चार राज्यों में विधानसभा चुनावों से ठीक पहले आरक्षण पर मोहन भागवत के बयान से गरमाई सियासत
महाराष्ट्र, हरियाणा, झारखंड और दिल्ली में विधानसभा चुनाव से पहले आरक्षण के मुद्दे को एक बार हवा देते हुए सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा कि इसके पक्ष और विपक्ष के लोगों के बीच सौहार्दपूर्ण माहौल में बातचीत होनी चाहिए।
आरक्षण पर क्या कहता है संविधान व कानून
सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण के लिए 50 फीसदी की सीमा तय कर रखी है और अगर यह आंकड़ा 50 फीसदी को पार करता है तो निश्चित तौर पर मामला ज्यूडिशियल स्क्रूटनी के लिए सुप्रीम कोर्ट के सामने आएगा और फिर स्क्रूटनी में ऐसे फैसले का टिकना थोड़ा मुश्किल होगा। सुप्रीम कोर्ट के एक ऐतिहासिक फैसले में कहा गया है कि आरक्षण 50 फीसदी की सीमा को लांघ नहीं सकती है।
इस आरक्षण से बदलेगा देश!
लोकसभा में आर्थिक आधार पर आरक्षण बिल पारित होने के बाद मीडिया में और राजनीति तौर पर इसे सवर्ण आरक्षण बिल भी कहा जा रहा है, क्योंकि इसका लाभ आर्थिक आधार पर पिछड़े सवर्णों को मिलने की बात कही जा रही है। मैं निजी तौर पर जातिगत आरक्षण का घोर विरोधी हूं और इसीलिए सवर्ण आरक्षण का भी, लेकिन इस आरक्षण का फैसला लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह जरूर साबित करने की कोशिश की है कि सबका साथ सबका विकास सिर्फ चुनावी जुमला नहीं है।
सरसंघचालक मोहन भागवत ने माना; असली समस्या आरक्षण की राजनीति है, आरक्षण नहीं
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के 'भविष्य का भारत: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का दृष्टिकोण' कार्यक्रम के आखिरी दिन मोहन भागवत ने लोगों के सवालों के जवाब दिए। इसी क्रम में आरक्षण पर मोहन भागवत ने कहा कि आरक्षण असली समस्या नहीं है, बल्कि असली समस्या तो आरक्षण की राजनीति है।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से पूछा, क्या आरक्षण अनंत काल तक जारी रहना चाहिए?
अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के कर्मचारियों को पदोन्नति में आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि आरक्षण का पूरा सिद्धांत उन लोगों की मदद देने के लिए है, जो सामाजिक रूप से पिछड़े हैं।
सोशल मीडिया बना भारत बंद की वजह, बिहार में कई जगह आगजनी और फायरिंग
सोशल मीडिया के जरिये विभिन्न संगठनों द्वारा बुलाए गए भारत बंद का असर सबसे ज्यादा बिहार में दिखा। कई जगह आगजनी, फायरिंग और पुलिस की जवाबी कार्रवाई में लाठीचार्ज की खबर है। सड़कें लंबे समय तक जाम रहीं।
दलितों पर अत्याचार रोकना है तो देने पड़ेंगे सवर्ण गरीबों को भी आरक्षण : अठावले
केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री रामदास अठावले ने सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों को 20-25 फीसदी आरक्षण देने के लिए संविधान में संशोधन की वकालत करते हुए कहा कि सवर्ण तबकों के गरीबों को शिक्षा एवं रोजगार में आरक्षण देने से दलितों पर अत्याचार थम जाएगा और जाति व्यवस्था खत्म होने में मदद मिलेगी।
PSU, बैंक और बीमा अफसरों के बच्चों को नहीं मिलेगा आरक्षण
पब्लिक सेक्टर कंपनियों, बैंकों और बीमा कंपनियों में काम कर रहे पिछड़े वर्ग के अफसरों के बच्चों को अब सरकारी नौकरियों और दाखिले में आरक्षण का फायदा नहीं मिलेगा। मोदी सरकार ने बुधवार को कैबिनेट की बैठक में ओबीसी आरक्षण के नियमों में अहम बदलाव किए हैं जिसके बाद अब क्रीमी लेयर में आने वाले लोगों में पब्लिक सेक्टर, बैंक और बीमा कंपनियों के अधिकारियों को भी शामिल किया गया है।
'मूक' आंदोलनकारियों ने रोकी मुम्बई की रफ्तार, आरक्षण की मांगों के साथ सड़क पर मराठा समाज
खामोशी से राज्य सरकार तक अपनी आवाज पहुंचाने के लिए तकरीबन 5 लाख मराठा शहर की सड़कों पर हैं। इस महारैली से आज मुंबई महाजाम से जूझ रही है। सरकारी नौकरियों और शिक्षा में 16 प्रतिशत आरक्षण की मुख्य मांग के साथ मराठा समाज के लोग प्रदर्शन कर रहें हैं। मराठा समाज का यह मूक मोर्चा है। इसमें कोई नारेबाजी और भाषणबाजी नहीं है, ना ही इस मोर्चे में किसी राजनीतिक दल का बैनर है।