यूएनजीए में दिखी इमरान की बौखलाहट, कश्मीर में खूनखराबे की जताई आशंका, प्रतिबंध खत्म करने की यूएन से अपील
सत्ता विमर्श डेस्क
संयुक्त राष्ट्र : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) को संबोधित करने के बाद उनके पाकिस्तानी समकक्ष इमरान खान ने उसी मंच से जब भाषण दिया तो उनके संबोधन में कश्मीर को लेकर बौखलाहट साफ दिख रही थी। कश्मीर में लोगों पर लगाए गए मौजूदा प्रतिबंध की बात करते हुए इमरान ने खूनखराबा की चेतावनी दते हुए संयुक्त राष्ट्र से आग्रह किया कि प्रतिबंधों को हटाने के लिए वह भारत पर दबाव बनाए।
संयुक्त राष्ट्र महासभा के पांचवें दिन दक्षिण एशिया के दो सबसे बड़े देशों के दोनों शीर्ष नेताओं ने मंच को संबोधित किया। इमरान खान ने कश्मीर की स्थिति और 2002 में गुजरात में मुस्लिमों को निशाना बनाने के लिए कई मौकों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम लेकर उन पर हमला किया। अपने भाषण में प्रधानमंत्री मोदी ने मुख्य रूप से जहां अपनी चुनावी जीत, उनकी सरकार द्वारा शुरू किए गए जनकल्याणकारी कार्यक्रम और जलवायु परिवर्तन को लेकर भारत की पहल पर बात की, वहीं इमरान खान ने अपने 40 मिनट के भाषण में कश्मीर का मुद्दा उठाने से पहले तीन वैश्विक मुद्दों को उठाया जिसमें जलवायु परिवर्तन, अपने ही देश के अमीरों के भ्रष्टाचार के कारण गरीब देशों का पैसा बाहर जाने और इस्लामोफोबिया शामिल थे।
इमरान खान ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र को सबसे पहले कश्मीर से अमानवीय कर्फ्यू हटाने की कार्रवाई करनी चाहिए और सभी राजनीतिक नेताओं को हिरासत में रखे गए 11000 लड़कों को छुड़वाना चाहिए। इसके बाद दुनिया को कश्मीरियों को अपना फैसला खुद करने की स्वतंत्रता देनी चाहिए। खान ने कहा कि मोदी सरकार ने अपने अहंकार में यह मान लिया कि सभी प्रतिबंध हटने के बाद कोई विरोध प्रदर्शन नहीं होगा। लेकिन वे सड़कों पर निकलेंगे और सैनिक क्या करेंगे, वे उन्हें गोली मार देंगे। इसके गंभीर परिणाम होंगे। देखिए कर्फ्यू हटने के बाद क्या होता है। इमरान ने कहा कि अगर उनकी जगह पर मैं होता तो मैं भी हथियार उठा लेता।
इमरान ने कहा, मैं खुद को देखता हूं। मैं कश्मीर में हूं। 55 दिनों तक बंद रखा गया हूं। मैंने रेप के बारे में सुना। भारतीय सेना घरों में जा रही है। क्या मैं इस अपमान के साथ जीना चाहूंगा? मैं बंदूक उठा लेता। आप लोगों को कट्टरपंथी बनाने के लिए मजबूर कर रहे हैं। अगर लोग जीने के लिए इच्छाशक्ति खो देते हैं तो वे किसके लिए जीएंगे? खान ने दावा किया कि अगर खूनखराबा होता है तो इससे कश्मीर में कट्टरता बढ़ेगी और इस्लामिक दुनिया में भी। उन्होंने कहा, कर्फ्यू के बाद जो भी होगा… पाकिस्तान को दोषी ठहराया जाएगा। एक और पुलवामा होगा और पाकिस्तान को दोषी ठहराया जाएगा।
एक बार फिर से परमाणु हथियारों का मुद्दा उठाते हुए खान ने कहा कि दो परमाणु देशों के आमने-सामने आने पर फरवरी जैसे हालात पैदा हो जाएंगे। और कुछ होने पर इसकी जिम्मेदारी संयुक्त राष्ट्र की होगी। यूएन का गठन इसलिए हुआ था। मुझे लगता है कि हम 1939 में वापस आ गए हैं। खान 1938 के म्यूनिख समझौते का जिक्र कर रहे थे, जिसमें फ्रांस और ब्रिटेन ने हिटलर को चेकोस्लोवाकिया पर कब्जा करने की अनुमति दी थी। उन्होंने कहा, संयुक्त राष्ट्र 1.3 अरब लोगों को खुश करेगा या न्याय और मानवता के लिए खड़ा होगा। इमरान ने कहा कि यदि एक पारंपरिक युद्ध शुरू होता है तो भारत के मुकाबले सात गुना छोटे देश के रूप में एक विकल्प के रूप में पाकिस्तान या तो आत्मसमर्पण या अंत तक लड़ेगा। उन्होंने कहा, मेरा जवाब है… हम लड़ेंगे। और जब कोई परमाणु देश अंत तक लड़ता है तो परिणाम कुछ भी हो सकते हैं।
इमरान ने कहा, मैं आपको चेतावनी दे रहा हूं। यह कोई धमकी नहीं है। यह एक बाजिब चिंता है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने यूएन को यह भी बताया कि मोदी, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और नाज़ीवाद की विचारधारा के बीच एक संबंध था। उन्होंने कहा, यह हिटलर और मुसोलिनी से प्रेरित एक संगठन है। वे नस्लीय शुद्धता और श्रेष्ठता में विश्वास करते हैं। वे मुसलमानों और ईसाइयों की जातीय सफाई में विश्वास करते हैं। उनका मानना है कि मुस्लिमों और फिर ब्रिटिश शासन द्वारा हिंदू शासन के एक स्वर्ण युग को रोका गया था।
आरएसएस के संस्थापकों गुरु गोलवलकर और वीर सावरकर को पर निशाना साधते हुए इमरान ने गूगल से उन्हें जानने की सलाह देते हुए इमरान ने दावा किया कि यह नफरत की विचारधारा थी जिसने ‘महान महात्मा’ की हत्या कर दी। भारतीय प्रधानमंत्री पर सीधा निशाना साधते हुए खान ने कहा, यह नफरत की विचारधारा थी जिसने मोदी को मुस्लिमों को मारने के लिए सहारा देने की अनुमति दी। उन्होंने आरोप लगाया कि पिछले कांग्रेस के गृह मंत्री ने बयान दिया कि आरएसएस के शिविरों में आतंकवादियों को प्रशिक्षित किया जा रहा था। नस्लीय श्रेष्ठता के साथ घमंड भी आता है। यह अहंकार है जो लोगों से बेवकूफी वाली और क्रूर चीजें करवाता है। इसी अहंकार ने कि उन्हें अंधा कर दिया है कि जब कर्फ्यू हटा लिया जाएगा तो क्या होगा।
इस्लामोफोबिया का मुद्दा उठाते हुए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान कहा कि 9/11 हमलों के बाद इस्लामोफोबिया (इस्लाम का भय) चिंताजनक ढंग से बढ़ा है और यह विभाजन पैदा कर रहा है जहां हिजाब पहनने को कुछ देशों ने समुदाय के खिलाफ ‘हथियार’ बना लिया है। खान ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने पहले संबोधन में जलवायु परिवर्तन, धन शोधन एवं इस्लामोफोबिया सहित विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की। खान ने कहा कि पश्चिमी देशों में अरबों मुस्लिम अल्पसंख्यकों की तरह रह रहे हैं तथा 9/11 के हमले के बाद से इस्लामोफोबिया चिंताजनक गति से बढ़ा है।
इमरान ने कहा, इस्लामोफोबिया विभाजन पैदा कर रहा है, हिजाब एक हथियार बन गया है, एक महिला अपने वस्त्र निकाल सकती है किंतु वह अधिक वस्त्र नहीं पहन सकती। यह 9/11 के बाद हुआ है तथा यह इसलिए शुरू हुआ क्योंकि कुछ पश्चिमी देशों ने इस्लाम की तुलना आतंकवाद से की है। खान ने ‘कट्टरपंथी इस्लामिक आतंकवाद’ शब्द के प्रयोग पर सवाल उठाया और कहा कि इस्लाम केवल एक है। उन्होंने कहा, कट्टरपंथी इस्लाम जैसी कोई चीज नहीं है।’ उन्होंने कहा कि हर धर्म में कट्टरपंथी कृत्य करने वाले लोग होते हैं।
खान ने कहा, प्रत्येक धर्म का आधार करूणा एवं न्याय है तथा वही हमें जानवरों की दुनिया से अलग करते हैं। पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने संरा से कहा कि अन्य धर्मों के प्रति भी समझ होनी चाहिए किंतु उन्हें वैश्विक आबादी के बीच विभाजन पैदा करने के रूप में देखा जा रहा है। खान ने कहा कि नेताओं द्वारा कट्टरपंथी इस्लामी आतंकवाद के प्रयोग ने इस्लाम के प्रति भय पैदा किया है और मुस्लिमों को तकलीफ दी है। उन्होंने पूछा, यह (शब्द) क्या संदेश देता है? न्यूयॉर्क का कोई व्यक्ति नरमपंथी मुसलमानों एवं कट्टर मुस्लिमों में कैसे भेद करेगा?
उन्होंने कहा, यूरोपीय देशों में यह मुस्लिमों को हाशिए पर डाल रहा है और इससे कट्टरपंथ बढ़ रहा है। कुछ आतंकवादी वंचित मुस्लिम समुदायों से हैं। हम मुस्लिम नेताओं ने इस समस्या का समाधान नहीं किया। सभी मुस्लिम नेता नरमपंथी बन गए और हमारी सरकार ने ‘प्रबुद्ध नरमपंथ’ की कहावत गढ़ दी। उन्होंने कहा, गलतफहमियां जो लोगों को मुस्लिमों के खिलाफ एकजुट करती हैं उन्हें दूर किया जाएगा, ईशनिंदा के मुद्दे को सही परिप्रेक्ष्य में समझाया जाएगा, हमारे अपने लोगों और दुनिया को शिक्षित/ सूचित करने के लिए फिल्मों एवं श्रृंखलाओं का निर्माण किया जाएगा, मुस्लिमों (से जुड़े विषयों) को मीडिया में विशेष स्थान दिया जाएगा।
जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर खान ने कहा कि इस पर कई नेता बात करते हैं लेकिन इसमें गंभीरता का अभाव है. उन्होंने कहा, हम स्थिति की गंभीरता को नहीं समझ रहे हैं। हमारे पास कई विचार हैं लेकिन वित्तपोषण के बिना वे महज भ्रम हैं। खान ने कहा, हमारा देश उन शीर्ष 10 देशों में से है जो जलवायु परिवर्तन से सबसे ज्यादा प्रभावित है। हमें 80 प्रतिशत जल हिमखंड से मिलता है। ये हिमखंड तेज गति से पिघल रहे हैं। ये ग्लेशियर भारत में हिमालय, कराकोरम और हिंदू कुश में भी हैं। मुझे डर है कि अगर कुछ नहीं किया गया तो लोगों को बड़ी आपदा झेलनी पड़ सकती है।
ग्लोबल वार्मिंग पर अपने प्रयासों को रेखांकित करते हुए खान ने कहा कि जब उनकी सरकार सत्ता में आई थी तो उन्होंने खैबर पख्तूनख्वा में एक अरब पौधे लगाए थे और 10 अरब और पौधे लगाने की योजना है। खान ने कहा कि एक देश कुछ नहीं कर सकता, इसके लिए पूरे विश्व को संयुक्त रूप से प्रयास करना होगा। साथ ही उन्होंने संयुक्त राष्ट्र से उन देशों पर दबाव बनाने को कहा जो ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन अधिक करते हैं।