हिंसक हुआ श्रीलंका का राजनीतिक संकट, रणतुंगा के सुरक्षा गार्ड ने बरसाई गोलियां, एक की मौत
कोलंबो : श्री लंका में राजनीतिक संकट ने हिंसक रूप ले लिया है। प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे को बर्खास्त करने के राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना के फैसले के बाद तब एक बड़ी हिंसक घटना हुई जब रविवार को पूर्व पेट्रोलियम मंत्री अर्जुन रणतुंगा के एक सुरक्षा गार्ड ने भीड़ पर गोलियां बरसा दी। इस घटना में एक व्यक्ति की मौत हो गई जबकि 2 अन्य घायल हो गए। जिस वक्त गार्ड ने गोलियां चलाईं, उस वक्त रणतुंगा अपने ऑफिस में प्रवेश कर रहे थे। घटना के बाद गार्ड को गिरफ्तार कर लिया गया। अभी यह पता नहीं चल पाया है कि गोलीबारी के पीछे उसका मकसद क्या था।
उल्लेखनीय है कि शुक्रवार को सिरीसेना की पार्टी ने विक्रमसिंघे के नेतृत्व वाले सत्तारूढ़ गठबंधन से हटते हुए पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे को पीएम पद की शपथ दिला दी। हालांकि, संसद के स्पीकर ने विक्रमसिंघे को फिर से पीएम के रूप में मान्यता दे दी है। विक्रमसिंघे ने पीएम का आधिकारिक आवास छोड़ने से इनकार कर दिया है। उनका कहना है कि उन्हें गैर-कानूनी तरीके से हटाया गया है।
उधर, बौद्ध भिक्षुओं सहित विक्रमसिंघे के 1000 समर्थक कोलंबो में पीएम आवास के बाहर जमा हो चुके हैं, जहां पीएम अपने गठबंधन सहयोगियों के साथ बैठक कर रहे हैं। प्रधानमंत्री आवास के नजदीक जवानों को तैनात किया गया है। हालांकि, उनकी सुरक्षा और आधिकारिक वाहन वापस ले लिए गए हैं। राजपक्षे ने अपनी नई कैबिनेट के गठन से पहले मंदिर में मत्था टेका। राजपक्षे के वफादारों ने बताया कि पुलिस अब विक्रमसिंघे को आधिकारिक आवास से हटाने के लिए कोर्ट जाएगी, जिससे गतिरोध और बढ़ने के आसार हैं।
इस बीच राष्ट्रपति सिरिसेना द्वारा नए पीएम के तौर पर शपथ ले चुके महिंदा राजपक्षे ने रविवार को पूरे घटनाक्रम पर बयान जारी कर अपना पक्ष रखा। राजपक्षे ने कहा, 'यूएनपी-यूपीएफए सरकार इसलिए सत्ता से बाहर हुई क्योंकि यूपीएफए ने गठबंधन छोड़ दिया। इसके बाद मुझे नई सरकार के गठन के लिए पीएम पद को स्वीकार करने का न्योता मिला।' बता दें कि यूपीएफए (यूनाइटेड पीपल्स फ्रीडम अलायंस पार्टी) राष्ट्रपति सिरिसेना की पार्टी है, जबकि यूनाइटेड नेशनल पार्टी (यूएनपी) रानिल विक्रमसिंघे की पार्टी है।
राष्ट्रपति सिरिसेना इस नाटकीय घटनाक्रम के बाद पहली बार संबोधित करते हुए कहा कि उन्होंने विक्रमसिंघे को उनके अहंकारी स्वभाव के कारण बर्खास्त किया है। महिंदा राजपक्षे को संविधान के तहत नया पीएम बनाया गया है। उन्होंने कहा कि 2015 में जीत के बाद से विक्रमसिंघे का राजनीतिक आचरण अशोभनीय रहा है। ऐसा लग रहा था कि वह अपने आसपास मौजूद कुछ लोगों की मंडली के लिए श्री लंका के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहे थे जिन्हें आम लोगों की सोच से कोई लेना-देना नहीं था। उन्होंने सुशासन की अवधारणा को नष्ट कर दिया, जबकि भ्रष्टाचार और बर्बादी बहुत ज्यादा हो रही थी। वह अहंकार भरा फैसला ले रहे थे और सामूहिक जिम्मेदारी का मजाक बना रहे थे।