जेएनयू में इस्लामिक आतंकवाद के पाठ्यक्रम पर छिड़ा विवाद
सत्ता विमर्श ब्यूरो
नई दिल्ली : जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में इस्लामिक आतंकवाद कोर्स शुरू करने के प्रस्ताव पर विवाद शुरू हो गया है। दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग ने मंगलवार को विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार को एक नोटिस जारी किया। आयोग ने ‘इस्लामिक आतंकवाद’ पर एक पाठ्यक्रम शुरू करने के विश्वविद्यालय के प्रस्ताव के पीछे मौजूद कारण जानना चाहा है।
आयोग के प्रमुख जफरूल इस्लाम खान ने कहा कि प्रस्तावित पाठ्यक्रम के बारे में खबरों पर स्वत: संज्ञान लेते हुए आयोग ने रजिस्ट्रार से यह बताने को कहा है कि विश्वविद्यालय किस आधार पर ‘इस्लामिक आतंकवाद’ पर पाठ्यक्रम शुरू कर रहा है। खबरों के मुताबिक बीते 18 मई को जेएनयू की 145वीं अकादमिक परिषद की बैठक में ‘इस्लामी आतंकवाद’ से जुड़ा पाठ्यक्रम शुरू करने का फैसला किया गया। जेएनयू छात्रसंघ ने इसका विरोध किया है।
जेएनयू अकादमिक परिषद ने ‘सेंटर फॉर नेशनल सिक्योरिटी स्टडीज़’ की स्थापना करने का एक प्रस्ताव पारित किया है जिसके तहत आतंकवादी संगठन ‘इस्लामिक स्टेट’ पर एक पाठ्यक्रम शुरू किया जाएगा। पिछले हफ्ते हुई बैठक में शामिल हुए एक प्राध्यापक ने यह जानकारी दी। अयोग ने जेएनयू प्रशासन से यह जवाब देने को कहा है कि प्रस्तावित सेंटर में इस्लामिक आतंकवाद पर पाठ्यक्रम शामिल करने के लिए क्या कोई अवधारणा पत्र या प्रस्ताव है। साथ ही, उसने इसकी एक प्रति मांगी है। प्रस्तावित पाठ्यक्रम का जेएनयू के छात्रों और शिक्षकों के कुछ तबके ने विरोध किया है। जेएनयू छात्र संघ अध्यक्ष गीता कुमारी ने कहा कि यह बहुत ही स्तब्ध करने वाला क़दम है।
माकपा ने देश में उच्च शिक्षण संस्थानों में भाजपा सरकार की दखलअंदाज़ी को शिक्षा प्रणाली के लिए खतरनाक बताते हुए दिल्ली स्थित जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में ‘इस्लामिक आतंकवाद’ पर नया कोर्स शुरू करने के प्रस्ताव को वापस लेने की मांग की है। माकपा पोलित ब्यूरो की बैठक में शैक्षणिक पाठ्यक्रमों को धार्मिक आधार पर बदलने, कर्नाटक चुनाव, पेट्रोल डीजल की कीमत, त्रिपुरा, पश्चिम बंगाल और असम में राजनीतिक हिंसा तथा जम्मू कश्मीर में संघर्षविराम के मुद्दों पर पारित प्रस्ताव में केंद्र सरकार की नीति का विरोध किया गया।
पार्टी महासचिव सीताराम येचुरी ने मंगलवार को संवाददाताओं को बताया कि पोलित ब्यूरो ने कर्नाटक विधानसभा चुनाव के बाद भाजपा द्वारा सत्ता हथियाने के लिए विधायकों की खरीद फरोख्त को रोकने में विपक्षी दलों को मिली कामयाबी का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि जेएनयू में व्यापक विरोध के बावजूद ‘इस्लामिक आतंकवाद’ पर कोर्स शुरू करने का विश्वविद्यालय की अकादमिक परिषद का प्रस्ताव देश की एकता और अखंडता के लिए खतरा है। पोलित ब्यूरो ने इस प्रस्ताव को तत्काल वापस लेने की मांग की। पोलित ब्यूरो का मानना है कि भाजपा सरकार का शिक्षा व्यवस्था पर लगातार हमला जारी है। इसके तहत भारतीय इतिहास के पाठ्यक्रमों में पौराणिक कथाओं को शामिल करने के अलावा केंद्रीय विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रमों को सांप्रदायिक रंग देना शामिल है।
प्रमुख मुस्लिम संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने जेएनयू में ‘इस्लामी आतंकवाद’ से जुड़ा पाठ्यक्रम शुरू करने के कथित फैसले की आलोचना करते हुए मंगलवार को मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर से इस मामले में दखल की मांग की। जमीयत के महासचिव मौलाना महमूद मदनी ने एक बयान में कहा, ‘हमने मानव संसाधन विकास मंत्री, जेएनयू के कुलपति एम। जगदीश कुमार और कुलाधिपति विजय कुमार सारस्वत को पत्र लिखा है। हमने स्पष्ट किया है कि इस्लाम को आतंकवाद से जोड़कर पेश करने के षड्यंत्र को स्वीकार नहीं किया जा सकता।’
उन्होंने कहा, ‘विश्वविद्यालय प्रशासन ने अपने इस क़दम से देश के मुसलमानों को आहत करने का काम किया है। भारतीय मुसलमानों ने हमेशा शांति का समर्थन किया और देशप्रेम दिखाया है। हमने तो आतंकवाद के खिलाफ फतवा जारी किया है। दुनिया भर में सक्रिय आतंकी संगठन भारत में पैर पसार नहीं सके और इसकी वजह सिर्फ और सिर्फ भारतीय मुसलमानों का शांतिप्रिय और देशप्रेमी होना है।’