तो ये है पूनम सिन्हा को लखनऊ से टिकट मिलने की असल वजह!
सत्ता विमर्श ब्यूरो
लखनऊ: शत्रुघ्न सिन्हा हाल ही में कांग्रेस में शामिल हुए हैं तो उनकी पत्नी पूनम सिन्हा मंगलवार को समाजवादी पार्टी (सपा) में शामिल हो गईं। उन्हें बसपा से समर्थन हासिल है और कांग्रेस भी उनके खिलाफ प्रत्याशी ना उतारने का फैसला ले चुकी है। इस बीच ये स्पष्ट हो चुका है कि वो केन्द्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह के सामने लखनऊ से चुनौती पेश करेंगी। सिन्हा 18 अप्रैल को लखनऊ सीट से अपना नामांकन दाखिल करेंगी। श्रीमती सिन्हा के सपाई होने के साथ ही सवाल उठने लगा है कि आखिर किस गणित के तहत उन्हें लखनऊ से टिकट दिया गया। तो इसका जवाब मतदाताओं के गुणा भाग से जुड़ा है।
दरअसल लखनऊ में करीब 23 लाख वोटर हैं। जातीय समीकरणों की अगर बात करें तो इस लोकसभा सीट पर वैश्य और ब्राह्मण मतदाता निर्णायक भूमिका में हैं। वैश्य और ब्राह्मण मतदाताओं के बाद यहां मुस्लिम मतदाताओं का नम्बर आता है, जिनकी संख्या 3.5 लाख यानी कुल आबादी का लगभग 21 फीसदी है। अब ऐसे में सपा-बसपा का साथ और कांग्रेस की मूक सहमति से खड़ा प्रत्याशी राजनाथ सिंह को कड़ी चुनौती देगा ये तय माना जा रहा है। इसके अलावा लखनऊ में चार लाख कायस्थ मतदाताओं की तादाद भी मैडम सिन्हा के पक्ष में जाती दिख रही है इतना ही नहीं चूंकि पूनम मूलतः सिंधी हैं तो राजधानी लखनऊ में इसका लाभ भी उन्हें मिल सकता है क्योंकि यहां 1.3 लाख सिंधी मतदाता है। वैश्य मतदाताओं की बड़ी भूमिका को देखते हुए ही पहले माना जा रहा था कि अखिलेश यादव यहां वैश्य उम्मीदवार उतार सकते हैं। इस पर काफी माथापच्ची भी हुई और अंततः दांव पूनम सिन्हा पर लगा ही दिया गया।
लखनऊ में करीब 10 मतदाता अनुसूचित जाति से हैं। शहरी क्षेत्र होने के कारण यहां अभी तक भाजपा को फायदा मिलता रहा है। सपा की ओर से पूनम सिन्हा को उम्मीदवार बनाए जाने के बाद सियासी गलियारों में चर्चा है कि कांग्रेस यहां सपा के समर्थन में अपना उम्मीदवार नहीं उतारेगी। बताया ये भी जा रहा है कि शत्रुघ्न सिन्हा भी कांग्रेस से इसी शर्त पर जुड़े कि पूनम के खिलाफ कोई उम्मीदवार पार्टी खड़ा नहीं करेगी। इस बीच कांग्रेस भी जतिन प्रसाद को मनाने में कामयाब नहीं हुई और अब वो श्रीमती सिन्हा को समर्थन देती दिख रही है।
एक गणित ये भी!
पिछले लोकसभा चुनाव में राजनाथ को 54.28 फीसदी वोट मिले थे। दूसरे नंबर पर रहीं कांग्रेस की रीता बहुगुणा जोशी को 27.89 फीसदी वोट मिले थे। बीएसपी के नकुल दुबे 6.23 फीसदी मतों के साथ तीसरे नंबर पर थे, जबकि 5.49 फीसदी वोट पाकर एसपी के अभिषेक मिश्र चौथे नंबर पर थे। अब अगर इन तीनों के मत प्रतिशत को जोड़ भी लिया जाए तो यह केवल 39.61 फीसदी बैठता है, जो राजनाथ को मिले वोटों से काफी कम है। लेकिन सच ये भी है कि उस समय मोदी लहर पर सवार होकर वोटर बाहर निकला था।