सर्वे भवन्तु सुखिन:
लगभग पांच सदी से चल रहे एक बड़े और बहुप्रतीक्षित विवाद का अंततः सुखद और संतोषप्रद समाधान प्राप्त हुआ। मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्री राम के भव्य मंदिर के निर्माण का मार्ग अब सम्पूर्ण अवरोधों से मुक्त हो चुका है। मैं इसके लिए माननीय सर्वोच्च न्यायालय का आदरपूर्वक आभार ज्ञापित करता हूँ।
विधानसभा चुनाव परिणाम भाजपा के लिए खतरे की घंटी
महाराष्ट्र और हरियाणा में विधानसभा चुनाव समेत 17 राज्यों की 51 सीटों पर उपचुनाव के जो परिणाम सामने आए हैं वह केंद्र समेत अधिकांश राज्यों में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के लिए सबक भी है और आने वाले वक्त में खतरे की घंटी भी। देश के तमाम राजनीतिक दलों के लिए संकेत है, एक सबक है कि जनता अब अपनी लड़ाई लड़ने खुद मैदान में उतर चुकी है।
सामाजिक अस्मिता को संजोने वाले युगपुरुष थे हेडगेवार
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार के बारे में यह तथ्य सर्वविदित है कि वह आजीवन हिंदुओं की सांस्कृतिक विरासत, वैचारिक एवं सामाजिक अस्मिता के लिए संघर्षरत रहे। उनकी ही बदौलत आज राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के करोड़ों स्वयंसेवक देशभर में पिछड़े, आदिवासियों, अनुसूचित जाति से लेकर गरीबों एवं युवाओं के बीच वैचारिक एवं सांस्कृतिक उत्थान के लिए काम कर रहे हैं।
भारत में रोजगार संकट बेपर्दा
राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय के पिरियाडिक लेबर फोर्स सर्वे की रिपोर्ट को मानें तो पिछले 45 सालों की तुलना में साल 2017-18 में देश में सबसे अधिक 6.1 प्रतिशत बेरोजगारी रही। इन नए आंकड़ों से तय मानिए, रोजगार संकट बेपर्दा हो गया है क्योंकि इस वक्त देश में रोजगार की हालत पिछले 45 साल में सबसे ज्यादा खराब है।
आखिर क्यों उगते हैं कालाहांडी और डेंगलमाल जैसे कुकुरमुत्ते?
जल और जन के परस्पर रिश्तों को लेकर यूएन वर्ल्ड वाटर असेसमेंट ने अपनी रिपोर्ट में स्पष्ट लिखा है कि पानी की उपलब्धता को लेकर भारत में आंकड़े जुटाने की संवेदनशीलता अभी देखने को नहीं मिल रही है। देश में पानी-सेहत-शिक्षा की स्थिति झारखण्ड से लेकर महाराष्ट्र तक एक जैसी है। तो सवाल उठना लाजिमी है कि कल्याणकारी राज्य की छाती पर क्यों उगते है कालाहांडी और डेंगलमाल?
किसानों की दुगनी आमदनी : लक्ष्य तो छोड़िए, लक्षण भी नजर नहीं आ रहे
2022-23 तक किसानों की आमदनी दुगनी करने के लिए बनी एक्सपर्ट कमेटी के प्रमुख अशोक दलवाई का अनुमान है कि इसे हासिल करने के लिए कृषि क्षेत्र में 10.4 प्रतिशत की वृद्धि दर हासिल करनी होगी। 2015-16 से तीन साल तक 10.4 प्रतिशत की दर से प्रगति करने पर ही हम कृषि क्षेत्र में दुगनी आमदनी के लक्ष्य को पा सकते हैं। इस वक्त 2.9 प्रतिशत है। मतलब साफ है लक्ष्य तो छोड़िए, लक्षण भी नज़र नहीं आ रहे हैं।
आरक्षण पर क्या कहता है संविधान व कानून
सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण के लिए 50 फीसदी की सीमा तय कर रखी है और अगर यह आंकड़ा 50 फीसदी को पार करता है तो निश्चित तौर पर मामला ज्यूडिशियल स्क्रूटनी के लिए सुप्रीम कोर्ट के सामने आएगा और फिर स्क्रूटनी में ऐसे फैसले का टिकना थोड़ा मुश्किल होगा। सुप्रीम कोर्ट के एक ऐतिहासिक फैसले में कहा गया है कि आरक्षण 50 फीसदी की सीमा को लांघ नहीं सकती है।
इस आरक्षण से बदलेगा देश!
लोकसभा में आर्थिक आधार पर आरक्षण बिल पारित होने के बाद मीडिया में और राजनीति तौर पर इसे सवर्ण आरक्षण बिल भी कहा जा रहा है, क्योंकि इसका लाभ आर्थिक आधार पर पिछड़े सवर्णों को मिलने की बात कही जा रही है। मैं निजी तौर पर जातिगत आरक्षण का घोर विरोधी हूं और इसीलिए सवर्ण आरक्षण का भी, लेकिन इस आरक्षण का फैसला लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह जरूर साबित करने की कोशिश की है कि सबका साथ सबका विकास सिर्फ चुनावी जुमला नहीं है।
भारत माता का अजब-गजब इंटरव्यू
स्टेशन पर पहुंचा ही था कि हाथ में कटोरा लिए अपने बच्चों को दुआएं देती भारत माता के दर्शन हो गए। भारत माता को नम्रता पूर्वक नमस्कार कर इंटरव्यू की गुहार लगाई तो वो तुरंत तैयार हो गईं। मैंने पूछा, तुम्हारे दत्तक पुत्र तुम्हारी जय जयकार करते हैं तो आपको कैसा महसूस होता है? तो भारत माता ने कहा- बेटा, पांच साल पहले तो बड़ा अच्छा लगता था लेकिन अब बहुत बुरा लगता है। अब तो ऐसा लगता है जैसे कोई ताना सा मार रहा हो।
जनादेश 2018 ; अति की हद पर अर्द्धविराम
हदें केवल देशों की ही नहीं होती हैं। हदें इच्छाओं और महत्वाकांक्षाओं की भी होती हैं। निजी संपत्ति और अति की भी होती हैं। राजनीति में झूठ, जुमलेबाजी, नकरात्मकता और पोंगापंथी की भी होती है। इन पर पहले अर्द्धविराम फिर पूर्ण विराम लगता है। अभी अर्द्धविराम लगा है। 2019 में पूर्ण विराम लगाने का आगाज है। इस लिहाज से यह शुरुआत है राजनीति में नकरात्मकता के अंत का। अब इसे कोई नेता नहीं रोक सकता। यह जनता का फैसला है। यह किसी नेता के मन की बात नहीं है। यह सार तत्व है पांच राज्यों में विधानसभा चुनावों के नतीजों का।