चीन ने फिर से किया वीटो का इस्तेमाल, चौथी बार मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी बनने से बचाया
सत्ता विमर्श डेस्क
जिनेवा : पाकिस्तान परस्त आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) द्वारा वैश्विक आतंकवादी घोषित करने की राह में चीन ने एक बार फिर अपना वीटो का इस्तेमाल किया। मसूद को वैश्विक आतंकी घोषित करने के प्रस्ताव पर फैसले से कुछ मिनट पहले चीन ने वीटो का इस्तेमाल करते हुए प्रस्ताव पर रोक लगा दी। इससे पहले 2017 में भी चीन ने ऐसा ही किया था। बीते 10 साल में संयुक्त राष्ट्र में मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित कराने का यह चौथा प्रस्ताव था।
नई दिल्ली में विदेश मंत्रालय ने इस घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए कहा, 'हम निराश हैं। लेकिन हम सभी उपलब्ध विकल्पों पर काम करते रहेंगे, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि भारतीय नागरिकों पर हुए हमलों में शामिल आतंकवादियों को न्याय के कठघरे में खड़ा किया जाए। मंत्रालय ने कहा, हम उन देशों के आभारी हैं जिन्होंने अजहर को वैश्विक आतंकवादी घोषित कराने की मुहिम में हमारा साथ दिया है।
चीन के वीटो से अमेरिका, रूस, ब्रिटेन और फ्रांस नाराज
वॉशिंगटन : आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने के प्रस्ताव पर चीन द्वारा फिर से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अड़ंगा लगाने के बाद सुरक्षा परिषद के सदस्य अन्य विकल्पों पर विचार करने में जुट गए हैं। चीन ने इस प्रस्ताव का विरोध किया, लेकिन भारत के लिए यह बड़ी बात है कि अन्य चार स्थायी सदस्य देश अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन और रूस, ने मसूद अजहर पर बैन का समर्थन किया। सुरक्षा परिषद के जिम्मेदार सदस्यों ने चीन को चेतावनी देते हुए कहा है कि यदि वह अपनी इसी नीति पर कायम रहता है तो फिर कार्रवाइयों के अन्य विकल्पों पर विचार किया जा सकता है। सुरक्षा परिषद के एक डिप्लोमैट ने चीन को चेतावनी देते हुए कहा, यदि चीन इस प्रस्ताव को रोकने की नीति जारी रखता है तो अन्य जिम्मेदार सदस्य सुरक्षा परिषद में अन्य ऐक्शन लेने पर मजबूर हो सकते हैं। ऐसी स्थिति पैदा नहीं होनी चाहिए। इससे पहले भी चीन ने तीन बार मसूद अजहर को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने के प्रस्ताव पर वीटो का इस्तेमाल कर अड़ंगा लगाया था।
मसूद अजहर को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की 1267 अलकायदा प्रतिबंध समिति के तहत प्रतिबंधित करने का प्रस्ताव फ्रांस, ब्रिटेन और अमेरिका की ओर से 27 फरवरी को रखा गया था। 2017 में भी चीन ने अड़ंगा लगाकर जैश सरगना मसूद को वैश्विक आतंकी घोषित होने से बचा लिया था। उस वक्त चीन ने मसूद के पक्ष में तर्क दिया था कि वह बहुत बीमार है और अब सक्रिय नहीं है और न ही वह जैश का सरगना है।
मालूम हो कि चीन संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में वीटो की शक्ति रखनेवाला सदस्य है और सबकी निगाहें चीन पर ही थीं जो पूर्व में भी अजहर को संयुक्त राष्ट्र से वैश्विक आतंकवादी घोषित कराने के भारत के प्रयासों में बाधा डाल चुका था। इससे पहले भारत ने अमेरिका और फ्रांस के साथ पुलवामा आतंकी हमले के बाद कुछ महत्वपूर्ण दस्तावेज शेयर किए थे ताकि मसूद के खिलाफ पुख्ता सबूत पेश किया जा सके।
एशिया में भारत से मुकाबले और वन बेल्ट वन रोड (ओबीओआर) प्रोजेक्ट में चीन को पाकिस्तान की जरूरत है। मुस्लिम देशों और गुटनिरपेक्ष देशों के संगठन में पाकिस्तान हमेशा चीन का साथ देता आया है। भारत-अमेरिका की दोस्ती भी चीन को बर्दाश्त नहीं है, इसलिए मसूद अजहर जैसे मुद्दे में चीन भारत को उलझाए रखना चाहता है। तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा के भारत में शरण से भी चीन भारत से काफी चिढ़ता है।