य़ाकूब की फांसी के बाद शुरू हुई सियासत
सत्ता विमर्श ब्यूरो
चेन्नई/नई दिल्ली: 1993 मुंबई धमाकों के दोषी याकूब मेनन को फांसी दिए जाने के बाद सियासी हलचल तेज हो गई है। कांग्रेस समेत दूसरी कई पार्टियों के नेताओं ने ट्विट के जरिए फांसी पर सवाल खड़े किए हैं। हालांकि इससे पहले तक कोई भी पार्टी खुलकर अपनी राय जाहिर नहीं कर रही थी। ट्विटर पर कांग्रेस नेता शशि थरूर, दिग्विजय सिहं और पीएमके के नेता एस रामदौस ने इस सजा पर ऐतराज जताया है।
कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने ट्वीट किया है, 'यह जानकर दुख हुआ कि हमारी सरकार ने एक इंसान को फांसी दे दी है। सरकार प्रायोजित हत्या हमें हत्यारों के स्तर पर ही लाकर खड़ा कर देती है।' अगले ट्वीट में उन्होंने लिखा है कि इस बात का कोई प्रमाण नहीं है कि मृत्युदंड प्रतिरोधक का काम करता है, तथ्य इसके उलट है। उन्होंने लिखा है, 'मृत्युदंड दरअसल एक तरह का प्रतिशोध है। यह सरकार की नाकामी है।'
उनका अगला ट्वीट है, 'हमें आतंक का मुकाबला जरूर करना चाहिए, लेकिन नृशंस फांसी से दुनिया में कहीं भी आतंकवादी हमले नहीं रुके हैं।'
मुंबई सीरियल धमाकों के दोषी याकूब मेमन को फांसी दिए जाने पर कांग्रेस नेताओं शशि थरूर और दिग्विजय सिंह ने ट्विटर पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। शशि थरूर ने जहां याकूब को फांसी दिए जाने को 'सरकार प्रायोजित हत्या' और 'नृशंस' कदम बताया है, वहीं दिग्विजय सिंह ने कहा है कि आतंक के अन्य मामलों को लेकर सरकार और न्यायपालिका की विश्वसनीयता खतरे में है।
कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने ट्वीट किया है, 'यह जानकर दुख हुआ कि हमारी सरकार ने एक इंसान को फांसी दे दी है। सरकार प्रायोजित हत्या हमें हत्यारों के स्तर पर ही लाकर खड़ा कर देती है।' अगले ट्वीट में उन्होंने लिखा है कि इस बात का कोई प्रमाण नहीं है कि मृत्युदंड प्रतिरोधक का काम करता है, तथ्य इसके उलट है। उन्होंने लिखा है, 'मृत्युदंड दरअसल एक तरह का प्रतिशोध है। यह सरकार की नाकामी है।'
उनका अगला ट्वीट है, 'हमें आतंक का मुकाबला जरूर करना चाहिए, लेकिन नृशंस फांसी से दुनिया में कहीं भी आतंकवादी हमले नहीं रुके हैं।'
बाद में एक अन्य ट्वीट में थरूर ने सफाई देते हुए कहा कि वह किसी खास मामले की बात नहीं कर रहे। उन्होंने कहा कि यह तय करना कोर्ट का काम है, सवाल मृत्युदंड से सिद्धांत और इसकी व्यावहारिकता को लेकर है।
कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने याकूब मेमन को फांसी दिए जाने के फैसले को 'मिसाल' तो बताया है, मगर यह सवाल भी खड़ा किया है कि इस तरह का रवैया अन्य मामलों में क्यों नहीं अपनाया जाता। उन्होंने ट्वीट किया है, 'याकूब मेमन को फांसी हो गई। आतंक के एक आरोपी को सजा देने में सरकार और न्यायपालिका ने जिस तरह की तत्परता और प्रतिबद्धता दिखाई है, वह एक मिसाल है।'
अगले ट्वीट्स में उन्होंने लिखा है, 'मुझे उम्मीद है कि सरकार और न्यायपालिका आतंक के अन्य मामलों में भी जाति, मत और धर्म के आधार को नजरअंदाज इसी तरह का कमिटमेंट दिखाएंगी। जिस तरीके से आतंकवाद फैलाने के अन्य आरोपियों के मामले चल रहे हैं, मुझे उसपर शक है। सरकार और न्यायपालिका की विश्वसनीयता खतरे में है।'
कांग्रेस नेताओं के इस ट्विट को भाजपा ने गैर जिम्मेदाराना बताया है।
एस रामदौस ने लिखा कि जिस तरह की जल्दबाजी दिखाई गई उससे बचा जा सकता था और सुप्रीम कोर्ट को उसकी आखिरी याचिका पर गंभीर रूप से विचार करना चाहिए था। इतने पर ही रामदौस नहीं रूके बल्कि उन्होंने तो फांसी की टाइमिंग पर भी सवाल खड़े किए। उन्होंने आगे कहा कि पूरी जिंदगी एपीजी अब्दुल कलाम मृत्युदण्ड दिए जाने के खिलाफ अभियान चलाते रहे, लेकिन उन्हीं के अंतिम संस्कार के दिन याकूब को फांसी पर लटका कर उन्हें कठोर श्रद्धांजलि दी गई। मृत्युदण्ड को निरस्त करके ही कलाम और महात्मा गांधी को सच्ची श्रृद्धांजलि दी जा सकती थी।