सरकार तो चाहती है जेएनयू जाना, पर बाकियों की सियासत से परेशान
सत्ता विमर्श ब्यूरो
नई दिल्ली: जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के हालात काफी संवेदनशील हैं। लापता छात्र नजीब अहमद पर लड़ाई सड़क पर है। पहले भी जेएनयू के छात्र इस मुद्दे पर सरकार से सवाल कर रहे थे, काफी प्रदर्शन भी हो रहा था। लेकिन गुरुवार को बड़े दलों के बड़े नेताओं के जाने के बाद केन्द्र सरकार को एहसास हो रहा है कि कुछ तो चूक हुई है। अब सरकार के मंत्री कह रहें हैं कि जाना तो वो भी चाहते हैं जेएनयू लेकिन बाकी दलों की सियासत उन्हें रोक रही है। ये दर्द गृह राज्यमंत्री हंसराज अहीर का है।
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अहीर ने कहा कि हम भी जेएनयू जाना चाहते हैं। सरकार का जेएनयू के छात्रों को पूरा समर्थन है लेकिन अन्य दल समर्थन के नाम पर राजनीति कर रहें हैं। दरअसल, गुरुवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने छात्रों के बीच पहुंच कर जिस तरह भाजपा को कोसा और सोशल मीडिया में उन्हें तवज्जो मिली उससे सरकार हरकत में आई है। हालांकि इससे पहले भी केन्द्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने लापता नजीब की खुदकुशी को लेकर कार्रवाई की बात की थी। लेकिन अब तक इसका कोई संतोषजनक हल नहीं निकला। इस मसले को लेकर छात्रों ने राजनाथ के आवास के बाहर प्रदर्शन भी किया था। प्रदर्शनकारी छात्रों ने जेएनयू प्रशासन और सरकार की मिली भगत का आरोप लगाया था।
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गौरतलब है कि जेएनयू छात्रों द्वारा कुलपति जगदीश कुमार समेत 10 लोगों को बंधक बनाने के बाद केंद्रीय गृह मंत्री ने आदेश पर जेएनयू के लापता छात्र नजीब अहमद की तलाश के लिए स्पेशल टीम बनाई गई है। लापता बायोटक्नॉलिजी के छात्र नजीब अहमद को लेकर जेएनयू में महीने भर से आंदोलन चल रहा है। इस दौरान छात्रों ने वीसी जगदीश कुमार और अधिकारियों को बंधक भी बनाया था।