एलजी का दखल, केजरीवाल का धरना खत्म
सत्ता विमर्श ब्यूरो
नई दिल्ली : आखिरकार 32 घण्टे के धरने के बाद मंगलवार शाम को दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने अपने हठधर्म को छोड़ दिया। एलजी के हस्तक्षेप के बाद अरविंद मान गये। केन्द्र सरकार ने भी आंशिक तौर पर उनकी बात मान ली और मालवीय नगर के एसएचओ व पीसीआर इंचार्ज को जांच होने तक छुट्टी पर भेज दिया गया है। इसके अलावा सागरपुर मामले में दो आरोपियों को भी पकड़ लिया गया है।
उधर, केन्द्र सरकार के खिलाफ धरना दे रहे केजरीवाल के खिलाफ मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है। इस पर शुक्रवार को सुनवाई होगी। याचिका में कहा गया है कि धरना गलत है, इसपर रोक लगाई जानी चाहिए। मंगलवार को आप पार्टी के समर्थकों ने पुलिस द्वारा लगाए गए बैरीकेड को तोड़कर अरविंद केजरीवाल के पास जाने की कोशिश की जिसके बाद आप कार्यकर्ताओं की पुलिस के साथ झड़प हो गई।
नई दिल्ली के पुलिस उपायुक्त एस बी एस त्यागी ने बताया कि आप समर्थकों की ओर से की गई पत्थरबाजी में दो पुलिस कर्मी घायल हो गए हैं। पुलिस ने इससे पहले, दिल्ली भाजपा प्रमुख विजय गोयल और उनके 200 समर्थकों को विधि मंत्री सोमनाथ भारती के खिलाफ प्रदर्शन करने के आरोप में आकाशवाणी भवन के पास हिरासत मे ले लिया।
वहीं, आप के सदस्य कैप्टन गोपीनाथ मुख्यमंत्री केजरीवाल के धरने के खिलाफ खुलकर सामने आ गए हैं। उन्होंने कहा, मुख्यमंत्री और उनके मंत्रियो को काम पर वापस लौट जाना चाहिए। कैबिनेट को बड़े मुद्दों को देखना चाहिए, न की पुलिसकर्मियों के निलंबन को। दिल्ली पुलिस को राज्य सरकार के नीचे नहीं आना चाहिए।
इससे पहले, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल सोमवार को दिल्ली पुलिस के रवैये के खिलाफ आक्रामक तेवर अपनाते हुए अपने 6 मंत्रियों और लगभग 1,000 समर्थकों के साथ खुद धरना पर बैठ गए। केजरीवाल चाहते थे कि केंद्रीय गृह मंत्रालय दिल्ली पुलिस के पांच अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करे, जिन्हें उनकी सरकार दोषी मानती है। मुख्यमंत्री ने आवेश में खुद को 'अराजकतावादी' तक बता दिया। इस बीच खबर है कि केंद्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मुलाकात की है। समझा जाता है कि 20 मिनट तक चली मुलाकात में शिंदे ने अरविंद केजरीवाल के धरने को लेकर उपजे संकट के बारे में प्रधानमंत्री को अवगत कराया होगा।
आम आदमी पार्टी (आप) ने अप्रत्याशित रूप से रेल भवन के सामने धरना दिया और अपनी बात रखते हुए आवेश में कहा, 'हां, मैं अराजकतावादी हूं।' वह चाहते हैं कि दिल्ली पुलिस उनके नियंत्रण में हो। इस बीच केंद्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने दिल्ली सरकार की मांग को खारिज करते हुए कहा कि दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी है, इसलिए वाशिंगटन डीसी की तरह यहां की पुलिस केंद्र सरकार के अधीन है।
उन्होंने केजरीवाल से मुख्यमंत्री के पद की गरिमा को ध्यान में रखते हुए धरना-प्रदर्शन से खुद को अलग रखने का आग्रह किया। शिंदे ने यह घोषणा भी की कि दिल्ली के उपराज्यपाल नजीब जंग तीन पुलिस थानों के एसएचओ और दो सहायक पुलिस आयुक्तों के खिलाफ न्यायिक जांच के आदेश दे चुके हैं। जांच रिपोर्ट की प्रतीक्षा की जानी चाहिए।
आक्रोशित केजरीवाल ने शिंदे की अपील ठुकरा दी। उन्होंने कहा कि जांच होती रहे, मगर इसी बीच उन पुलिस अधिकारियों को निलंबित किया जाना चाहिए जिन्हें दिल्ली सरकार दोषी मानती है। उन्होंने कहा कि यदि ऐसा नहीं किया गया तो वह 10 दिनों तक धरना देने की तैयारी करके आए हैं।
धरने के दौरान ही केजरीवाल और उनके मंत्रियों ने अपना कार्यालयी कामकाज भी शुरू कर दिया। उन्होंने फाइलें पढ़ीं और हस्ताक्षर किए। इससे पहले केजरीवाल और उनके मंत्रियों को केंद्रीय गृह मंत्रालय के बाहर धरने के लिए जाने के दौरान रास्ते में रोका गया। उन्होंने पुलिस की अकर्मण्यता के खिलाफ धरने का आह्वान किया है।
केजरीवाल की कार को रेल भवन के नजदीक रायसीना रोड के सामने रोका गया। पुलिस अधिकारियों ने मुख्यमंत्री को आगे बढ़ने से रोका। एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि दिल्ली के मुख्यमंत्री और उनके सहयोगियों को गणतंत्र दिवस परेड का पूर्वाभ्यास चलने के कारण दोपहर तक रोका जा रहा है। आम आदमी पार्टी (आप) ने पुलिस अधिकारियों पर दिल्ली के कानून मंत्री सोमनाथ भारती के निगरानी छापे में उनकी मदद न करने और दहेज के एक मामले में मंत्री राखी बिरला की शिकायत पर उचित कार्रवाई न करने का आरोप लगाया है।
दोपहर बाद केजरीवाल को जाने की इजाजत दी गई। हालांकि, वह और उनके मंत्रियों ने रायसीना रोड से दूर पार्क में प्रदर्शन करने का फैसला किया। पुलिसकर्मियों की एक टुकड़ी तैनात कर दी गई है और रफी मार्ग और रायसीना रोड पर नाकेबंदी कर दी गई है, जो नार्थ ब्लाक की तरफ जाती है। सुबह केजरीवाल और मंत्रियों ने दिल्ली सचिवालय में मुलाकात की थी, जहां से वे दिल्ली पुलिस द्वारा लागू धारा-144 की अनदेखी करते हुए गृह मंत्रालय की तरफ निकले।
खुले आसमान के नीचे धरने पर बैठे दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सोमवार को कहा कि प्रदर्शन से दिल्ली सरकार का कामकाज बाधित नहीं होगा। उन्होंने कहा कि हम और हमारे मंत्री पहले की तरह अपना काम करते रहेंगे। केजरीवाल और उनके मंत्रिमंडल के सदस्य कथित तौर पर पुलिस की अकर्मण्यता के खिलाफ रेल भवन के बाहर धरने पर बैठे हैं।
उन्होंने कहा कि वह 10 दिनों तक धरना देने के लिए तैयार हैं। उन्होंने आम लोगों और ईमानदार पुलिसकर्मियों को उनके प्रदर्शन से जुड़ने और कर्तव्य निष्पादन में असफल रहे पांच पुलिस अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई की मांग करने की अपील की।