रूपए की औकात आज इस हद तक गिर गई है कि एक डॉलर के लिए हमें अब करीब 72 रूपए चुकाने पड़ रहे हैं। किसी भी भारतीय के लिए यह सदमे से कम नहीं है। इसके पीछे जो आर्थिक तर्क दिए जा रहे हैं वह तो अपनी जगह हैं, पर आम जनता के गले यह बात नहीं उतर रही कि जब सरकारी आंकड़े इस बात का दम भर रहे हैं कि भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर ने चीन को भी पछाड़ दिया है तो फिर अपना रूपया इस कदर कमजोर क्यों होता जा रहा है।