पिरामल समूह के चीफ ने सरकार और उद्योगपतियों के बीच बढ़ रहे अविश्वास को किया उजागर
सत्ता विमर्श ब्यूरो
मुंबई : पिरामल समूह के प्रमुख और उद्योगपति अजय पिरामल ने कारोबारियों के खिलाफ सरकारी एजेंसियों की छापेमारी और लुकआउट नोटिस जारी किए जाने के मामले बढ़ने की आलोचना करते हुए कहा कि इससे कारोबारी समुदाय के मन में सरकार के प्रति अविश्वास बढ़ रहा है।
शुक्रवार को वर्ल्ड हिंदू इकोनॉमिक फोरम में पीरामल ने कहा, आज मैं देख रहा हूं कि सत्ता में बैठे लोगों और कारोबारियों के बीच दूरियां आ गई हैं, एक तरह का अविश्वास पैदा हो गया है। हर चीज़ का अपराधीकरण करने की जरूरत क्यों है? जब बहुत सारी सूचना और आंकड़ा उपलब्ध है तो क्या आपको तलाशी अभियान या छापा मारने की जरूरत है? क्या आपको लुकआउट नोटिस जारी करने की जरूरत है? यह किसी भी कारोबारी को सकारात्मक भाव नहीं देता।
उन्होंने कहा कि जो महत्वपूर्ण है वह यह है कि पैसा कमा रहे लोगों को वह सम्मान मिले, जिसके वे हकदार हैं। पिरामल ने नकदी संकट को लेकर कहा कि मौजूदा समय में पूंजी की उपलब्धता भी देश के लिए एक चुनौती है। पिरामल ने कुछ बड़ी कंपनियों द्वारा नकदी संकट का सामना किए जाने का सीधे तौर पर जिक्र नहीं करते हुए कहा कि पूंजी की उपलब्धता एक ऐसी बड़ी चुनौती है, जिसका सामना देश को करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि ऊंची ब्याज दरें भी एक बड़ी चुनौती है क्योंकि यह निर्यात में प्रतिस्पर्धा को खत्म कर देता है।
पिरामल ने यह टिप्पणी ऐसे वक्त में की है जब नियामक और जांच एजेंसियों ने वीडियोकॉन समूह के संस्थापकों पर छापेमारी की कार्रवाई की गई। इससे पहले एलएंडटी के चेयरमैन एएम नाइक समेत अन्य कारोबारी भी इस माहौल पर चिंता जता चुके हैं। हालांकि, कॉरपोरेट कर में कटौती से कारोबार को लेकर उम्मीदें बढ़ी हैं।