कावेरी विवाद : मसौदा योजना पेश करने में मोदी सरकार फेल, कर्नाटक चुनाव का बनाया बहाना
कर्नाटक चुनाव को आधार बना केंद्र की मोदी सरकार एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट के समक्ष कावेरी नदी जल विवाद मामले में मसौदा योजना पेश करने में असमर्थता जताई। तमिलनाडु की तरफ से पेश वरिष्ठ वकील शेखर नेफाड़े ने अपने कड़े प्रत्युत्तर में कहा, अफसोस के साथ कहना पड़ रहा है, केंद्र सरकार मुद्दे का राजनीतिकरण कर रही है।
कसौली गोलीकांड पर SC की सख्त टिप्पणी, राज्य सरकार से कहा- अगर आप लोगों की जान लेंगे तो हम आदेश जारी करना बंद कर देंगे
हिमाचल प्रदेश के कसौली में असिस्टेंट टाउन प्लानर शैलबाला शर्मा की गोली मारकर हत्या मामले में सुप्रीम कोर्ट ने प्रदेश सरकार को जमकर फटकार लगाई है। मंगलवार को हुए इस गोलीकांड का सर्वोच्च न्यायालय ने स्वतः संज्ञान लिया है। महिला अधिकारी सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर होटल मालिक की संपत्ति में अवैध निर्माण को सील करने गई थी।
जस्टिस लोया पर फैसले की प्रति को लेकर कानून मंत्री पर कांग्रेस ने उठाए सवाल
जस्टिस बीएच लोया केस का फैसला सुनाए जाने के बाद कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी के बीच जुबानी जंग जोरो पर है। अब कांग्रेस ने कानून मंत्री के पास सबसे पहले पहुंची सर्वोच्च न्यायालय की प्रति को लेकर सवाल उठाए हैं। कांग्रेस ने गुरुवार को कहा कि यह कौतूहल का विषय है।
SC ने कहा- जस्टिस लोया केस की नहीं होगी दोबारा जांच, कांग्रेस बोली- कोर्ट का सम्मान, लेकिन..., भाजपा बोली माफी मांगें राहुल
सीबीआई के विशेष जज जस्टिस बीएच लोया की मौत की जांच एसआईटी द्वारा नहीं कराई जाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि ऐसी कोई साक्ष्य नहीं मिला है जिससे इस मौत पर संदेह किया जाए। साथ ही कोर्ट ने इसे न्यायिक प्रक्रिया को बदनाम करने की कोशिश भी करा दिया। वरिष्ठ कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद ने कहा है कि इस फैसले से बहुत लोगों के हाथ निराशा लगी होगी वहीं भाजपा ने इस याचिका के पीछे राहुल गांधी का हाथ बताते हुए उनसे माफी मांगने को कहा है।
जस्टिस कुरियन जोसेफ ने CJI को लिखी चिट्ठी, कहा- खतरे में है सुप्रीम कोर्ट का अस्तित्व
जस्टिस कुरियन जोसेफ ने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा को एक पत्र लिखा है जिसमें कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट का अस्तित्व खतरे में है और अगर देश की शीर्ष अदालत एक वरिष्ठ वकील और एक जज की प्रोन्नति के संबंध में कॉलेजियम की अनुशंसा पर सरकार की अनदेखी पर प्रतिक्रिया नहीं देता है तो इतिहास हमें माफ नहीं करेगा।
वॉचडॉग्स को सुना नहीं जाएगा तो उनके पास काटने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचेगा: जस्टिस जोसेफ
जस्टिस कुरियन जोसेफ ने मीडिया और न्यायपालिका को वॉचडॉग्स कहा है। जिन्हें अपने मालिक को भौंक कर अपनी बात बतानी होगी और अगर वो नहीं सुनेंगे तो किसी कुत्ते की ही तरह उन्हें काटने से गुरेज नहीं करना होगा। उनके मुताबिक लोकतंत्र की मजबूती के लिए मीडिया और न्यायपालिका को सजग रहना पड़ेगा। उन्होंने ये बातें केरल मीडिया एकेडमी के छात्रों से एक कार्यक्रम के दौरान कही।
एक सीट एक उम्मीदवार
भारतीय संसदीय प्रणाली के तहत हमारे जनप्रतिनिधित्व कानून में यह अधिकार दिया गया है कि कोई व्यक्ति लोकसभा चुनाव, विधानसभा चुनाव या फिर उपचुनाव में एक साथ दो सीटों पर चुनाव लड़ सकता है। 1996 से पहले दो से अधिक स्थानों पर चुनाव उम्मीदवारी की छूट थी और कोई व्यक्ति कितनी भी सीटों से चुनाव लड़ सकता था। 1996 में जन प्रतिनिधित्व कानून में संशोधन करके अधिकतम दो सीटों से चुनाव लड़ने का नियम बनाया गया।
SC/ST एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट ने स्टे देने से किया इनकार
एससी/एसटी एक्ट मामले में सु्प्रीम कोर्ट ने सरकार को तगड़ा झटका देते हुए तत्काल स्टे लगाने से इनकार कर दिया है। ऐसे में एक्ट में हाल ही में जो बदलाव उच्चतम न्यायालय ने किये थे, वो जारी रहेंगे। शीर्ष अदालत ने कहा कि हमने ऐक्ट को कमजोर नहीं किया है बल्कि गिरफ्तारी और सीआरपीसी के प्रावधान को परिभाषित किया है।
एससी/एसटी एक्ट पर केंद्र सरकार ने डाली पुनर्विचार याचिका
SC/ST एक्ट को लेकर 2 अप्रैल को भारत बंद का आह्वान किया गया। देश के कई राज्यों में हिंसक प्रदर्शनों का दौर जारी है। विभिन्न राज्यों में पुलिस लाठीचार्ज और प्रदर्शनकारियों के मारे जाने की भी खबर है। इधर, केन्द्र सरकार ने स्थिति का भयावहता के मद्देनजर सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर पुनर्विचार याचिका डाल दी है। जिस पर जवाब देते हुए कोर्ट ने कह दिया है कि मामले पर सुनवाई उचित समय पर की जाएगी।
एससी/एसटी एक्ट: मौनं स्वीकृति लक्षणम
एस/एसटी एक्ट को लेकर हंगामा बरपना था और वैसा ही हुआ। 2 अप्रैल को विरोध प्रदर्शनों का दौर चला, उग्र हुआ और कई लोगों को लील गया। हमारी सरकार को शायद इस हंगामे और हिंसक प्रदर्शन का आभास नहीं था या था तो शायद वो मौके के इंतजार में थी और हालात बिगड़ने के साथ ही पुनर्विचार याचिका कोर्ट में डाल दी। आखिर सरकार ने पहले केस को मजबूत करते आंकड़ें और दलीलें अदालत के सामने क्यों नहीं रखी? क्या इसे सोच समझकर वोट बैंक के लिए रचा गया? इसे मौनं स्वीकृति लक्षणम ना कहा जाए तो और क्या कहा जाए!