को एक नया राष्ट्रपति पदभार ग्रहण करेगा। मैं उन सभी अधिकारियों को वापस उनके मंत्रालयों और विभागों में भेज रहा हूं जिन्होंने मेरे साथ काम किया है और जहां से उन्हें लाया गया था। एक को वाणिज्य मंत्रालय में और दो को विदेश मामले के मंत्रालय में भेजा गया है।'
भारत के राष्ट्रपति
भारत के राष्ट्रपति राष्ट्र के प्रमुख और भारत के प्रथम नागरिक होते हैं, साथ ही भारतीय सशस्त्र सेनाओं के प्रमुख सेनापति भी। सिद्धांतत: राष्ट्रपति के पास पर्याप्त शक्ति होती है। लेकिन कुछ अपवादों के अलावा राष्ट्रपति के पद में निहित अधिकांश अधिकार वास्तव में प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाले मंत्रिपरिषद के द्वारा उपयोग किए जाते हैं। राष्ट्रपति को भारतीय संसद के दोनो सदनों (लोक सभा और राज्य सभा) तथा साथ ही राज्य विधायिकाओं (विधान सभाओं) के निर्वाचित सदस्यों द्वारा पांच वर्ष की अवधि के लिए चुना जाता है।