चिदंबरम का दावा; एक राष्ट्र-एक चुनाव भी एक चुनावी जुमला है
सत्ता विमर्श ब्यूरो
नई दिल्ली : राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा लोकसभा एवं विधानसभा चुनाव साथ कराने की वकालत करने के एक दिन बाद कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम ने मंगलवार को इसे एक और चुनावी जुमला करार दिया और कहा कि वर्तमान संवैधानिक प्रावधानों के तहत ऐसा नहीं किया जा सकता है।
अपनी पुस्तक ‘स्पीकिंग ट्रूथ टू पावर’ के विमोचन के बाद परिचर्चा में पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने कहा कि भारत का संविधान किसी भी सरकार को निश्चित कार्यकाल नहीं प्रदान करता है और जब तक उसमें संशोधन नहीं किया जाता है तब तक कोई भी एक साथ चुनाव नहीं करा सकता। उन्होंने एक प्रश्न के उत्तर में कहा, संसदीय लोकतंत्र में ख़ासकर जब हमारे यहां 30 राज्य हैं, तब वर्तमान संविधान के तहत आप एक साथ चुनाव नहीं करा सकते। उन्होंने कहा, यह एक और चुनावी जुमला है। एक राष्ट्र एक कर जुमला है। अब एक राष्ट्र एक चुनाव भी जुमला है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि कोई भी व्यक्ति कुछ चुनावों की तारीख़ें पहले कर और कुछ की आगे बढ़ाकर कृत्रिम तौर पर एक साथ चुनाव (होता हुआ) नहीं कर सकता है, कोई भी व्यक्ति संसदीय चुनाव और पांच छह राज्यों के चुनाव तो एक साथ करा सकता है लेकिन सभी 30 राज्यों के एक साथ नहीं। चिदंबरम ने कहा, कल यदि कोई सरकार गिर जाती है तो फिर क्या होगा? क्या आप उसे बाकी चार साल के लिए राष्ट्रपति शासन में रखेंगे। यह नहीं किया जा सकता। चिदंबरम की पुस्तक का विमोचन पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने किया।