पुलिस की रोक के बावजूद दिल्ली के संसद मार्ग पर युवा नेता जिग्नेश मेवाणी ने भरी हुंकार
सत्ता विमर्श ब्यूरो
नई दिल्ली : दिल्ली पुलिस की रोक के बावजूद मंगलवार को गुजरात के विधायक जिग्नेश मेवाणी और उनके समर्थक राजधानी दिल्ली के संसद मार्ग पर युवा हुंकार रैली करने पहुंचे। दिल्ली के संसद मार्ग पर मंगलवार को हुई युवा हुंकार रैली में वडगाम से विधायक जिग्नेश मेवाणी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से पूछा कि वे संविधान और मनुस्मृति में से किसे चुनना चाहेंगे? दरअसल भीम आर्मी के नेता चंद्रशेखर आजाद रावण की रिहाई के लिए दिल्ली के संसद मार्ग पर युवा हुंकार रैली आयोजन किया गया। रैली में दलित नेता और विधायक जिग्नेश मेवाणी के साथ जेएनयू छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार और पूर्व उपाध्यक्ष शहला राशिद सहित कई छात्र नेता शामिल हुए। आयोजकों की मानें तो देश के 42 सामाजिक संगठनों ने इस रैली को समर्थन दिया था।
मेवाणी ने अपने भाषण में प्रधानमंत्री से पूछा कि दो करोड़ युवाओं को रोजगार, हर शख्स के खाते में 15 लाख रुपये कहां गए, किसानों को उचित दाम, दलितों को इंसाफ क्यों नहीं मिल रहा है? मेवाणी ने कहा, सरकार के पिछले चार साल में रोटी, कपड़ा, मकान और रोजगार जैसे मुद्दे को भटकाने के लिए घर वापसी, नोटबंदी, गाय जैसे मुद्दों को इस्तेमाल कर रही है। अंबानी और अडाणी की जमीन दे रही है, जबकि इस पर पहला हक भूमिहीनों का है। मेवाणी ने कहा कि मोदी जी जितनी बार अहमदाबाद आते थे हमें डीटेन किया जाता था और आज हम दिल्ली आए हैं तो भी हमारे साथ यही कर रहे हैं। जिग्नेश ने कहा- 22 साल से गुजरात के अंदर तोड़ने की लड़ाई हुई। हम तो सिलाई वाले हैं जोड़ने आए हैं। हम लव जिहाद वाले नहीं हैं। मेवाणी ने कहा, जिस तरह गुजरात में हार्दिक, अल्पेश और मैंने उनका 150 सीटों का घमंड तोड़ दिया, इसलिए हमें टारगेट किया जा रहा है। हम किसी जाति या धर्म के ख़िलाफ़ नहीं हैं। हम देश के संविधान को मानते हैं। हम फूले और अंबेडकर को मानने वाले हैं। इससे पहले हुंकार रैली में संबोधित करते हुए उमर खालिद ने कहा कि हमें चंद्रशेखर, रोहित वेमुला के लिए इंसाफ़ चाहिए। चंद्रशेखर देश के लिए नहीं मनुवादियों के लिए खतरा है। ये सरकार मनुवादियों की सरकार है। मेवाणी ने एक हाथ में संविधान और एक हाथ में मनुस्मृति लेकर प्रधानमंत्री मोदी से सवाल किया कि संविधान और मनुस्मृति में से वो किसे चुनेंगे?
जेएनयू छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार ने कहा, हम किसी भी जाति या धर्म के खिलाफ नहीं है। हमारी सिर्फ यही मांग है कि देश में लोकतंत्र और संविधान को लागू किया जाना चाहिए। केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा को वाशिंग मशीन बताते हुए कन्हैया ने युवाओं से कहा कि यह दल अपने नेताओं के आपराधिक आरोपों को धोने का काम कर रहा है। भाजपा और आरएसएस नेता हिंसा और घृणा फैलाने के लिए जाने जाते हैं। लोकसभा में भाजपा के कई सांसद हैं जिनके खिलाफ मामले चल रहे हैं। भाजपा कोई दल नहीं है बल्कि वह वाशिंग मशीन है जो अपने नेताओं के खिलाफ लगे आपराधिक आरोपों को साफ करने का काम करती है। देश के युवाओं से मैं कहना चाहता हूं कि चाहे कितनी ही कठिनाइयों से आप गुजर रहे हों, कितने ही क्रोधित आप हों, इनके जाल में मत फंसें। कन्हैया ने आगे कहा, भाजपा और आरएसएस को राम राज नहीं चाहिए। यह सिर्फ देश में दो समुदाय की बीच जहर घोलने का काम कर रही है। आप लोग यह समझ लीजिए कि राम और अल्लाह की लड़ाई में जीत नाथूराम गोडसे की होगी। यह लोग कहते हैं कि कण-कण में भगवान है, तो मंदिर किस लिए। यह लोग कहते हैं हर मानव में भगवान है, तो क्या अफराजुल के अंदर भगवान नहीं था क्या? भगवान ने इंसान बनाया और वही इंसान धर्म को कैसे बचा सकता है?
कन्हैया कुमार ने प्रधानमंत्री मोदी पर हमला करते हुए कहा कि लोकतंत्र ने देश में बोलने की और विरोध करने की आजादी दी है और जब प्रधानमंत्री के पीठ पर रिलायंस का हाथ होगा तो लोकतंत्र नहीं कॉरपोरेट मजबूत होगा। मुकेश अंबानी के बेटे पर निशाना साधते हुए कन्हैया ने कहा, अनंत अंबानी ने अभी भाषण दिया कि रिलायंस मेरी जान है और जब उसपर एक न्यूज वेबसाइट ने स्टोरी की तो उसे बाद में हटाना पड़ा। मोदी जी का मजाक उड़ाते हैं तो ऐसा नहीं होता, लेकिन अनंत अंबानी का मजाक नहीं उड़ा सकते। यह है कॉरपोरेट की ताकत जो प्रधानमंत्री से भी ज्यादा मजबूत है। उन्होंने कहा, हमारी राजनीति अलग है और हम शोषित जाति से हैं, जिसमें दलित, पिछड़ा, आदिवासी, किसान और मजदूर शामिल है। आपके टैक्स के पैसे से पढ़े हैं, तो आपके मुद्दे उठाएंगे। कुमार ने मीडिया की वर्तमान स्थिति पर टिप्पणी करते हुए कहा कि देश में मीडिया की विश्वसनीयता गिर गई है और यह लोकतंत्र के लिए खतरा है, इसलिए मीडिया की विश्वसनीयता बनी रहनी चाहिए।
युवा हुंकार रैली के मंच पर कन्हैया कुमार, शहला राशिद और उमर खालिद समेत जेएनयू के कई पूर्व और वर्तमान छात्र नेता मौजूद थे। असम के किसान नेता अखिल गोगोई और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण को भी खासतौर से रैली में बुलाया गया था। इनके साथ दिल्ली विश्वविद्यालय, लखनऊ विश्वविद्यालय, इलाहाबाद विश्वविद्यालय सहित अन्य संस्थानों के छात्र भी रैली में शामिल हुए। सभा को संबोधित करने वाले लोगों ने शिक्षा का अधिकार, रोजगार, आजीविका तथा लैंगिक न्याय जैसे मुद्दों पर जोर दिया।
पुलिस ने यहां भारी संख्या में पुलिसबल तैनात किया है। पुलिस की ओर से कहा गया था कि यहां आयोजन की इजाजत नहीं दी गई है, इसके बावजूद कार्यक्रम का शुरू होना पुलिस के रुख पर सवाल खड़े कर रहा है। इसके पहले जिग्नेश ने मीडिया से बातचीत में कहा कि उनकी रैली को रोकना दुर्भाग्यपूर्ण हैं। हम सिर्फ लोकतांत्रिक और शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन करने जा रहे हैं। सरकार हमें निशाना बना रही है। युवाओं और एक निर्वाचित प्रतिनिधि की आवाज दबाई जा रही है, जो सरकार के लिए शर्म की बात है। जिग्नेश ने कहा कि हम संविधान के दायरे में रहकर काम करते हैं। चंद्रशेखर को जिस तरह से निशाना बनाया गया है, उसका हम विरोध करने पहुंचे है। देश में हर साल दो करोड़ युवाओं को रोजगार देने का वादा किया गया था, वो पूरा नहीं किया। सामाजिक न्याय के साथ धोखा हुआ है। दलितों पर लगातार अत्याचार हो रहे हैं और अल्पसंख्यकों को बोलने नहीं दिया जा रहा है। इससे दुर्भाग्यपूर्ण और क्या होगा?