JNUSU पैनल से छात्र संघ अध्यक्ष समेत तीन पदाधिकारी निलंबित
सत्ता विमर्श ब्यूरो
नई दिल्ली : जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) प्रशासन ने छात्रसंघ अध्यक्ष सहित तीन छात्र प्रतिनिधियों को कथित तौर पर दुराचरण और अनुशासनहीनता के आरोप में निलंबित कर दिया है। तीनों को विश्वविद्यालय के सभी पैनलों से निलंबित किया गया है।
छात्र संघ अध्यक्ष मोहित कुमार पांडेय का कहना है कि चूंकि हमने बैठक में हुई गड़बड़ियों को सोशल मीडिया पर सबके सामने रखा, जिसकी हमें सजा दी गई है। ये लोग चाहते हैं कि विश्वविद्यालय से छात्रों का प्रतिनिधित्व खत्म हो जाए। वहीं, जेएनयू प्रशासन का कहना है कि जेएनयू स्टूडेंट यूनियन के अध्यक्ष मोहित कुमार पांडेय, महासचिव सतरूपा चक्रवर्ती और संयुक्त सचिव तबरेज हसन को निलंबित किया गया है। बैठक के दौरान इन्होंने अशोभनीय भाषा, उपद्रवी व्यवहार और अनधिकृत वीडियो रिकॉर्डिग की।
फिलहाल, अकादमिक परिषद की बैठक के घटनाक्रमों को सिलिसलेवार देखने के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन ने एक जांच समिति बनाई है। समिति सभी पहलुओं पर जांच करने के बाद अपनी रिपोर्ट देगी। वहीं छात्र संगठन के सदस्यों का आरोप है कि 16 जून को हुई अकादमिक परिषद की बैठक में शिक्षकों के एक समूह ने उनके साथ धक्का-मुक्की की। इसके बाद उन्होंने इसकी शिकायत पुलिस से भी की थी। इससे भी प्रशासन नाराज था। फिर बैठक में जो भी गड़बड़ियां प्रशासन की ओर से की जा रही थी, हमने उसे रिकॉर्ड करके सोशल मीडिया पर सार्वजनिक कर दिया था।
मोहित कुमार पांडे ने कहा कि असल मुद्दा यह है कि हम 8000 छात्रों की आवाज उठाते हैं, जो प्रशासन नहीं चाहता है। हमारी आवाज को दबाया जा रहा है। देखा जाए तो एक तरीके से हमने सही मायने में व्हिसल ब्लोअर का काम किया है। वहीं प्रशासन का दावा है कि छात्र प्रतिनिधियों ने बैठक में बाधा डाली थी, जिसके कारण यह कार्रवाई की गई है। निलंबन को लेकर गुरुवार शाम जेएनयू में एसएफआई ने प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि कुलपति तानाशाही रवैया अपना रहे हैं। वे छात्र हितों की बात नहीं कर रहे। प्रदर्शन में एसएफआई के अलावा जेएनयू के अन्य छात्र भी शामिल हुए।
16 जून को सोशल मीडिया पर जारी हुए वीडियो में जेएनयूएसयू के छात्रों की शिक्षकों के साथ झड़प साफ नजर आ रही थी। इस वीडियो के बाहर आते ही तहलका गया। मीडिया ने भी वीडियो को आधार बनाकर कई खबरें जारी की थीं। जेएनयू प्रशासन का कहना है कि अकादमिक काउंसिल की बैठक का वीडियो सोशल मीडिया पर डालना प्रोटोकॉल के खिलाफ है। इस वीडियो से आम लोगों के बीच गलत और अधूरी जानकारी गई है। वीडियो से लग रहा है कि छात्रों को बोलने नहीं दिया जा रहा है। न ही छात्र संघठन और न ही टीचर्स किसी ने भी बैठक के मिनट तय नहीं थे।