वर्ल्ड गवर्नमेंट समिट में PM मोदी ने दिया 6R फार्मूला
अबू धाबी : दुबई में आयोजित वर्ल्ड गवर्नमेंट समिट के छठे संस्करण में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि इसमें शरीक होने केवल मेरे लिए नहीं बल्कि भारत के सवा सौ करोड़ लोगों के लिए गर्व की बात है। प्रधानमंत्री ने कहा कि टेक्नोलॉजी सोचने की गति बदल रही है। टेक्नोलॉजी ने आम आदमी को मजबूत बनाया है। विकास का पहलू ये भी है कि पाषाण युग से औद्योगिक क्रांति के सफर में हजारों साल गुजर गए। उसके बाद संचार क्रांति तक सिर्फ 200 साल में पहुंच गए। वहां से डिजिटल क्रांति तक का फासला कुछ ही सालों में तय हो गया।
पीएम मोदी ने कहा- हमें 6 आर को फॉलो करने की जरूरत है- रिड्यूस, री-यूज, री-साइकिल, रिकवर, री-डिजाइन और री-मैन्यूफैक्चर। अगर ऐसा कर पाए तो इससे रीज्वाइस यानी आनंद मिलेगा। अभी तक तमाम तरह के विकास के बाद भी हम गरीबी और कुपोषण को खत्म नहीं कर पाए हैं। दूसरी तरफ मिसाइल और बम बनाने में पैसा, वक्त और संसाधन खर्च हो रहे हैं। हमें सावधान रहना होगा। टेक्नोलॉजी यूज करने का मतलब डेवलवमेंट से है, न कि सबकुछ खत्म करने से।
मोदी ने कहा, बहुत सौभाग्य की बात है कि आप सबके दर्शन करने का अवसर मिला। 2016 में योरहाईनेस ऑफ प्रिंस अबू धाबी भारत आए थे। 2017 में वे हमारे गणतंत्र पर्व के मेहमान भी थे। शायद कई दशकों के बाद भारत का खाड़ी के देशों के साथ इतना गहरा, इतना व्यापक और वाइब्रेंट नाता बना है। आज खाड़ी के और देशों से हमारा नाता बायर-सेलर का नहीं, पार्टनरशिप का बना है। भारत इस बात के लिए गर्व करता है कि खाड़ी देशों में 30 लाख से ज्यादा भारतीय समुदाय के लोग यहां की विकास यात्रा में भागीदार हुए हैं। मैं खाड़ी देशों का आभारी हूं कि उन्होंने हमारे 30 लाख लोगों को देश के बाहर उत्तम वातावरण दिया। भारतीयों ने इसे अपना घर मानते हुए यहां के लोगों के सपनों को साकार करने के लिए अपने सपनों को भी यहां बोया है।
मोदी ने कहा, प्रिंस हाईनेस का सवा सौ करोड़ देशवासियों की तरफ से धन्यवाद करना चाहता हूं। पिछली बार जब आया था तो मंदिर बनाने की बात हुई थी। मंदिर और वो भी सद्भावना सेतु के रूप में। हमारे यहां मंदिर मानवता का माध्यम है। टेक्नोलॉजी, मैसेजिंग ही नहीं बल्कि विश्व में वसुधैव कुटुम्बकम की बात फैलाएगा। इससे भारत के दर्शन का भी पता लगेगा। हमारे शासकों ने हमारे प्रति इतना सम्मान जताया है, हमारी जिम्मेदारी बन जाती है कि कोई गलती न हो। मानवता को कोई खरोंच न लगे। आज देश को विश्व स्तर के समिट में बोलने के लिए सम्मान मिला है। यहां लघु भारत बसता है। यहां हिंदुस्तान के हर कोने के लोग रह रहे हैं। 125 करोड़ लोग किस तरह देश को आगे ले जाने के लिए काम कर रहे हैं, ये आप अनुभव कर सकते हैं।
पीएम मोदी ने कहा- हमने वो दिन भी देखे हैं, जब कहा जाता था चलो अब कुछ होने वाला नहीं है। हम दुविधा के कालखंड से गुजरे, जब लोग पूछते थे- ये होगा क्या, ये संभव है क्या। वहां से चलते-चलते देश चार साल में यहां पहुंचा है। आज देश ये नहीं सोच रहा कि ये असंभव है नहीं। अब लोग पूछते हैं कि मोदी जी बताओ, कब होगा। इस सवाल में शिकायत नहीं विश्वास है। होगा तो अब होगा। मोदी ने कहा, 2014 में ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में हम 142वें स्थान पर खड़े थे। 42 अंकों की छलांग लगाकर 100 पर आ गए। इससे भी ऊपर जाना है। जहां इम्प्लीमेंटेशन, संसाधनों में बदलाव करना होगा, भारत को ग्लोबलाइजेशन की बराबरी पर लाना है। ग्लोबलाइजेशन यानी सबको साथ लेते हुए अंतिम छोर पर बैठे हुए देश के लोगों के लिए लिए काम करना है। आज दुनिया कह रही है- 21वीं सदी एशिया की है। इसे बनाने के लिए परिश्रम करना पड़ेगा। तात्कालिक लाभ हो या न हो, लेकिन हमें कदम उठाने होंगे। महात्मा गांधी श्रेय और प्रेय की बात करते थे। काम ऐसे श्रेयस्कर होंगे तो वक्त के साथ प्रिय लगने लगेंगे।
मोदी ने कहा- अगर नोटबंदी करता हूं तो देश का एक तबका मानता है कि ये मजबूत कदम है। लेकिन जिसकी संपत्ति चली गई, वो 2 साल बाद भी रो रहा है। 7 साल से जीएसटी कानून लाया जाना था, लेकिन हम लेकर आए। जब किसी नए घर में जाते हैं तो बाथरूम पता नहीं होता। हम टकरा जाते हैं। 70 साल की पीढ़ियों से चली आ रही चीजों को दूर करने में कुछ कठिनाई तो होगी।
इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हिंदू मंदिर की रिमोट कंट्रोल के जरिए नींव रखी। मोदी ने अबू धाबी में वहात अल-करामा मेमोरियल में अमीराती सैनिकों को श्रद्धांजलि दी। यहां से मोदी ओमान जाएंगे। वहां 100 साल पुराने शिवालय में दर्शन करेंगे। साथ ही मस्जिद भी जाएंगे। अबू धाबी के ओपेरा हाउस में मोदी के इस भाषण को सुनने के लिए बड़ी तादाद में लोग पहुंचे थे। इस दौरान मोदी-मोदी के नारे भी लगते रहे।
2015 में मोदी यहां अपने पहले दौरे पर आए थे, तब यूएई सरकार ने हिन्दू मंदिर के लिए जमीन देने का एलान किया था। यूएई में भारतीय राजदूत नवदीप सूरी के मुताबिक, यह मंदिर 55 हजार स्क्वायर मीटर में बनाया जा रहा है। मंदिर बनाने के लिए खास पत्थर भारत से मंगाए गए हैं और इन्हें भारतीय कारीगरों ने ही तराशा है। इस मंदिर की देखरेख बोचासनवासी श्री अक्षर पुरुषोत्तम स्वामीनारायण संस्था करेगी। यह संस्था 1907 से काम कर रही है और इसने दुनिया के अलग-अलग देशों में करीब 1100 मंदिर और सांस्कृतिक केंद्र तैयार कराए हैं। अबू धाबी में बनाया जा रहा यह पहला मंदिर है। (मीडिया रिपोर्ट्स)