स्मार्ट गांव बनाएगा प्रणब मुखर्जी फाउंडेशन, रतन टाटा करेंगे सहयोग
सत्ता विमर्श ब्यूरो
नई दिल्ली: भारत के राष्ट्रपति के रूप में अपना कार्यकाल समाप्त होने के नौ महीने बाद, प्रणब मुखर्जी एक और भूमिका निभाने के लिए तैयार हैं। गुरुवार को पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और रतन टाटा ने 'प्रणब मुखर्जी फाउंडेशन' का दिल्ली में शुभारंभ किया। फाउंडेशन का उद्देश्य अनुसंधान, शिक्षा और ग्रामीण विकास के क्षेत्र में काम करना है।
राष्ट्रपति भवन में प्रणब की सचिव रहीं ओमिता पॉल इसकी निर्देशक होंगी। पॉल का कहना है कि हमारा एक छोटा सा सेट होगा, लेकिन हम बहुत से लोगों के साथ सहयोग करेंगे। हमारा उद्देश्य शिक्षा प्रणाली में सुधार करना है और महत्वपूर्ण वैज्ञानिक क्षेत्रों में अनुसंधान के लिए भारत को एक जीवंत स्थान बनाना है। हम भी स्मार्ट गांवों को बनाने पर काम करना चाहते हैं।
देश के शीर्ष पद से रिटायर होने के बाद प्रणब मुखर्जी के नाम से ये स्थापना एक असधारण काम है। पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने नाम से भी एक संस्थान इसी तरह काम करता है। जिसको सिविल इनोवेटर्स और युवा नेताओं को कौशल प्रदान करना है। इससे पहले भी पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन और बिल क्लिंटन के नाम से संस्थाएं स्थापिक की जा चुकी हैं।
83 वर्षीय मुखर्जी, राष्ट्रपति भवन में अपने कार्यकाल के दौरान शिक्षा और शोध के मानक में सुधार के प्रति भावुक थे। इसके लिए वो केंद्रीय विश्वविद्यालयों के उपाध्यक्ष और आईआईटी और अन्य प्रमुख संस्थानों के प्रोफेसरों के साथ बातचीत करते आ रहे थे। मुखर्जी ने राजनीति में शामिल होने से पहले एक कॉलेज में एक शिक्षक के रूप में अपना करियर शुरू किया था। विभिन्न मंत्रालयों में जाने के बाद, उन्हें 2012 में राष्ट्रपति के रूप में चुना गया था।