भीमा-कोरेगांव हिंसा : पुणे पुलिस ने कई शहरों में मारे छापे, पांच मानवाधिकार कार्यकर्ता गिरफ्तार
सत्ता विमर्श ब्यूरो
नई दिल्ली : पुणे पुलिस ने महाराष्ट्र के भीमा-कोरेगांव दंगों के संबंध में मंगलवार को देश के अलग-अलग शहरों मुंबई, पुणे, गोवा, दिल्ली, तेलंगाना, छत्तीसगढ़ और हरियाणा में 10 जगहों पर छापे मारे गए। इस दौरान पांच मानवाधिकार कार्यकर्ताओं व कथित नक्सल समर्थकों को गिरफ्तार किया। इनमें वामपंथी विचारक वरवर राव भी शामिल हैं।
पुणे के संयुक्त पुलिस आयुक्त शिवाजीराव बोडखे के मुताबिक, पुलिस ने मानवाधिकार कार्यकर्ता और वकील सुधा भारद्वाज, सामाजिक कार्यकर्ता वेरनॉन गोंजाल्विस, पी. वरावरा राव, अरुण फरेरा और पत्रकार गौतम नवलखा को गिरफ्तार किया है। इस साल एक जनवरी को हुए कोरेगांव-भीमा दंगा मामले में नक्सल समर्थकों की भागीदारी की जारी जांच के सिलसिले में मानवाधिकार कार्यकर्ता क्रांति, स्टेन स्वामी और आनंद तेलतुंबडे समेत कई अन्य के खिलाफ भी छापे मारे गए।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक पुणे पुलिस ने दिल्ली में मानवाधिकार कार्यकर्ता और पत्रकार गौतम नवलखा और सुधा भारद्वाज, हैदराबाद में लेखक और सामाजिक कार्यकर्ता पी वरावरा राव, मुंबई में सामाजिक कार्यकर्ता वेरनॉन गोंजाल्विस, सुज़ेन अब्राहम, पत्रकार क्रांति टेकुला और अरुण फरेरा, रांची में सामाजिक कार्यकर्ता फादर स्टेन स्वामी के घरों की तलाशी ली है। गोवा में सामाजिक कार्यकर्ता और लेखक आनंद तेलतुम्बड़े के घर पर भी पुलिस तलाशी के लिए पहुंची थी, हालांकि उस समय वे घर पर नहीं थे।
रिपोर्ट के मुताबिक पुलिस के इन छापों का संबंध पुणे में 31 दिसंबर 2017 को हुए एल्गार परिषद के कार्यक्रम के कथित माओवादी कनेक्शन की जांच से जुड़ा है। वर्ष 1818 में कोरेगांव भीमा लड़ाई के 200 साल पूरे होने पर एल्गार परिषद घटनाक्रम के सिलसिले में जून में गिरफ्तार पांच लोगों में से एक के घर पर पुलिस की तलाशी के दौरान जब्त पत्र में राव का नाम आया था। इसके बाद पुणे के विश्रामबाग थाने में दर्ज प्राथमिकी के मुताबिक, कार्यक्रम में कथित तौर पर भड़काऊ टिप्पणी करने के बाद जिले के कोरेगांव भीमा गांव में हिंसा हुई थी।
मानवाधिकार कार्यकर्ता और वकील सुधा भारद्वाज के दिल्ली स्थित घर पर छापा मारकर उन्हें गिरफ्तार किया गया। पंचनामे के मुताबिक उन पर आईपीसी की धारा 153ए, 505 117 और 120 के साथ ही ग़ैर-क़ानूनी गतिविधि (रोकथाम) क़ानून (यूएपीए- Unlawful Activities Prevention Act) की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है। पुलिस का दावा है कि भीमा कोरेगांव हिंसा से एक दिन पहले हुए एल्गार परिषद कार्यक्रम में हुए भाषणों से हिंसा भड़की थी, जिसमें कई सामाजिक कार्यकर्ताओं ने हिस्सा लिया था।
मोदी की हत्या की साजिश से जुड़ा वरवरा राव की गिरफ्तारी
माओवादी विचारक वरवरा राव की पत्नी की मानें तो पुलिस ने कहा है कि वरवरा राव की गिरफ्तारी का संबंध प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या की साजिश के मामले से है। पुणे पुलिस की एक टीम ने क्रांतिकारी लेखक राव के घर की आठ घंटे तक तलाशी ली। उन्हें अदालत में पेश किया गया, जिसने पुलिस को उन्हें बुधवार शाम पांच बजे तक पुणे की अदालत में पेश करने को कहा। पुलिस ने राव के घर पर छापा मारने के साथ-साथ उनकी दो बेटियों, कुछ रिश्तेदारों और दो पत्रकारों समेत कुछ दोस्तों के घरों पर भी छापे मारे। यहां गांधीनगर स्थित राव के घर पर उस समय तनाव की स्थिति बन गई, जब राव के समर्थक इकट्ठा होकर पुलिस के खिलाफ नारेबाजी करने लगे। स्थानीय पुलिस ने पूरे इलाके को घेर लिया था। महाराष्ट्र पुलिस ने राव के घर से कुछ दस्तावेज बरामद किए हैं, जबकि उनके रिश्तेदारों के घर की तलाशी के दौरान एक लैपटॉप, हार्ड डिस्क और अन्य सामग्री जब्त की गई है।
राव की पत्नी हेमलता ने संवाददाताओं को बताया कि सुबह करीब 20 की संख्या में पुलिस वाले बिना वारंट के पहुंचे और तलाशी शुरू कर दी। उन्होंने घर का कोना-कोना छान मारा। जब पुलिसवालों से गिरफ्तारी का वारंट दिखाने के लिए कहा गया तो उन्होंने कहा कि वारंट की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि उनके पति ने पुलिस से कहा कि यह मामला झूठा है। पुणे पुलिस ने जून में कथित तौर पर पांच लोगों में से एक व्यक्ति के घर से मोदी की हत्या की साजिश के उल्लेख वाला एक पत्र बरामद किया था। इन पांचों लोगों को भीमा कोरेगांव हिंसा से जुड़े मामले में गिरफ्तार किया गया था। बरामद पत्र में कथित तौर पर प्रधानमंत्री मोदी की हत्या पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की तर्ज पर करने की बात कही गई है। इस पत्र को लिखने वाले व्यक्ति की पहचान सिर्फ 'आर' के रूप में की गई। इसमें साजिश को अंजाम देने के लिए एक एम-4 राइफल व चार लाख चक्र कारतूस खरीदने के लिए आठ करोड़ रुपये की जरूरत का जिक्र किया गया था। कहा जा रहा है कि इस पत्र में वरवरा राव का नाम धन का इंतजाम करने वाले के रूप में शामिल है। यह पत्र नक्सल नेता प्रकाश को संबोधित था और इसे मानवाधिकार कार्यकर्ता रोना जैकब विल्सन के पास से बरामद किया गया था, जब उन्हें दिल्ली में गिरफ्तार किया गया था।
वरवरा राव क्रांतिकारी लेखकों के एक संगठन 'वीरासम' के अध्यक्ष हैं। राव ने इन आरोपों को सिरे से खारिज किया है। उन्होंने कहा कि इस मामले में गिरफ्तार सभी पांच लोग वंचितों की भलाई के लिए काम रहे थे और यह प्रधानमंत्री मोदी की लोकप्रियता के घटते ग्राफ को संभालने के लिए किया गया। हेमलता ने कहा कि उनके पति को 1974 के बाद से 20-30 बार गिरफ्तार किया गया, लेकिन किसी भी मामले में वह दोषी नहीं पाए गए। उन्होंने कहा कि यह पहली बार है, जब पुलिस उनके घर में घुसी और हर कमरे की उसने तलाशी ली।
गौतम नौलखा को दिल्ली से बाहर न ले जाएं : दिल्ली हाईकोर्ट
दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को महाराष्ट्र पुलिस को निर्देश दिया कि नक्सलियों से सहानुभूति रखने वाले गौतम नौलखा को बुधवार तक दिल्ली से बाहर न ले जाए और अगले आदेश तक उन्हें घर में नजरबंद रखें। नौलखा को दिल्ली पुलिस और महाराष्ट्र पुलिस की एक संयुक्त टीम ने गिरफ्तार किया और साकेत अदालत परिसर में एक दंडाधिकारी के समक्ष पेश किया। अदालत ने उन्हें शहर से बाहर ले जाने और पुणे की एक अदालत में पेश करने की अनुमति दे दी थी। नौलखा के वकील ने हालांकि अपराह्न् में दिल्ली हाईकोर्ट में उनके ठिकाने के बारे में जानने के लिए एक याचिका दाखिल की। पीठ ने मामले को शाम की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कर दी और दिल्ली पुलिस से जवाब मांगा। पुलिस ने अदालत से कहा कि उसे एक दंडाधिकारी की अदालत से आरोपी को शहर से बाहर ले जाने की अनुमति मिल चुकी है। न्यायमूर्ति एस. मुरलीधर की एकल पीठ ने हालांकि पुलिस को निर्देश दिया कि नौलखा को दिल्ली से बाहर न ले जाया जाए और अगले आदेश तक उन्हें उनके घर में नजरबंद रखा जाए। पीठ ने मामले की आगे की सुनवाई बुधवार को तय कर दी।
दलित कार्यकर्ताओं को निशाना बना रही पुलिस : माकपा
सुधा भारद्वाज, वरवरा राव और गौतम नौलखा जैसे कवि, लेखक और पत्रकारों की गिरफ्तारी की निंदा करते हुए माकपा ने मंगलवार को आरोप लगाया कि पुलिस भीमा-कोरेगांव दंगों के बाद दलित अधिकार कार्यकर्ताओं और बुद्धिजीवियों को निशाना बना रही है। पार्टी ने एक बयान में कहा, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) विभिन्न नागरिक अधिकार कार्यकर्ताओं और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और वामपंथी बुद्धिजीवियों के यहां पुलिस द्वारा मारे गए छापे की निंदा करती है। माकपा ने कहा है, भीमा-कोरेगांव में जब से दलितों के खिलाफ हिंसा की हुई है, महाराष्ट्र पुलिस केंद्रीय एजेंसियों के साथ मिलकर दलित अधिकार कार्यकर्ताओं और उनकी पैरवी करने वाले वकीलों को निशाना बना रही है। झूठे आरोप लगाए गए हैं और क्रूर अनाधिकृत गतिविधि निवारक अधिनियम लागू किया गया है। पुलिस ने मुंबई, दिल्ली, रांची, गोवा और हैदराबाद में छापे मारे और सुधा भारद्वाज, वरवर राव जैसे कुछ कार्यकर्ताओं और पत्रकार गौतम नौलखा को गिरफ्तार कर लिया। माकपा ने कहा, यह कार्रवाई लोकतांत्रिक अधिकारों और नागरिक आजादी पर खुला हमला है। इमर्जेसी को लेकर कांग्रेस को कोसने वाले आज खुद उसी राह पर उतर गए हैं, यह देश के लिए दुर्भायपूर्ण है। माकपा इन कार्यकर्ताओं के खिलाफ मामले वापस लेने और उन्हें तत्काल रिहा करने की मांग करती है।