2015-16 युवाओं के लिए मनहूस, बेरोजगारी दर पांच साल में सबसे ज्यादा
सत्ता विमर्श ब्यूरो
नई दिल्ली : देश के युवाओं के लिए 2015-16 का साल मनहूसियत से भरा रहा है। हालात बेहतर होते नहीं दिख रहें हैं। इस एक साल के भीतर बेरोजगारी का आंकड़ा पिछले पांच वर्षों में उच्च स्तर तक पहुंच गया है। वो भी तब जब केंद्र सरकार मेक इन इंडिया, स्कील इंडिया के जरिए रोजगार सृजन पर जोर शोर से काम रही है। ये सरकारी आंकड़ा श्रम ब्यूरो ने जारी किया है। श्रम ब्यूरो की रिपोर्ट के अनुसार, देश की बेरोजगारी दर 2015-16 में पांच प्रतिशत पर पहुंच गयी जो पांच साल का उच्च स्तर है।
महिलाओं के मामले में बेरोजगारी दर उल्लेखनीय रूप से 8.7 प्रतिशत के उच्च स्तर पर जबकि पुरूषों के संदर्भ में यह 4.3 प्रतिशत रही। यह आंकड़ा केंद्र की भाजपा शासित सरकार के लिये खतरे की घंटी हो सकती है जिसने देश में समावेशी वृद्धि के लिये रोजगार सृजित करने को लेकर ‘मेक इन इंडिया’ जैसे कई कदम उठाये हैं।
अखिल भारतीय स्तर पर पांचवें सालाना रोजगार-बेरोजगारी सर्वे के अनुसार करीब 77 प्रतिशत परिवारों के पास कोई नियमित आय या वेतनभोगी व्यक्ति नहीं है। इसके अनुसार यूपीएस (यूजुअल प्रिंसिपल स्टेटस) रूख के तहत अखिल भारतीय स्तर पर बेरोजगारी दर पांच प्रतिशत अनुमानित है। यूपीएस रूख के तहत बेरोजगारी दर का आकलन के लिये संदर्भ अवधि 365 दिन का उपयोग किया जाता है।
श्रम ब्यूरो के अनुसार, 2013-14 में बेरोजगारी दर 4.9 प्रतिशत, 2012-13 में 4.7 प्रतिशत, 2011-12 में 3.8 प्रतिशत तथा 2009-10 में 9.3 प्रतिशत रही। वर्ष 2014-15 के लिये इस प्रकार की रिपोर्ट जारी नहीं की गयी। रिपोर्ट के मुताबिक, ‘यूपीएस रूख के तहत ग्रामीण क्षेत्र में बेरोजगारी दर 5.1 प्रतिशत जबकि शहरी क्षेत्र में 4.9 प्रतिशत थी।’ पुरूषों की तुलना में महिलाओं में बेरोजगारी दर सबसे ऊंची है। महिलाओं में बेरोजगारी दर 8.7 प्रतिशत आंकी गयी है जबकि पुरूषों में 4.3 प्रतिशत थी।
शहरी क्षेत्रों में महिलाओं में बेरोजगारी दर 12.1 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है वहीं पुरूषों में 3.3 प्रतिशत तथा किन्नरों में यह 10.3 प्रतिशत रही। सर्वे सभी राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों में अप्रैल 2015 से दिसंबर 2015 के दौरान किये गये। इसमें कुल 1,56,563 परिवारों को शामिल किया। इसमें 88,783 ग्रामीण क्षेत्र में जबकि 67,780 शहरी क्षेत्र के हैं।
सर्वे में राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों में त्रिपुरा (19.7 प्रतिशत) सबसे ऊपर है। उसके बाद क्रमश: सिक्किम (18.1 प्रतिशत), लक्षद्वीप (16.1 प्रतिशत), अंडमान निकोबार द्वीप (12.7 प्रतिशत), केरल (12.5 प्रतिशत) तथा हिमाचल प्रदेश (10.6 प्रतिशत) का स्थान है।