जेटली ने की मन की बात; मेरी चले तो एयर इंडिया को पूरी तरह से बेच दूं
सत्ता विमर्श ब्यूरो
नई दिल्ली : वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सोमवार को अपने मन की बात जुबां पर लाते हुए कह ही दिया कि यदि उनकी पसंद पूछी जाए तो वह एयर इंडिया को पूरी तरह बेचने के पक्ष में हैं।
सरकारी विमानन कंपनी के लगातार घाटे में जाने और उसके निजीकरण की मोदी सरकार की तैयारियों को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में जेटली ने कहा, 'मैं पहले ही यह बता चुका हूं कि एयर इंडिया का निजीकरण क्यों किया जाना चाहिए। यदि आप बड़ी राशि खर्च करने जा रहे हैं तो जनता का पैसा पहले ही 55,000 करोड़ रुपये तक फंस चुका है। क्या यह रकम स्वास्थ्य पर खर्च होनी चाहिए या फिर इस राशि से सिंचाई की व्यवस्था दुरुस्त होनी चाहिए। हमें सोचना होगा कि क्या इस रकम को हमें सरकारी एयरलाइंस चलाने पर खर्च करना चाहिए, जबकि उड्डयन सेक्टर में निजी एयरलाइंस कंपनियों को उतारने की नीति खासी सफल रही है।'
जेटली ने कहा कि घरेलू उड्डयन सेक्टर में पहले ही 86 फीसदी यात्री निजी एयरलाइंस के जरिए सफर कर रहे हैं। यह आंकड़ा 86 फीसदी हो या फिर 100 फीसदी, इससे बहुत फर्क नहीं पड़ता। एयर इंडिया आगे भी नेशनल कैरियर रह सकती है और इसके प्रबंधन के लिए कोई और कीमत चुका सकता है। एनपीए को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में जेटली ने कहा, 'यह समस्या अभी समाधान से परे नहीं है। यह समस्या अभी बहुत बड़ी नहीं है और 30, 40 और 50 खातों तक ही सीमित है। आरबीआई की पास सभी तरह की ताकतें मौजूद हैं। हमने पहले से ही कुछ निश्चित कंपनियों की सूची बनानी शुरू कर दी है। जब हम 5 या 7 कंपनियों पर ही कार्रवाई करेंगे तो नतीजे आने लगेंगे।'
आईटी सेक्टर में छंटनी के संकट को लेकर जेटली ने कहा, 'जब तकनीक में बदलाव होता है या अन्य आर्थिक कारणों से नौकरी का संकट पैदा होता है तो सिर्फ नौकरियां नहीं छिनती हैं। एक जगह से यदि नौकरियां छिनती हैं तो दूसरे स्थान पर नौकरियों का सृजन भी होता है।' उन्होंने कहा कि यह कोई तर्क नहीं है, नौकरियों का सृजन अर्थव्यवस्था से बाहर नहीं होता। जेटली ने कहा कि यदि आपकी अर्थव्यवस्था 7.5 या 8 प्रतिशत की ग्रोथ से बढ़ती है तो निश्चित तौर पर संगठित क्षेत्र में नौकरियों के अवसर भी पैदा होंगे।