रूस के खिलाफ डोनाल्ड ट्रम्प ने की सबसे बड़ी कार्रवाई, 60 राजनयिकों को किया निष्कासित
वाशिंगटन/लंदन : ब्रिटेन में पूर्व रूसी जासूस और उनकी बेटी पर केमिकल अटैक के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने 60 रूसी राजनयिकों को निष्कासित करने का आदेश दिया है। जर्मनी के विदेश मंत्रालय ने भी चार रूसी राजनयिकों के निष्कासन की पुष्टि की है। इसे शीत युद्ध और सोवियत संघ से टकराव के दौर के बाद रूस के खिलाफ अमरीका की सबसे बड़ी कार्रवाई कहा जा रहा है। रूस के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि अमरीका के इस कदम से साफ होता है कि टकराव और बढ़ेगा। वो भी अमेरिका पर पलटवार करेगा।
ब्रिटेन के विदेश मंत्री बोरिस जॉनसन ने ट्वीट कर कहा, 'यह असाधारण अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया है। हमारे सहयोगी देशों ने ऐतिहासिक रूप से रूसी राजनयिकों को निष्कासित किया है।' यूरोपीय यूनियन के नेता पिछले हफ्ते इस बात को लेकर सहमत हुए थे कि दक्षिणी इंग्लैंड में पूर्व रूसी जासूस सर्गेई स्क्रिपल और उनकी बेटी यूलिया पर नर्व एजेंट से हमले के पीछे रूस का हाथ था। हालांकि रूस ने इन आरापों को सिरे से खारिज कर दिया है। समाचार एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार अमरीका सियेटल स्थित रूसी वाणिज्यदूतावास को भी बंद करेगा।
झगड़े की जड़ में ये है पूरी कहानी
कुछ दिन पहले दक्षिणी इंग्लैंड में रूस के एक पूर्व जासूस सर्गेई स्क्रिपल और उनकी बेटी यूलिया को जहर देकर मारने की कोशिश की गई थी। 66 साल के रिटायर्ड सैन्य खुफिया अधिकारी स्क्रिपल और उनकी 33 वर्षीय बेटी यूलिया सेलिस्बरी सिटी सेंटर में एक बेंच पर बेहोशी की हालत में मिले थे। ब्रिटेन ने आरोप लगाया कि उन्हें मारने के लिए रूस में बने नर्व एजेंट का इस्तेमाल किया गया है। इसके बाद से दोनों देशों के बीच तल्खी बढ़ गई। ब्रिटेन ने कार्रवाई करते हुए 23 रूसी राजनयिकों को निष्कासित कर दिया। जवाब में रूस ने भी अपने यहां से 23 राजनयिकों को निकालने के आदेश दिया। रूस लगातार अपने ऊपर लग रहे आरोपों को खारिज कर रहा है। उसका कहना है कि ब्रिटेन तमाम आरोपों के संबंध में पुख्ता सबूत पेश करे।
इससे पहले अमरीका ने कहा था, 4 मार्च को रूस ने इंग्लैंड में एक ब्रिटिश नागरिक और उनकी बेटी को मारने के लिए सैन्य श्रेणी के नर्व एजेंट का इस्तेमाल किया था। यह हमला हमारे सहयोगी ब्रिटेन पर था।' अमरीका का कहना है कि नर्व एजेंट से हमला अंतरराष्ट्रीय नियमों और केमिकल वेपन कन्वेंशन का उल्लंघन है। उधर, यूक्रेन के राष्ट्रपति पेट्रो पोरोशेंको ने भी 13 रूसी राजनयिकों को निकालने का फ़ैसला किया है। उन्होंने कहा कि यह कदम ब्रिटेन के समर्थन में है।
ब्रिटिश प्रधानमंत्री टेरीजा मे ने कई देशों द्वारा रूसी राजनयिकों के निकाले जाने के फैसले का स्वागत किया है। प्रधानमंत्री कार्यालय से जारी एक बयान में कहा गया, 'हम अपने सहयोगी देशों के इस फैसले का स्वागत करते हैं। हम सभी रूस को कड़ा संदेश देने के लिए कंधे से कंधा मिलाकर साथ खड़े हैं। बीबीसी के राजनयिक संवाददाता जोनाथन मार्कस का मानना है कि रूस और पश्चिमी देशों के बीच एक गंभीर राजनयिक संकट खड़ा हो गया है। रूस के खिलाफ ब्रिटेन के साथ 14 यूरोपीय देशों और अमरीका का आना जबरदस्त एकता का प्रदर्शन है। ऐसा तब है जब ब्रेग्जिट के कारण ब्रिटेन को लेकर यूरोप में तनावपूर्ण संबंध हैं। (बीबीसी की रिपोर्ट पर आधारित)