'जांच होने तक हम नहीं बता सकते नाम'
सत्ता विमर्श ब्यूरो
नई दिल्ली : विदेशी बैंकों में कालाधन जमा करने वाले खाताधारकों के नाम सार्वजनिक नहीं करने की मजबूरी वाले सुप्रीम कोर्ट में दिए सरकार के हलफनामे पर मचे बवाल के बाद वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इसका दोष कांग्रेस के सिर पर मढ़ दिया।
जेटली ने शुक्रवार शाम को कहा कि कांग्रेस ने 1995 में जर्मनी के साथ समझौता किया था, जिसके कारण सरकार इन नामों को सार्वजनिक नहीं कर सकती है। जेटली ने कहा कि हम नाम बताना चाहते हैं, लेकिन इसमें कानूनी अड़चन है। जेटली ने कहा कि दोहरे कराधान निषेध समझौते (डीटीएटी) समझौते के मुताबिक जब तक मामले की जांच चल रही है, तब तक नाम को सार्वजनिक नहीं किया जा सकता है। कोर्ट में चार्ज फाइल करते ही, ये नाम अपने आप ही सार्वजनिक हो जाएंगे। जेटली ने कहा कि डीटीएटी की कानूनी बाध्यताओं को सरकार मानने को मजबूर है।
जेटली ने कालाधन पर सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की जानकारी देते हुए बताया कि पिछले दिनों वित्त मंत्रालय का तीन सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल राजस्व सचिव की अगुआई में बर्न गया था। स्विस अधिकारियों से हुई बातचीत में काफी सफलता मिली है। उन्होंने कहा कि स्विट्जरलैंड उन खाताधारकों के बैंक विवरण देने के लिए राजी हो गया है, जिनकी जांच आयकर अधिकारियों ने की है।
जेटली ने कहा कि स्विट्जरलैंड सबूत देने के बाद खातों का पूरा ब्यौरा दे देगा। जेटली ने कहा कि स्विट्जरलैंड सूत्रों से मिली किसी सबूत की तस्दीक करने के लिए भी राजी हो गया है। पहले कोई दस्तावेज आता था और जिस व्यक्ति का नाम होता था, वह इनकार कर देता था। हम इसे स्विटजरलैंड से पुष्टि नहीं करा पाते थे।
जेटली ने कहा कि यह प्रक्रिया सालों तक न चले इसकी समय सीमा तय करने को लेकर भी स्विटजरलैंड से बातचीत हो रही है। उन्होंने कहा कि चौथा बड़ा फैसला यह हुआ कि भारत और स्विट्जरलैंड के बीच में खातों का ब्यौरा साझा करने को लेकर दो पक्षीय समझौते पर भी चर्चा चल रही है।