भीड़ की हिंसा रोकना राज्यों की जिम्मेदारी: SC
सत्ता विमर्श ब्यूरो
नई दिल्ली: देश के विभिन्न राज्यों में भीड़ की हिंसा से मारे जा रहे लोगों की घटनाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जताई है। इन घटनाओं को सुप्रीम कोर्ट ने अपराध करार दिया है। कोर्ट ने इन घटनाओं को अपराध करार दिया है। कोर्ट ने इन घटनाओं पर कहा कि कोई भी शख्स कानून को अपने हाथों में नहीं ले सकता। कोर्ट ने साफ कहा कि इन घटनाओं पर काबू पाना पूरी तरह राज्य सरकार की जिम्मेदारी है।
चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की बेंच ने कहा कि ये कानून व्यवस्था का मामला है। और इन घटनाओं पर काबू पाना राज्य सरकार की जिम्मेदारी है। एडिशनल सॉलिसिटर जनरल पीएस नरसिम्हा ने कहा कि केंद्र को परिस्थितियों की जानकारी है और वह इससे निपटने की कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा कि कानून व्यवस्था को बनाए रखना मुख्य समस्या है।
कोर्ट में केंद्र सरकार ने कहा कि मॉब लिंचिंग के लिए अलग से कानून बनाने की आवश्यकता नहीं है। लोगों की सुरक्षा सरकार की जिम्मेदारी है। कोर्ट ने इसके बाद केंद्र को राज्य सरकारों को दिशानिर्देश जारी करने के आदेश दिए हैं। दरअसल, पिछले एक-दो सालों से मॉब लिंचिंग की घटनाओं में काफी इजाफा हुआ है। कभी गौरक्षा के नाम पर तो कभी किसी अफवाह पर। हाल ही में कई शहरों में महज सोशल मीडिया पर वायरल हुई खबरों के आधार पर भीड़ ने कानून हाथ में उठा लिया। एक आंकड़े के मुताबिक फर्जी वॉट्सऐप मैसेज के चलते एक साल में 29 लोगों की हत्याएं हो चुकी हैं। महज संदेह के आधार पर भीड़ ने 29 लोगों को मार दिया। झारखंड, त्रिपुरा, उत्तर प्रदेश में भी अफवाहों के चलते भीड़ ने कई लोगों की जान ले ली है।
हाल ही में महाराष्ट्र के धुले से एक मामला सामने आया था जिसमें पांच लोगों को बच्चा चोर समझ कर भीड़ ने पीट-पीट कर उनकी हत्या कर दी थी। वहीं सोमवार को मालेगांव में इसी तरह की अफवाह पर भरोसा कर चार लोगों को पीट-पीटकर अधमरा कर दिया।