बढ़ा दबाव तो बोले जेटली FRDI पर सरकार करेगी विचार
सत्ता विमर्श ब्यूरो
नई दिल्ली: इन दिनों फाइनेंशियल रेजोल्यूशन एंड डिपॉजिट इंश्योरेंस (एफआरडीआई) बिल -2017 पर काफी बहस हो रही है। बैंकों को दिवालिया होने से बचाने वाले इस बेल-इन विधेयक को सीधे तौर पर जमाकर्ताओं की जेब पर हमले के तौर पर देखा जा रहा है। चारों ओर से बढ़ रही आशंकाओं के बीच वित्त मंत्री अरुण जेटली ने ट्वीट कर ऐेसे संकेत दिए हैं कि एफआरडीआई बिल के विवादित प्रस्तावों में बदलाव किया जा सकता है।
जेटली ने कहा है कि बैंकों और जमाकर्ताओं के हितों की रक्षा की जाएगी। बेल-इन प्रस्ताव पर उन्होंने कहा कि यह अस्थायी समिति के पास है। जेटली ने कहा कि हमारा उद्देश्य उपभोक्ताओं और बैंकों के हितों की रक्षा करना है। गौरतलब है कि एफआरडीआई के बेल-इन प्रस्ताव में कहा गया है कि सरकार बैंकों के दिवालिया होने की स्थिति में अपके पैसे का इस्तेमाल कर बैंकों की सेहत सुधारने में कर सकता है।
The Financial Resolution and Deposit Insurance Bill, 2017 is pending before the Standing Committee. The objective of the Government is to fully protect the interest of the financial institutions and the depositors. The Government stands committed to this objective.
— Arun Jaitley (@arunjaitley) December 6, 2017
शीत सत्र में रखा जाएगा बिल
इसे इसी शीत सत्र में संसद में रखा जा सकता है। अगर ये बिल पास हो गया तो बैंकिंग व्यवस्था के साथ-साथ आपके लिए कई चीजें बदल जाएंगी। संसद के शीतकालीन सत्र में अगर ये बिल पास हो गया तो बैंकिंग प्रणाली में काफी बदलाव होगा।
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तो अपने पैसे खुद नहीं निकाल सकेंगे
एफआरडीआई बिल में है कि बैंक दिवालिया हो गया तो हो सकता है कि उस बैंक में जमा आपकी लाखों की रकम आप खुद ही नहीं निकाल सकेंगे। इसमें बड़ा सवाल बैंकों में रखे आपके पैसे को लेकर है। एफआरडीआई बिल बैंक को अधिकार देता है कि वह अपनी वित्तीय स्थिति बिगडऩे की हालत में आपके जमा पैसे लौटाने से इनकार कर दे और इसके बदले आपको सिक्योरिटीज अथवा शेयर दें।
कांग्रेस ने उठाए सवाल
कांग्रेस और कई टे्रड यूनियनों ने एफआरडीआई बिल के कई प्रावधानों पर सवाल उठाए हैं। कांग्रेस ने बिल को जनता विरोधी और गरीब विरोधी बताया है। कांग्रेस ने कहा कि इससे छोटे खाताधारकों को नुकसान होगा।