मिनी मॉस्को से 2019 में लोकसभा चुनाव लड़ेंगे जेएनयू छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार
सत्ता विमर्श ब्यूरो
बेगूसराय : जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार कभी मिनी मॉस्को कहे जाने वाले बेगूसराय से 2019 का लोकसभा चुनाव लड़ेंगे। माना जा रहा है कि इस युवा छात्र नेता को जल्दी ही महागठबंधन का उम्मीदवार घोषित किया जाएगा जिसमें राजद, कांग्रेस, सीपीआई, जीतनराम मांझी की हम पार्टी, रांकपा, शरद यादव की लोकतांत्रिक जनता दल और बाकी वामदल शामिल रहेंगे।
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, लालू यादव परिवार के एक करीबी ने शनिवार को बताया कि कन्हैया कुमार भाकपा (सीपीआई) के औपचारिक उम्मीदवार होंगे। बेगूसराय लोकसभा सीट से महागठबंधन की उम्मीदवारी घोषित कर भाजपा नीत एनडीए को संदेश देने का एक प्रयास बताया जा रहा है। भाकपा के राज्य सचिव सत्यनारायण सिंह ने बताया कि उनकी पार्टी सहित सभी वामदल चाहते हैं कि कन्हैया कुमार बेगूसराय से 2019 में लोकसभा चुनाव लड़ें। राजद और कांग्रेस जैसे अन्य दल की भी यही राय है।
यह पूछने पर कि क्या कन्हैया कुमार ने बेगूसराय से चुनाव लड़ने को लेकर अपनी सहमति दी है, सत्यनारायण ने कहा कि वह इसके लिए वह राजी हैं। सिंह ने यह भी बताया कि सीटों के बंटवारे को लेकर अभी कोई औपचारिक बातचीत नहीं हुई है, लेकिन बेगूसराय सीट पर कन्हैया कुमार चुनाव लड़ेंगे इस पर जरूर सहमति बन गई है। राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव के भी इस संबंध में अपनी सहमति दिए जाने की चर्चा के बारे में सत्यनारायण सिंह ने कहा कि पूर्व में उनसे हुई वार्ता के दौरान वह एक सीट कन्हैया कुमार के लिए छोड़ देने को लेकर राजी थे।
उन्होंने बताया, लालू जी ने एक अनौपचारिक बातचीत में बेगूसराय सीट कन्हैया कुमार को देने को कहा था। उन्होंने बताया कि उनकी पार्टी ने अगले आम चुनाव में बिहार में छह लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ने का फैसला किया है लेकिन इस बारे में अंतिम निर्णय समान विचार वाले दलों के साथ बातचीत के बाद लिया जाएगा। जिन छह सीटों पर भाकपा अपना उम्मीदवार उतारना चाहती है, उनमें बेगूसराय, मधुबनी, मोतिहारी, खगड़िया, गया और बांका शामिल हैं।
कन्हैया कुमार मूल रूप से बेगूसराय जिले के बीहट गांव के रहने वाले हैं। बेगूसराय से वर्तमान में भाजपा के भोला सिंह सांसद हैं। भाजपा ने यह सीट 2014 के चुनाव में राजद उम्मीदवार तनवीर हसन को 58000 वोटों से हराकर पहली बार जीती थी। तीसरे स्थान पर भाकपा के राजेंद्र प्रसाद सिंह थे। राजद के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि सीट बंटवारे के फार्मूला के अनुसार, ये सीट राजद के खाते में आनी चाहिए, लेकिन लालू यादव चाहते हैं कि इस सीट से कन्हैया कुमार को महागठबंधन का उम्मीदवार बनाया जाना चाहिए। हम इस सीट को छोड़ने को तैयार हैं।
बेगूसराय लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत सात विधानसभा क्षेत्र आते हैं जिसमें चेरिया बरियारपुर, बछवाड़ा, तेघड़ा, मटिहानी, साहेबपुर कमाल, बेगूसराय और बखरी शामिल हैं। लालू राज से पहले की बात करें तो इन सातों विधानसभा क्षेत्र में सीपीआई की सत्ता होती थी। बेगूसराय से पहले ये सभी विधानसभा क्षेत्र बलिया लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आते थे। 1957 से लेकर 1971 तक बेगूसराय और 1977 से 2004 तक बलिया और उसके बाद फिर 2009 से बलिया को खत्म कर बेगूसराय लोकसभा क्षेत्र बना दिया गया।
बलिया और बेगूसराय लोकसभा क्षेत्र के चुनावी इतिहास को खंगालें तो पता चलता है कि इस इलाके में लालू प्रसाद की सत्ता आने से पहले तक सीपीआई और कांग्रेस का ही वर्चस्व रहा है। सीपीआई अगर हारती भी थी तो नंबर दो पर वह हमेशा बनी रहती थी। 1962 से 1971 तक बेगूसराय लोकसभा चुनाव की बात करें तो 1962 में कांग्रेस के मथुरा प्रसाद ने सीपीआई के अख्तर हाशमी को हराया था। 1977 में सीपीआई के योगेंद्र शर्मा ने कांग्रेस के मथुरा प्रसाद मिश्रा को पटखनी दी। लेकिन 1971 के चुनाव में श्यामनंदन मिश्र ने सीपीआई के योगेंद्र शर्मा को मात दे दी।
1977 में बलिया लोकसभा क्षेत्र बनने के बाद पहली बार रामजीवन सिंह ने सीपीआई के सूर्यनारायण सिंह को जरूर हरा दिया लेकिन उसके बाद 1980, 1989, 1991 में सीपीआई के सूर्यनारायण सिंह और 1996 में शत्रुघ्न प्रसाद सिंह लाल झंडा फहराते रहे। 1984 में एक बार जरूर सीपीआई को कांग्रेस की चंद्रभानु देवी के हाथों हार मिली थी। लेकिन 1998 से कहें तो सीपीआई का एक तरह से सूर्यास्त हो गया। 2009 के चुनाव में एक बार फिर बलिया का अस्तित्व खत्म कर इस इलाके को बेगूसराय में शामिल कर दिया गया। अब 2019 के चुनाव में अगर महागठबंधन के तहत कन्हैया कुमार को सीपीआई से चुनाव मैदान में उतारा जाता है तो उम्मीद है यहां एक बार फिर से लाल झंडा फहरेगा।