भ्रष्टाचार पर बहसों में संयम जरूरी : पीएम
सत्ता विमर्श ब्यूरो
नई दिल्ली : प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भ्रष्टाचार पर होने वाली सार्वजनिक बहस में संयम बरतने का आह्वान करते हुए मंगलवार को कहा कि फैसला लेते वक्त हुई निष्कपट गलतियों के लिए ईमानदार अधिकारियों को प्रताड़ित नहीं किया जाना चाहिए। केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) के स्वर्ण जयंती समारोह में प्रधानमंत्री ने कहा कि यह याद रखना जरूरी है कि भ्रष्टाचार विरोधी किसी भी संस्था का अंतिम उद्देश्य शासन प्रक्रिया के सुधार में योगदान देना होता है।
प्रधानमंत्री ने कहा, 'यह तब हो सकता है, जब मजबूत और प्रगतिशील फैसले को प्रोत्साहित करें। इसलिए, हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि फैसला लेते वक्त हुई निष्कपट गलतियों के लिए ईमानदार अधिकारियों को प्रताड़ित न किया जाए। भ्रष्टाचार पर सार्वजनिक बहस में संयम रखने की जरूरत है।' उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षो में भ्रष्टाचार पर सार्वजनिक बहसें काफी हुई हैं और अनवरत आरोप लगाए गए हैं।
मनमोहन सिंह ने कहा, 'इन मुद्दों पर विधिवत गंभीर चर्चा अपेक्षित हैं, लेकिन हम अक्सर देखते हैं कि सार्वजनिक बहस के मुद्दों को महत्वहीन बना दिया जाता है।' प्रधानमंत्री ने कहा कि 1964 में सीवीसी की स्थापना करते हुए तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने कहा था कि आयोग को ईमानदार व्यक्तियों के एक निडर संस्था के रूप में काम करना होगा, तथा भ्रष्ट अधिकारियों में भय पैदा करने वाला होना होगा।
राष्ट्रपति ने 'भ्रष्टाचार से लड़ाई' विषय पर समारोह का उद्घाटन किया और कहा कि भ्रष्टाचार पर "युद्ध स्तर पर" अंकुश लगाए जाने की जरूरत है, क्योंकि देश की प्रगति में यह 'सबसे बड़ा रोड़ा' बना हुआ है। मुखर्जी ने कहा, 'भ्रष्टाचार से निबटने के लिए हमें दोगुना प्रयास करना होगा तथा युद्ध स्तर पर इसके खिलाफ लड़ाई छेड़नी होगी।' उन्होंने आगे कहा, 'भ्रष्टाचार के कारण देश में गैर बराबरी पनपी है तथा सार्वजनिक सेवाएं आम आदमी की पहुंच से दूर हुई हैं, खासकर गरीब लोगों से।'
भाजपा नेता सुषमा स्वराज ने इस अवसर पर कांग्रेस की आलोचना करते हुए कहा कि नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) जैसी संस्थाओं की आलोचना लोकतंत्र के लिए खतरनाक है। उन्होंने आगे कहा कि वह सीएजी और सीवीसी को देश के विकास में बाधक बताए जाने वाले बयान से काफी चिंतित हैं। स्वराज ने यह बयान सूचना एवं प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी द्वारा पिछले वर्ष सितंबर में दिए गए उस बयान पर निशाना साधते हुए दिया, जिसमें तिवारी ने 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले पर सीएजी की रिपोर्ट को देश की प्रगति में 'हानिकारक प्रभाव' वाला बताया था। स्वराज ने कहा, 'इस तरह की सोच देश के लिए स्वास्थ्यकर नहीं है। यह खतरनाक है। संविधान हमें नियंत्रण के जरिए एक संतुलनकारी व्यवस्था प्रदान करता है।' इस अवसर पर एक कॉफी टेबल बुक और एक स्मारक रसीद जारी की गई।